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ms dhoni: महेंद्र सिंह धोनी क्या भविष्य में राजनीति में एंट्री करेंगे? इसे लेकर बीसीसीआई के एक बड़े पदाधिकारी ने एक इंटरव्यू में दिलचस्प खुलासा किया है।

ms dhoni: महेंद्र सिंह धोनी को इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लिए लंबा वक्त हो चुका है लेकिन, आज भी उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है। आधुनिक समय के फैंस के लिए, धोनी का नाम विराट कोहली, रोहित शर्मा, स्टीव स्मिथ, जो रूट, केन विलियमसन से आज भी बड़ा है। 
उनकी कप्तानी में, भारत ने 2007 टी20 विश्व कप, 2011 वनडे विश्व कप और 2013 चैंपियंस ट्रॉफी जीती, और वह तीन अलग-अलग सीमित ओवर के ICC टूर्नामेंट जीतने वाले इकलौते कप्तान हैं। 

इतनी लोकप्रियता होने के बावजूद 43 साल के धोनी ने अब तक सियासत में प्रवेश नहीं किया है। अतीत में भी ऐसी अफवाहें उड़ी थीं, लेकिन उन्हें महज अटकलें मानकर खारिज कर दिया गया क्योंकि ऐसा कभी नहीं हुआ। यह उनके आईपीएल करियर के कारण भी हो सकता है, क्योंकि वह अभी भी चेन्नई सुपर किंग्स की तरफ से आईपीएल खेल रहे हैं। 

धोनी का राजनीति में न आना भी उनके स्वभाव के कारण हो सकता है क्योंकि वो सुर्खियों में नहीं रहना चाहते। कई पूर्व खिलाड़ियों और साथियों ने सार्वजनिक रूप से खुलासा किया है कि धोनी मोबाइल तक नहीं रखते हैं और न ही सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं। अगर उनसे किसी को बात करनी होती है तो वो उन्हें पहले उनके एजेंट को फोन करना पड़ता है। हालांकि, बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने धोनी के राजनीति में आने को लेकर दिलचस्प बात बताई थी। 

एक पॉडकास्ट में राजीव शुक्ला ने धोनी को लेकर कहा था कि वो अच्छे नेता बन सकते हैं। शुक्ला ने धोनी को लेकर कहा था, 'यह उन पर निर्भर करता है कि वह राजनीतिज्ञ बनेंगे या नहीं। सौरव, मुझे हमेशा लगता था कि वह बंगाल की राजनीति में प्रवेश करेंगे। धोनी राजनीति में भी अच्छे हो सकते हैं। वह आसानी से जीत जाएंगे, वह लोकप्रिय हैं। मुझे नहीं पता कि वह राजनीति में प्रवेश करेंगे या नहीं, यह पूरी तरह से उनके हाथ में है।'

राजीव शुक्ला ने धोनी के साथ एक दिलचस्प बातचीत का भी खुलासा किया, जब माही के चुनाव लड़ने की अफवाह थी। उन्होंने खुलासा किया, 'मैंने उनसे एक बार पूछा था कि आपके लोकसभा चुनाव लड़ने की जानकारी आ रही है। तब धोनी ने मुझसे कहा था,'नहीं, नहीं, नहीं'। राजनीति से धोनी की दूरी को समझाने की कोशिश करते हुए, शुक्ला ने कहा कि वो लाइमलाइट में नहीं रहना चाहते हैं। वो अपने साथ मोबाइल फोन भी नहीं रखते। बीसीसीआई के चयनकर्ताओं के लिए उनसे संपर्क करना भी मुश्किल था, क्योंकि उनके पास कोई मोबाइल नहीं था। प्रसिद्धि से दूर रहना या जो भी उनका स्वभाव है, वह उनका स्वभाव है। वे कोई संन्यासी नहीं हैं। वे हर काम को गंभीरता से करते हैं, उसमें कोई हल्कापन नहीं है।

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