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Port Blair Sri Vijayapuram History: भारत सरकार ने पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर श्री विजया पुरम रखा है। यह नाम भारत की आजादी में अंडमान के योगदान को देखते हुए रखा गया है।

Port Blair Sri Vijayapuram History: केंद्र सरकार ने शुक्रवार (13 सितंबर) को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर श्री विजया पुरम कर दिया है। सरकार ने कहा है कि पोर्ट ब्लेयर के पुराने नाम से ब्रिटिश कॉलोनाइजेशन (ब्रिटिश उपनिवेशवाद) यानी कि अंग्रेजों की हुकूमत की झलक आ रही थी। आखिर, सरकार ने कहा है कि पोर्ट ब्लेयर का नया नाम देश की आजादी की लड़ाई में इसके योगदान को देखते हुए रखा गया है। आइए, जानते हैं क्या रहा है इस पुराने शहर का इतिहास, क्यों और कैसे पड़ा इसका नाम पोर्ट ब्लेयर। 

अंग्रजों ने कब किया पोर्ट ब्लेयर पर कब्जा
अंग्रेजों ने 18वीं शताब्दी के अंत में पोर्ट ब्लेयर और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर अपना कब्जा कर लिया। इससे पहले इसे चोल राजाओं द्वारा नौसेना बेस की तरह इस्तेमाल करने की बात कही जाती है। हालांकि, यह क्षेत्र पहले काफी हद तक अज्ञात और अनियमित था। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल की सरकार के तहत 1789 में इस पर कब्जा किया।

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अंग्रेजों ने कैसे किया पोर्ट ब्लेयर का इस्तेमाल
अंग्रेजों ने इस द्वीप समूह पर कब्जा करने के बाद इसे एक ऐसी कॉलोनी की तरह इस्तेमाल करने लगा जहां लोगों को कैद में रखा जाता था। यहां पर सेलुलर जेल बनाया गया। आजादी की लड़ाई में पकड़े जाने वाले बड़े फ्रीडम फाइटर्स को इसी सेलुलर जेल में रखा जाता। उनके साथ क्रूरता की सारी हदें पार कर दी जाती। भूखा प्यासा रखा जाता। इसे कालापानी की सजा कहा जाता था। वीर सावरकर समेत कई फ्रीमड फाइटर्स को यहां की सेलुलर जेल की कोठरियों  में कैद रखा गया था। 

Port Blair Sri Vijayapuram History
Port Blair Sri Vijayapuram History: पोर्ट ब्लेयर पर 18वीं शताब्दी में आर्चिबाल्ड ब्लेयर ने कब्जा किया था।

जानें, किसके नाम पर था पोर्ट ब्लेयर?
1789 में, ब्रिटिश नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट आर्चिबाल्ड ब्लेयर ने अंडमान निकोबार में पोर्ट ब्लेयर शहर की नींव रखी। इस शहर का नाम आर्चिबाल्ड ब्लेयर के नाम पर ही रखा गया था। बाद में, अंग्रेजों ने यहां पर अपना प्रशासनिक केंद्र स्थापित किया। फिर इसे एक जेलखाना (कालापानी) के तौर पर डेवलप किया गया।समय के साथ ही अंग्रेज अपने जहाजों की आवाजाही के लिए भी इस इसका इस्तेमाल करने लगे। 1857 की क्रांति के बाद पोर्ट ब्लेयर इसी जेल की वजह से एक अहम प्रशासनिक केंद्र बन गया।

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क्यों किया अंग्रेजों ने अंडमान पर कब्जा
अंग्रेजों का अंडमान द्वीपों पर कब्जा करने की कई वजहें थी। सबस पहले तो इसकी भौगोलिक स्थिति। यह समुद्री सैन्य सुरक्षा की लिहाज से एक बेहद ही रणनीतिक जगह पर था। यह द्वीप बंगाल की खाड़ी में था और ब्रिटिश साम्राज्य के समुद्री रास्तों की सुरक्षा के लिए बेहद अहम था। इसके अलावा, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का इस्तेमाल भविष्य में व्यापार और सैन्य अड्डे के तौर पर किया जा सकता था। 

Port Blair Sri Vijayapuram History
Port Blair Sri Vijayapuram History: राजा राजेंद्र चोल प्रथम चोल राजवंश के संस्थापक थे। 11 वीं शताब्दी में उन्होंने पोर्ट ब्लेयर पर अपना साम्राज्य विस्तार किया था।

कभी चोल साम्राज्य का नौसैनिक अड्डा था
गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया पर इसकी घोषणा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन से प्रेरित होकर यह निर्णय लिया गया है।गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह नाम आजादी की लड़ाई में हासिल हुई जीत का प्रतीक है। यह द्वीप क्षेत्र कभी चोल साम्राज्य का नौसैनिक अड्डा था। यहीं पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने पहली बार तिरंगा फहराया था। वीर सावरकर और दूसरे स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत को आजादी दिलाने के लिए लड़ाई लड़ी थी। श्री विजया पुरम नाम उस संघर्ष और वीरता को समर्पित है जो इस क्षेत्र ने आजादी की लड़ाई के दौरान दिखाई थी।

11वीं शताब्दी में राजा राजा राजेंद्र चोल-I ने किया था शासन
चोल राजवंश के राजा राजा राजेंद्र चोल-I ने पोर्ट ब्लेयर का उपयोग एक सैन्य अड्डे के रूप में किया था। चोल साम्राज्य ने इस द्वीप को एक महत्वपूर्ण नौसेना अड्डे के रूप में विकसित किया, जिससे वे हिंद महासागर में अपने व्यापारिक और सैन्य अभियानों को सुगम बना सके। राजा राजेंद्र चोल I ने 11वीं शताब्दी में अपने साम्राज्य का विस्तार किया और अंडमान द्वीप समूह में अपनी शक्ति को स्थापित किया। यह क्षेत्र चोल साम्राज्य के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण था, जिससे वे समुद्री मार्गों पर नियंत्रण रख सके।

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