रामचरित द्विवेदी- मनेन्द्रगढ़। छत्तीसगढ़ के मनेन्द्रगढ़ शहर के आमा- खेरवा इलाके में संचालित नेत्रहीन दिव्यांग विद्यालय में पढ़ाई कर रहे छात्र रामेश्वर ने अपनी मानवता और समाज के प्रति जिम्मेदारी का परिचय देते हुए रक्तदान किया। यह कदम न केवल उनके आत्मबल को दर्शाता है। बल्कि, यह भी बताता है कि, समाज में हर व्यक्ति, चाहे उसकी शारीरिक स्थिति जैसी भी हो, दूसरों की मदद कर सकता है और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
रामेश्वर का यह कदम बहुत प्रेरणादायक है। नेत्रहीन होते हुए भी उन्होंने यह साबित कर दिया कि अगर इरादा मजबूत हो तो कोई भी कार्य असंभव नहीं होता। उन्होंने अपने रक्तदान के द्वारा जरूरतमंदों की मदद की और एक ऐसा संदेश दिया, जो सभी को प्रेरित करेगा कि वे भी समाज में अपना योगदान दें। रामेश्वर के इस साहसी कदम को विद्यालय प्रशासन और स्थानीय समुदाय ने सराहा। विद्यालय के प्रधानाचार्य ने कहा कि, रामेश्वर ने एक बेहतरीन उदाहरण पेश किया है। यह हम सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है और हमें अपने समाज में ऐसे कार्यों को बढ़ावा देना चाहिए।
समाज में समानता और एकजुटता का बना प्रतीक
रामेश्वर का रक्तदान न केवल जीवन रक्षक था। बल्कि, यह समाज में समानता और एकजुटता का भी प्रतीक बना। उनके इस कार्य से यह संदेश गया कि, जब हम एकजुट होते हैं तो हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं और एक बेहतर समाज की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।