S Jaishankar Slams Western Countries:विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पश्चिमी देशों की नीति पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और सैन्य शासन पर उनके अलग-अलग स्टैंडर्ड हैं। उन्होंने पाकिस्तान और बांग्लादेश का उदाहरण देते हुए बताया कि पश्चिमी देश किस तरह से अपनी सुविधा के हिसाब से सिद्धांतों को बदलते हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को एक सेमिनार में कहा कि अब दुनिया के एजेंडा को कुछ लोग तय नहीं कर सकते।
पश्चिमी देशों ने हमेशा अपने फायदे के लिए नीतियां बनाई
एस जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश के उदाहरण यह साबित करते हैं कि पश्चिमी देशों ने हमेशा अपने फायदे के हिसाब से नीति बनाई। पाकिस्तान में सेना का शासन रहा, लेकिन उसे हमेशा समर्थन मिला। दूसरी ओर, बांग्लादेश में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को गिराने की साजिश हुई। इसके बावजूद वहां कि अंतरिम सरकार को पश्चिमी देशों का समर्थन मिलता रहा है।
सेना का शासन कब सही और कब गलत?*
जयशंकर ने कहा कि जब किसी देश में सैन्य शासन होता है, तब पश्चिमी देशों को कोई परेशानी नहीं होती। लेकिन जब कोई लोकतांत्रिक सरकार बनती है और वह उनकी नीतियों के खिलाफ जाती है, तो उसे गिराने की कोशिश होती है। उन्होंने कहा कि अगर सैन्य शासन स्वीकार्य है, तो फिर लोकतंत्र की दुहाई क्यों दी जाती है? यह एक बड़ा पाखंड है, जिसे अब बेनकाब किया जाना चाहिए।
रूस-यूक्रेन और मिडिल ईस्ट में दोहरी नीति
जयशंकर ने कहा कि इस समय दुनिया में दो बड़े संघर्ष चल रहे हैं। एक मिडिल ईस्ट में और दूसरा रूस-यूक्रेन युद्ध। उन्होंने कहा कि इन संघर्षों में भी पश्चिमी देशों की नीति में भेदभाव साफ दिखता है। वे अपने सिद्धांतों की दुहाई देते हैं, लेकिन उनका पालन चुनिंदा जगहों पर ही करते हैं। इससे साफ पता चलता है कि उनका उद्देश्य शांति स्थापित करना नहीं, बल्कि अपनी रणनीतिक बढ़त हासिल करना है।
भारत अब ऑब्जर्वर नहीं, एक मजबूत आवाज
जयशंकर का यह बयान भारत की नई विदेश नीति को दिखाता है। भारत अब सिर्फ एक ऑब्जर्वर बनकर नहीं रहेगा, बल्कि वह अपनी राय स्पष्ट रूप से रखेगा। उन्होंने कहा कि अब वैश्विक राजनीति का एजेंडा कुछ देशों द्वारा तय नहीं होगा, जिसे बाकी देश केवल मानते रहें। भारत अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी बात मजबूती से रखेगा और अपनी नीतियों के हिसाब से फैसले लेगा।
लोकतंत्र की रक्षा के नाम पर राजनीतिक खेल
जयशंकर ने कहा कि कई बार पश्चिमी देश लोकतंत्र की रक्षा के नाम पर उन देशों में हस्तक्षेप करते हैं, जहां उनकी जरूरत नहीं होती। लेकिन जहां सच में लोकतंत्र को खतरा होता है, वहां वे चुप रहते हैं। उन्होंने कहा कि अब यह दौर बदल चुका है और भारत इस बदलाव में एक अहम भूमिका निभाएगा।