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राजिम में अब खंदक की लड़ाई शुरू हो गई है। दोनो पार्टी कांग्रेस और भाजपा इसे प्रतिष्ठा का सवाल बनाकर प्रचार अभियान को तेज कर दिया है। प्रचार अभियान की तेजी में भीड़ तंत्र का पूरा-पूरा उपयोग हो रहा है। 

श्यामकिशोर शर्मा- राजिम। छत्तीसगढ़ के राजिम के नगर पंचायत में अब खंदक की लड़ाई शुरू हो गई है। दोनो पार्टी कांग्रेस और भाजपा इसे प्रतिष्ठा का सवाल बनाकर प्रचार अभियान को तेज कर दिया है। प्रचार अभियान की तेजी में भीड़ तंत्र का पूरा-पूरा उपयोग हो रहा है। क्योंकि जिनके साथ या जिनकी रैलियों में भीड़ नजर आ रही है तो स्वाभाविक ही लोगो की निगाहें उन पर पड़ रही है और यही चर्चा का विषय बना हुआ है। 

जहां चौक- चौराहों, शहर के प्रमुख सड़को एवं होटल, पान दुकानों में लोग चटकारे लेकर बातचीत करने लगे है कि, कांग्रेस की रैली में भारी भीड़ दिख रही है, तो कोई कह रहा है भाजपा की रैली में भी खासा भीड़ है। वहीं राजनीतिक प्रेक्षक बता रहे हैं कि, कांग्रेस प्रत्याशी पवन सोनकर अपना पूरा दम लगा दिए है। सुबह से जो निकलते है तो देर शाम घर लौटते है। बावजूद उनके चेहरे पर जरा भी थकावट नहीं झलकती। कांग्रेस के लोग कदम से कदम मिलाकर उन्हें साथ दे रहे है। ईधर यदि बात भाजपा की करे तो प्रत्याशी महेश यादव भी खूब मेहनत कर रहे हैं। सुबह 7 बजे ही वे कई मुहल्लो में पहुंचकर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं और लोगों से संपर्क कर रहे है। भाजपा की रैली में भी भीड़ अच्छा खासा दिख रही है। भीड़ दिखाने के लिए हरा पत्ती भी खूब लग रहे है। खैर स्थानीय चुनाव में चेहरा और सिम्बॉल के अलावा हरा पत्ती का बहुत ज्यादा महत्व है। 

Candidates Pawan Sonkar and Mahesh Yadav
प्रत्याशी पवन सोनकर और महेश यादव  

दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता सजग 

आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव में पराजय के बाद पिछले सवा साल से कांग्रेस जिस तरह बैकफुट पर आ गई थी। अब वह एकजुटता और आक्रामकता दिखा रही है। उससे लग रहा है कि नगर पंचायत के अध्यक्ष पद एवं बहुमत को लेकर काफी संजीदा हो गई है। जबकि, भाजपा अनुशासित पार्टी होने के बाद भी उस तरह से नजर नहीं आ रही है, जैसा कि, होना चाहिए। मसलन पार्टी के कई ऐसे कार्यकर्ता है, जिनके मन में हमको क्या करना है? वाली बात चल रही है। राजिम एक ऐसा शहर है यहां के तासीर को समझना उतना आसान काम नही है फिर यह तो स्थानीय चुनाव है। स्थानीय चुनाव में किसी प्रकार से किसी के साथ बैर और दुश्मनी न हो इस बात का भी ख्याल दोनो पार्टी के कार्यकर्ता बड़ी शालीनता के साथ रख रहे है। 

दोनों प्रत्याशी आपस में गहरे मित्र 

राजिम यह सभी को मालूम है कि दोनों पार्टी के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी पवन और महेश के बीच कितनी गहरी मित्रता है। चुनाव के दौर में भी ये दोनो आपस में जब मिलते हैं तो बहुत ही प्रेम के साथ। उनकी मित्रता से शहर के सारे लोग वाकिफ है। इसके साथ ही दोनों के बीच अभी तक तो सीधी टक्कर नजर आ रही है। ये अलग बात है कि मैदान में चार निर्दलीय भी खड़े हुए है। चुनाव में उलटफेर होना कोई बड़ी बात नही होती। कभी किसी का पलड़ा भारी दिखता है तो कभी किसी का। दुश्मन को कमजोर समझना भी बड़ी भूल होती है। कब किसका समीकरण बदल जाए जनता किसे ताज पहना दे कुछ कहा नही जा सकता। 

गर्मी में पीने के पानी का भी इंतजाम 

भीड़ बढ़ाने के लिए रैलियो में जा रही माताओं- बहनो को अब पिछले दो दिन से तेज धूप और गर्मी की विकरालता ने सोचने पर मजबूर कर दिया है। क्योंकि, 10 बजते ही सूर्यदेव आग उगलने लगे हैं। जिस तरह से मार्च में गर्मी की शुरूआती दौर होती है, कमावेश यह तपन अभी से लग रही है। 32-33 डिग्री तापमान हो गया है। सर पे गमछा रखना जरूरी समझा जा रहा है। झंडा लेकर पैदल चलते हुए महिलाएं थक जा रही है। प्रत्याशियो के लिए पीने के पानी का खर्चा भी बढ़ गया है। पानी पाऊच का इंतजाम करना पड़ रहा है। 

डोर-टु-डोर जाकर प्रत्याशी कर रहे प्रचार 

कई महिलाएं अपने घर से पानी बॉटल लेकर रैली में आ रही है। दो घंटा पैदल चलने के बाद कहीं छाया देखकर झाड़ के नीचे थोड़ा विश्राम के लिए रूकना जरूरी हो गया है। 12-1 बजे के बाद सब पसीने से तरबतर हो रहे है। मगर क्या करे मजबूरी है। रैलियों में नही जाएंगे तो रोजी कैसे मिलेगी? प्रत्याशी तो भीड़ दिखाना चाह ही रहे है। चाहे खर्चा बढ़े, चाहे कुछ भी इंतजाम करना पड़े वे भी कर रहे है। कुल मिलाकर चुनाव दिन ब दिन महंगा होते चला जा रहा है। प्रत्याशी अब ये सोचने लगे है कि कब मतदान का तारीख जल्दी आ जाए। मतदान 11 फरवरी को होगा। रैलियां ज्यादा से ज्यादा 4-5 दिन और चलेगी उसके बाद चुनाव प्रचार पर ब्रेक लग जाएगा। फिर डोर-टु-डोर एक-एक घरो में जनसंपर्क के लिए प्रत्याशी सहित उनके समर्थको की धमक बढ़ जाएगी। 

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