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Manu bhakar Paris Olmypics 2024 Bronze Medal: टोक्यो ओलंपिक में पिस्टल ने दिया धोखा, कौन हैं मनु भाकर, जिन्होंने पेरिस ओलंपिक में भारत को दिलाया ब्रॉन्ज मेडल।  

Manu bhakar Paris Olmypics 2024: पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत का पहला मेडल शूटिंग में आया। 10 मीटर एयर पिस्टल प्रतियोगिता में भारत की मनु भाकर ने फाइनल में तीसरे स्थान रहते हुए ब्रॉन्ज मेडल जीता। ये मनु का पहला ओलंपिक मेडल है। वो भारत की तरफ से शूटिंग में ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली महिला निशानेबाज हैं। उनसे पहले शुमा शिरुर जो पेरिस ओलंपिक में मनु की कोच हैं, उन्होंने 2004 के एथेंस ओलंपिक में वुमेंस शूटिंग इवेंट के फाइनल में जगह बनाई थी। शुमा के उपलब्धि के 20 साल बाद कोई भारतीय महिला निशानेबाज किसी शूटिंग इवेंट के फाइनल में पहुंचा और पदक जीतकर इतिहास रच दिया। 

22 साल की मनु भाकर ने फाइनल में 221.7 का ्स्कोर हासिल कर ब्रॉन्ज मेडल जीता। एक समय वो सिल्वर मेडल के करीब थीं। लेकिन, 0.1 अंक के अंतर से वो ये पदक चूक गईं। 

कोरिया की ओह ये जिन ने 243.2 के नए ओलंपिक रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल जीता और उनकी हमवतन येजी किम ने भाकर को पछाड़कर 241.3 के स्कोर के साथ सिल्वर मेडल जीता। 

बता दें कि टोक्यो ओलंपिक के क्वालिफाइंग राउंड में मनु की पिस्टल खराब हो गई थी। उन्हें 44 शॉट लगाने थे। लेकिन, 20 मिनट तक वो निशाना नहीं लगा पाईं थीं। पिस्टल ठीक हुई, तब भी मनु केवल 14 शॉट ही लगा पाईं और फाइनल की रेस से बाहर हो गईं थीं। इसके बाद वो मायूसी हो गईं थीं। उन्हें काफी ज्य़ादा आलोचना झेलनी पड़ी थी। मनु उस वक्त जब भारत लौटीं थीं तो उतनी उदास और मायूस थीं कि मां को उनकी चिंता होने लगी थी। इसलिए पिस्टल तक छिपा दी थी। ताकि मनु की उस पर नजर न पड़े। लेकिन, सब से लड़ते हुए मनु ने अपने खेल में सुधार किया और पेरिस में इतिहास रच दिया। 

पेरिस ओलंपिक के पहले दिन मनु भाकर ने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में क्वालीफिकेशन राउंड में 580 अंक लेकर तीसरा स्थान हासिल किया था। मनु भाकर ने क्वालीफिकेशन में सबसे ज्यादा परफेक्ट स्कोर (27) भी बनाए थे और फाइनल में जगह बनाई थी।

प्रिंसिपल मां मनु को डॉक्टर बनाना चाहतीं थीं
मनु की मां डॉक्टर सुमेधा भाकर एक स्कूल में प्रिंसिपल हैं। वो अपनी बेटी को डॉक्टर बनाना चाहती हैं। लेकिन, स्कूल के स्पोर्ट्स टीचर ने मनु को स्पोर्ट्स में आगे बढ़ाने को कहा। तब स्पोर्ट्स टीचर ने कहा कि डॉक्टर को कौन जानेगा अगर मनु देश के लिए पदक जीतेगी तो पूरी दुनिया में नाम होगा। मां को भी स्पोर्ट्स टीचर की सलाह रास आई और यहीं से उनके खेल करियर की शुरुआत हुई। 

बॉक्सिंग छोड़ शूटिंग में हाथ आजमाया
मनु के पिता रामकिशन भाकर उन्हें बॉक्सर बनाना चाहते थे। क्योंकि मनु के भाई भी मुक्केबाज थे। इसलिए मनु भी बॉक्सिंग करने लगीं थीं। राष्ट्रीय स्तर पर भी पदक भी जीते। लेकिन, एक दिन अभ्यास के दौरान आंख में चोट लग गई। सूजन हो गई। इसके बाद मां ने उन्हें मुक्केबाज करने से इनकार कर दिया। मां अड़ गईं कि जिस खेल में बेटी को इस तरह से चोट लगेगी, वो ऐसे खेल का हिस्सा मनु को नहीं बनाएंगी।

इसके बाद बॉक्सिंग छोड़ मनु ने मार्शल आर्ट्स में हाथ आजमाया। इसमें उन्हें लगा की बेईमानी होती है। इसके बाद उन्होंने ये गेम भी छोड़ दिया। फिर आर्चरी, टेनिस के अलावा कई खेलों में हाथ आजमाया। लेकिन, मन नहीं लगा और फिर स्कूल में गन थामी और शूटिंग में हाथ आजमाया औऱ पहले निशाना लगाते ही स्पोर्ट्स टीचर ने कह दिया कि ये लड़की बड़ी निशानेबाज बनेगी। वहीं, से मनु के शूटर बनने का सफर शुरू हुआ था। 

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