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सांप के काटने पर जांच उपरांत पीड़ित परिवारों को मिलने वाले मुआवजे के तरीके में अब बदलाव कर दिया गया है। मुआवजे की अर्जी लगाने वालों के लिए रीजनल फॉरेंसिक लैब द्वारा अब एक नया निर्देश जारी किया गया है। 

राजनांदगांव। सांप के काटने पर जांच उपरांत पीड़ित परिवारों को मिलने वाले मुआवजे के तरीके में अब बदलाव कर दिया गया है। मुआवजे की अर्जी लगाने वालों के लिए रीजनल फॉरेंसिक लैब द्वारा अब एक नया निर्देश जारी किया गया है। जिसके तहत सर्पदंश के मामलों में जांच के लिए सैंपल जमा करने के तरीके में बदलाव कर दिया गया है। अब सर्पदंश के मामलों में विवेचकों को पीड़ित या मृतक के शरीर के जिस हिस्से में सांप ने काटा होगा, उस हिस्से की चमड़ी को काटकर नमक में लपेटकर लैब में जमा करना होगा। ऐसा करने पर ही यह तय होगा कि पीड़ित को मुआजवा दिया जाएगा या नहीं। 

मिली जानकारी के अनुसार, बीते दिनों रीजनल फॉरेंसिक लैब के इंचार्ज ने दुर्ग एवं राजनांदगांव संभाग के आईजी एवं एसपी को एक पत्र जारी किया है। जिसमें यह उल्लेख किया गया है कि जिस तरीके से सर्पदंश के मामलों में सैंपल जमा हो रहे हैं, उससे जांच किए जाने पर सटीक रिपोर्ट नहीं आ रही है। 

सालभर में पौने दो सौ मामले 

राजनांदगांव जिले में 1 वर्ष के भीतर सर्पदंश के 173 मामले शासकीय अस्पतालों में आए हैं। वनांचल क्षेत्र छुरिया, डोंगरगढ़ और आसपास के ग्रामीण क्षेत्र से अधिकांश सर्पदंश के मामले आते हैं। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्रतिदिन सर्पदंश से पीड़ित एक-दो मरीज पहुंचते हैं। यहां महीनेभर में लगभग 20-25 सर्पदंश के मामले मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचते हैं। जिले के प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों सहित जिला अस्पताल और अन्य निजी अस्पतालों सहित लगभग 60 से 70 मामले सर्पदंश के आते हैं।

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