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कलेक्ट्रेट परिसर को आग के हवाले करने वाली भीड़ में शामिल और उनको उकसाने वाले एक-एक कर धरे जा रहे हैं। कई नेतानुमा लोग छुपते फिर रहे हैं, वहीं इस पूरे आयोजन के लिए फंडिंग करने वालों को भी डर सता रहा है।

कुश अग्रवाल-बलौदाबाजार। जिला मुख्यालय बलौदाबाजार स्थित कलेक्ट्रेट परिसर में 10 जून को हुई हिंसा और आगजनी की आग भले ही अब ठंडी हो गई हो, लेकिन हिंसा के बाद से लोगो की जुबान पर चर्चाओं का बाजार अब तक गर्म है। 

लगातार पुलिस तकनीकी विश्लेषण के आधार पर उपद्रवियों की गिरफ्तारी कर रही है। अभी तक बलौदाबाजार पुलिस इस मामले में 145 लोगों की गिरफ्तारी कर चुकी है। गिरफ्तार लोगों में सामाजिक नेता, राजनीतिक कार्यकर्ता, पत्रकार, जनप्रतिनिधि समेत कई लोग शामिल हैं। जो सीधे तौर पर बलौदाबाजार हिंसा की साजिश में शामिल थे। पुलिस इनको गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। 

भीड़ को भड़काने वाले नेता नुमा लोग हुए अंडरग्राउंड

कई सफेदपोश नेता जो इस आंदोलन की अगुवाई कर रहे थे और उनका नाम सीधे तौर पर भीड़ को हिंसा के लिए भड़काने और साजिश रचने के आरोपियों में शामिल हैं, वो गिरफ्तारी के डर से भूमिगत हो गए हैं। जिन्हे ढूंढने के लिए पुलिस की अलग- अलग टीमें छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों की खाक छान रही है। इस टीम में डीएसपी स्तर तक के अधिकारी शामिल किए गए हैं। वहीं पुलिस के सूचना तंत्र द्वारा टेक्निकल मध्यम से भी इनके छुपे होने की जगह पर दबिश दे रही है। इनकी गिरफ्तारी के बाद ही इस साजिश के चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।

फंडिंग करने वाले हैं परेशान

इसके अलावा बताया जा रहा है कि, क्षेत्र के अनेक लोग ऐसे हैं जिन्होंने इस पूरे हिंसाकांड के लिए फंडिंग की थी। अब जब पुलिस की सख्ती दिख रही है तो इनमें से अनेक ऐसे हैं जिनको अपनी नौकरी से हाथ धो बैठने का खतरा दिखने लगा है। 

मुख्यमंत्री ने दिए सख्त कारवाई के निर्देश 

इस बारे में प्रदेश के मुखिया विष्णुदेव साय ने पहले ही कह दिया है कि, लोकतंत्र में आंदोलन, धरना, प्रदर्शन का अधिकार सबको है, लेकिन इस तरह शासकीय संपत्ति का नुकसान करने वाले लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। उन पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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