एनिश पुरी गोस्वामी - मोहला। मोहला के ग्राम लेड़ीजोब में पांचवें दिन तक डायरिया के मरीजों की संख्या पचयासी तक पहुंच गई है। स्वास्थ्य विभाग की मुस्तैदी से 65 मरीज स्वस्थ भी हो गए हैं। पांच लोग स्वास्थ्य केन्द्र कौड़ीकसा में भर्ती हैं तो बाकी मरीज अपने-अपने घरों में इलाज करवा रहे हैं।
बता दें कि, अम्बागढ़ चौकी विकासखण्ड के ग्राम लेड़ीजोब में हैंड पंप का दूषित पानी का उपयोग करने के कारण एक ही मुहल्ले के महिला, पुरुष और बच्चे डायरिया के प्रकोप से प्रभावित हो गए थे। उल्टी-दस्त से गंभीर मरीजों का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कौड़ीकसा, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अम्बागढ़ चौकी और दल्ली राजहरा में इलाज करवाया गया था। राहत की बात यह है कि, आज एक भी मरीज नहीं मिला। पहले से पीड़ित पांच मरीजों का प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कौड़ीकसा में उपचार चल रहा है। गांव में अभी भी महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता एन रावटे मितानिन और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका मुस्तैदी से अपनी सेवा दे रहे हैं।
दूषित जल स्त्रोत को बन्द किया गया
गांव में स्थापित हैण्ड पम्प जिसके पानी का उपयोग करने से ग्रामीण उल्टी-दस्त से पीड़ित हुए थे। उस जल स्त्रोत को बन्द कर दिया गया है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने जांच के लिए पानी का सैम्पल ले लिया है। अभी सैंपल का रिपोर्ट नहीं आया है।
प्रशासनिक अमला और जनप्रतिनिधी लेड़ीजोब पहुंचे
डायरिया का प्रकोप होने की सूचना मिलने पर पांचवें दिन अनुविभागीय अधिकारी मोहला डॉ हेमेन्द भुआर्य, तहसीलदार चौकी अनुरिमा टोप्पो, नायब तहसीलदार दिनेश साहू, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत चौकी प्रियवंदा रामटेके, पूर्व सांसद मधूसुदन यादव भाजपा जिला अध्यक्ष मदन साहू भी अपने दल बल के साथ पीड़ितों का हालचाल जानने गांव पहुंचे।
नाले में रासायनिक पानी से दूषित हुआ जल स्त्रोत
बस्ती से लगे हुए नाले के तट पर हैण्ड पम्प स्थापित है जहां का पानी मुहल्ले वाले उपयोग करते हैं। लगातार बारिश से नाला का जल स्तर बढ़ा और हैंडपंप में समा गया। दरअसल, नाले के ऊपरी भाग में किसानों का जमीन है। फसल बोने के साथ रासायनिक खाद, यूरिया, डीएपी पोटाश का छिड़काव करते हैं। कीटों की रक्षा के लिए कीटनाशक दवाइयों का उपयोग करते हैं। अनवरत बारिश से खेत-खलिहान पानी से लबालब हो गए और बहने लगे। उसी बहाव में खेत में डाले गए केमिकल नाले में बहकर आ गया और केमिकल युक्त पानी जल स्त्रोत में समा गया। ग्रामीण रोज की तरह ही हैंडपंप का पानी उपयोग करने लगे और इस तरह से डायरिया का शिकार हो गए।