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Opinion : पानी की कमी होने के कारण दिल्लीवासी बहुत परेशान हैं। झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाके के अलावा पॉश कॉलोनियों मैं भी लोगों को पानी के लिए बाल्टी लेकर व्यवस्था करनी पड़ रही है। दिल्ली के सबसे पॉश एरिया लुटियन जोन में भी कई इलाकों को इस समय पानी के टैंकरों पर निर्भर होना पड़ रहा है।

Opinion : देश की राजधानी इस समय बड़े संकट से गुजर रही है। दिल्ली में पानी की कमी होने के कारण दिल्लीवासी बहुत परेशान हैं। जरूरत के हिसाब से लगभग 25 से 30 फीसदी पानी की उपलब्धता कम हो गई है। इसका असर यह हुआ है कि दिल्ली के झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाके के अलावा पॉश कॉलोनियों मैं भी लोगों को पानी के लिए बाल्टी लेकर व्यवस्था करनी पड़ रही है। दिल्ली के सबसे पॉश एरिया लुटियन जोन में भी कई इलाकों को इस समय पानी के टैंकरों पर निर्भर होना पड़ रहा है।

जल उपलब्धता पर कोई सहमति नहीं बनी
बताया जा रहा है कि दिल्ली का जल संकट वर्षा शुरू होने के बाद ही सुधरेगा। फिलहाल तेज गर्मी से अभी कई दिनों तक राहत मिलने की कोई संभावना नहीं है और इस जल संकट को लेकर हाल ही में हुई मीटिंग में पड़ोसी राज्यों से जल उपलब्धता पर कोई सहमति नहीं बनी। दिल्ली पानी की आपूर्ति के लिए हरियाणा, उत्तर प्रदेश पर निर्भर है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को पानी की अगाध आपूर्ति होती रही है। इस बार पानी की उपलब्धता में कमी राजनीतिक वजह से अधिक प्रतीत हो रही है, हालांकि हरियाणा खुद भी जल संकट का सामना कर रहा है। इस आधार पर स्पष्ट है हो जाता है कि यह जल संकट कई दिनों तक बने रहने की संभावना है। हम इन सारी बातों से पूरी स्थिति से अवगत हो गए और जल संकट से रोज लड़ने को तैयार हैं, लेकिन इस मामले में केन्द्र व राज्य सरकार अपनी कितनी गंभीरता दिखा रही है यह स्थिति देखकर लग रहा है। हर रोज बहुत आसानी से मीडिया में बयान देकर एक-दूसरे पर आरोप लगाकर अपना-अपना बचाव कर रहे हैं। आम लोगों की मजबूरी कोई नहीं समझ रहा। पानी सर्वाधिक दैनिक जरूरत है, इसके बिना जिंदगी को कल्पना करना मुश्किल है।

हरियाणा को हिमाचल प्रदेश से पानी मिलता है
दिल्ली सरकार जो किसी भी मामले में दूसरे पक्ष पर आरोप लगाने में माहिर है, उसका कहना है कि हरियाणा सरकार हमें पानी नहीं दे रहा। बताया जा रहा है हिमाचल से पानी छोड़ा जा रहा है, लेकिन हरियाणा सरकार नहीं दे रही, लेकिन वहीं इस बात को खारिज करते हुए हरियाणा के सिंचाई और जल संसाधन मंत्री अभय सिंह यादव ने कहा कि हिमाचल प्रदेश से पानी नहीं मिला। अभय ने कहा कि यदि हरियाणा को हिमाचल प्रदेश से पानी मिलता है, तो वह तुरंत उसे दिल्ली की ओर भेज देगा। यह तो राज्यों की बीच की कहानी है लेकिन आश्चर्य यह है कि इस मामले को लेकर केन्द्र सरकार कोई भी प्रतिक्रिया न देकर किसी भी प्रकार के समाधान पर बात नहीं कर रही है। दिल्ली जलसंकट पर केंद्र की चुप्पी खल रही है, जैसा कि दिल्ली एक केन्द्रीय शासित राज्य है और इसलिए बहुत सारे मामलों में जिम्मेदारी केन्द्र सरकार की बनती है तो, क्यों इसका समाधान नहीं निकाला जा रहा। जबकि जल शक्ति मंत्रालय केन्द्र के हाथ में हैं बावजूद इसके, आखिर दिल्ली की जनता को क्यों परेशान हो रही है। क्या अलग-अलग इंजन की सरकार होने की वजह से ऐसा किया जा रहा है।

