रायपुर। सरकार ने आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़ा करने वाले अस्पतालों पर सर्जिकल स्ट्राइक कर दी। कई नामचीन अस्पतालों को योजना से बाहर कर दिया। हरिभूमि के पास सभी अस्पतालों की कुंडली है। अस्पतालों ने किस-किस तरह से फर्जीवाड़ा किया है। रायपुर के मोर हॉस्पिटल में मरीजों को आईसीयू की ड्रेस पहनाकर फोटो खींचकर जनरल वार्ड में भर्ती कर इलाज किया जा रहा था। बिलासपुर के मार्क अस्पताल और श्रीमंगाल अस्प्ताल में एमबीबीएस डाक्टर की जगह बीएएमएस डाक्टर मरीजों का उपचार कर रहे थे। लगभग सभी अस्पतालों में योजना के तहत मरीजों की कम एंट्री और उनसे अतिरिक्त शुल्क मांगने की शिकायत मिली।
वहीं श्रीश्याम अस्पताल में गड़बड़ी पाए जाने के बाद जांच टीम को रिश्वत देने के प्रयास किया गया। जांच रिपोर्ट में उसका उल्लेख किया गया है। स्वास्थ्य सचिव अमित कटारिया के निर्देश पर आयुष्मान एवं शहीद वीरनारायण सिंह स्वास्थ्य सहायता योजना का संचालन करने वाली स्टेट नोडल एजेंसी ने रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग के 28 निजी अस्पतालों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक किया था और गड़बड़ियां पकड़े जाने पर उनके खिलाफ अलग-अलग अवधि में निलंबन और चेतावनी जारी करने की कार्रवाई की थी।
छापामार टीम ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के इनपुट में इन अस्पतालों में जाकर जांच की तो कई गंभीर मामले सामने आए। राजधानी के देवेन्द्र नगर इलाके में स्थित मोर हास्पिटल में तो फर्जीवाड़े की हद थी। आईसीयू का पैकेज ब्लाक करने के लिए सामान्य बीमार वाले मरीजों की आईसीयू के ड्रेस में फोटो खींचते थे और दो मिनट बाद उन्हें जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाता था। बदन दर्द और कमर के नीचे दर्द वाले सीनियर सिटीजन को आईसीयू के पैकेज भर्ती कर इलाज किया जातना था। सामान्य मरीजों की पैथोलॉजी और बायोकेमेस्ट्री रिपोर्ट मनगढ़ंत तैयार की गई थी उन्हें लक्षण आधारित दवा दी जाती थी।
बिलासपुर के दो अस्पतालों में बीएएमएस डॉक्टर
बिलासपुर के एक मार्क हास्पिटल में तो एमबीबीएस डाक्टरों का वेतन बचाने के लिए बीएएमएस डाक्टरों से इलाज कराया जाता था। वहां एक मरीज से उपचार का प्रतिदिन शुल्क लिया जाता था और योजना से केवल बेड चार्ज ही काटा जा रहा। सभी अस्पतालों में एक फर्जीवाड़ा कॉमन थी कि उनके द्वारा योजना के हितग्राहियों से अतिरिक्त पैसा लिया जाता था और ज्यादा मरीज होने के बाद कम एंट्री दिखाकर योजना के लिए पैकेज ब्लाक किया जाता था।
फर्जीवाड़ा की तो हद...
श्री श्याम हास्पिटल रायपुर :- सबसे गंभीर लापरवाही जांच के लिए पहुंची टीम को रिश्वत देने की कोशिश की गई। जांच के दौरान एयर और वाटर, फायर एनओसी, बीएमडब्ल्यू समझौता, ब्लड बैंक और एम्बुलेंस अनुबंध नहीं मिला। पुरुष और महिला रोगियों के लिए अलग-अलग शौचालय नहीं। मेडिसिन विशेषज्ञता पैनल में शामिल होने के बाद आईसीयू नहीं।
गुडविल हास्पिटल रायपुर :- आयुष्मान योजना के तहत मरीजों की एंट्री बैकडेट में, विभिन्न जांच के लिए मरीजों से शुल्क लेने की शिकायत। शारीरिक रूप से स्थिर मरीजों को ऑक्सीजन स्पोर्ट वाला बताया गया। एक मरीज दो को बार भर्ती और उसी बीमारी के इलाज के लिए दूसरी बार शुल्क लिया गया।
रामकथा हास्पिटल रायपुर :- एक ही वार्ड में महिला-पुरुष मरीज, सबसे ज्यादा ईएनटी-डीसीआर, नेत्र विज्ञान- पार्टिगियम रिसेक्शन, बिना सुविधा का आईसीयू योजना के तहत मरीजों की अधूरी फाइल, मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल के रूप में सूचीबद्ध होने के बावजूद ईएनटी के अलावा कोई अन्य विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं है। कोई भी एमबीबीएस ड्यूटी डॉक्टर मौजूद नहीं थे।
कान्हा हास्पिटल रायपुर :- लामा ले चुके मरीज का तीन दिन अतिरिक्त इलाज, एक मरीज का अस्पताल के रिकार्ड के अनुसार लिपोमेनिंगोसेले का निदान किया गया था, लेकिन टीएमएस रिकॉर्ड के अनुसार, निमोनिया के तहत बच्चे का उपचार किया गया। योजना के मरीजों से अतिरिक्त पैसा लिया गया।
मंगला हास्पिटल बिलासपुर :- जांच के दौरान एंट्री मरीजों की संख्या 30 थी मगर वार्ड में 23 मरीज थी। महिला-पुरुष के लिए एक ही वार्ड, योजना में 11 विशेषज्ञ चिकित्सकों का जिक्र मिले केवल 3. इमरजेंसी वार्ड में गैस पाइप कनेक्शन, मॉनिटर सहित अन्य सामान गायब मिले।