राज्यों व केन्द्र सरकार के बीच कोई भी बैठक नहीं
भारतीय जनता पार्टी को यह भी समझना चाहिए कि हाल ही में दिल्ली में हुए लोकसभा चुनाव में जनता सातों सीटें उन्हें जिताई है। ऐसे में जनता के प्रति इन सांसदों कोगी जिम्मेदारी बनती है। जल संकट मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी राज्यों व केन्द्र सरकार के बीच कोई भी बैठक नहीं हुई। अंतरराज्यीय मामला होने के चलते केंद्र सरकार को देखना चाहिए कि किसी राज्य में संकट आने के बाद पड़ोसी राज्यों से कैसे आपूर्ति करा सकती है। किसी भी घटना से लगातार ग्रसित होने से जनता बागी हो जाती है और फिर समाज में संदेश गलत जाता है। यह वैसे भी देश की राजधानी है जहां देश के प्रधानमंत्री के अलावा देश के सभी बड़े-छोटे मंत्री रहते हैं। जहां एक ओर हम डिजिटल युग में होने की हुंकार भरते हैं, वहीं दूसरी ओर ऐसी दुर्लभ तस्वीर देखकर असहनीय पीड़ा का एहसास होता है। क्या आज पानी जैसी बुनियादी चीज के लिए तरसते अच्छे लगते हैं। पानी को लेकर हरियाणा में एक व्यक्ति की मौत हो गई तो वहीं दिल्ली में लोग एक बाल्टी पानी के लिए एक- दूसरे को जान से मारने पर उतारू हो जाते हैं। कई जगहों पर लडाई हुई जिसमें एक शख्स का सिर तक फट गया। इस मामले में हर किसी को अपना किरदार ईमानदारी से निभाना होगा। जैसा कि दिल्ली में जल संकट की स्थिति हर वर्ष ऐसी ही रहती है तो दिल्ली सरकरा को पहले से तैयारी या पड़ोसी राज्यों से बातचीत करनी चाहिए।

बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण कर घर बनाना शुरू
विशेषज्ञों के अनुसार दिल्ली के जल संकट का सबसे बड़ा कारण यह है कि यहां पर पर्याप्त जल क्षेत्र नहीं है। कभी दिल्ली के कुल 1500 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में लगभग 18 वर्ग किलोमीटर इलाका जल क्षेत्र हुआ करता था। इसमें भी सबसे अधिक हिस्सा यमुना के बहाव क्षेत्र का हुआ करता था। एक जमाने में यह जल क्षेत्र लोगों की प्यास बुझाने के लिए पर्याप्त हुआ करता था। लेकिन कई लोगों ने यमुना के बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण कर घर बनाना शुरू कर दिया और यह अब थोड़े बहुत नहीं बहुत अधिक बन गए और हर रोज वहां कब्जा होता जा रहा है, जिसको लेकिन शासन-प्रशासन की ओर से कोई भी कार्यवाही नहीं की जा रही। ज्ञात हो कि पिछले वर्ष दिल्ली में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई थी। इस दौरान दिल्ली की यमुना खादर में रह रहे लोगों को बाहर आना पड़ा और जब यह बाहर आए तो प्रशासन के हाथ-पैर फूल गए थे चूंकि उनको बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि इतने लोग यमुना खादर में इतने लोग रहे थे। जब उन लोगों को बाहर निकाल कर सड़कों के किनारे शिफ्ट किया गया तो ऐसा लगा कि कोई कॉलोनी बस गई हो।

सृष्टि का नष्ट होना व मानव जीवन पर प्रहार होना
अब समझिए कि यहां दिल्ली सरकार की लापरवाही की वजह से शेष जल क्षेत्र भी अतिक्रमण का शिकार हुए जिससे जल क्षेत्र सिकुड़ गया। इसका यह असर हुआ है कि दिल्ली का भूगर्भीय जल स्तर भी बहुत कम हो गया है। जब पानी एकत्रित होने की जगह मनुष्य ले लेंगे तो सृष्टि का नष्ट होना व मानव जीवन पर प्रहार होना तय है। दरअसल यहां सारा खेल वोट बैंक का है। राज्य सरकार इनके आधार कार्ड व वोटर आईडी बना देती है और समय आने पर उनके मत का प्रयोग करती है। जबकि जो लोग यहां आकर बसे हैं उनका इतिहास किसी को स्पष्ट नहीं पता। कोई कहता है यह काम की खोज में बाहरी राज्यों से आ लोग हैं तो कोई इनके विषय में अन्य अलग-अलग कारण बताता है लेकिन कारण कोई भी हो यहां रह रहे लोगों ने अपनी पूरी कॉलोनी सी बना ली जो बेहद रिस्की भी है, चूंकि यदि अचानक यहां पानी आ जाए तो कई लोगों की जान जा सकती है चूंकि बाढ़ के समय पर यहां फंसे लोगों को निकाला था तो इस बात का एहसास हुआ था। बहरहाल, दिल्ली की हाल की स्थिति के लिए सभी को राजनीति छोड़कर जनता के लिए पानी की व्यवस्था करनी होगी चूंकि अब पानी कम होने की वजह से पानी सर के ऊपर जा रहा है। राजनीति करने के लिए तमाम मुद्दे हैं लेकिन पानी जैसे बुनियादी चीज के लिए जनता तरसे तो यह सभी राजनीतिक दलों के लिए बेहद बेशर्मी की बात है चूंकि जल मानव जीवन का पर्यायवाची है और इंसान इसके बिना जिंदा नहीं रह सकता।
योगेश कुमार सोनी : (लेखक वरिष्ठ पत्रकार है, ये उनके अपने विचार है।)

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