राहुल शर्मा - दुर्ग। किसानों के शेयर पर टिके जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में आवास ऋण के नाम पर करोड़ों का घोटाला किया गया है। दुर्ग जिले के नगपुरा ब्रांच में करीब 16 हितग्राहियों के दस्तावेज और स्थल निरीक्षण किए बगैर ढाई करोड़ रुपए ऋण बांट दिया गया, लेकिन नियमित वसूली नहीं होने से खाता डूबत में चला गया है। ऋण स्वीकृति के बाद किस्तों की राशि जमा नहीं होने पर कराए गए जांच में चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, 16 लोगों को 2 करोड़ 51 लाख ऋण दिया गया। जांच में 62 लाख 92 हजार का ही मूल्यांकन किया गया। इसमें दुर्ग के नगपुरा स्थित तत्कालीन शाखा प्रबंधक गजाधर साहू द्वारा फर्जी एनओसी, वैल्यूवेशन में गड़बड़ी की गई थी। यही नहीं, कर्ज बांटने के पहले और बाद में स्थल निरीक्षण भी नहीं किया गया था। जांच टीम ने यह भी पता लगाया कि बंधन व प्रतिभूति भी अपूर्ण पाई गई। साथ ही जिस आवास के लिए ऋण दिया गया है, वह कागज ही अवैध पाया गया। इसमें निर्मित भवन की फोटोग्राफी, उपयोगिता प्रमाण पत्र और बड़ी बात यह है कि जमानतदार का विवरण भी सभी सोलह प्रकरण में उल्लेख ही नहीं किया गया। इस तरह दस्तावेज का निर्माण ही कूटनीति के आधार पर तैयार कर 16 लोगों को आवास ऋण जारी कर दिया गया। सूत्रों ने बताया कि इसमें एक भी किस्त जमा नहीं हुई हैं।
अफसरों से सांठगांठ का मामला
शाखा प्रबंधक पर लगे आरोप की जांच अतिरिक्त मुख्य पर्यवेक्षक कुसुम ठाकुर, विपणन अधिकारी हृदेश शर्मा, शाखा प्रबंधक कमलनारायण शर्मा एवं टीएल चंद्राकर ने की थई। जांच में जिन 16 लोगों को आवास ऋण दिया गया है। उसमें लगभग सभी नौकरीपेशा हितग्राही शामिल है, जबकि ऋण के लिए तैयार किए गए दस्तावेज में हितग्राहियों का सेवा का उल्लेख नहीं किया गया था। जांच में पता चला कि, लोन लेने के बाद सभी सेवानिवृत्त हो गए थे। इसमें इस बात पुष्टि हुई कि, जानकारी बूझकर हितग्राहियों की जानकारी छुपाई गई थी।
आज तक खजाने में रिकवरी नहीं
जांच टीम द्वारा सौंपे गए रिपोर्ट के अनुसार, शाखा प्रबंधक पर पहले 16 दिसंबर 2020 को निलंबन कार्रवाई की गई थी। रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख था कि, क्यों न ऋण राशि की रिकवरी आपसे की जाए, लेकिन जांच टीम की चतुराई ने आगे कार्रवाई होने नहीं दिया और मामला ही दबा दिया गया। हालात यह रही है कि, किसानों से पाई-पाई वसूलने वाले अफसरों ने बैंक को ही डूबत तक लाकर खड़े कर दिया है। जांच में यह भी कहा है कि, अगर एक हितग्राही की लगातार जांच व स्थल निरीक्षण की जाती तो दो करोड़ 51 लाख का सरकारी खजाना नुकसान में नहीं पहुंचता। रिपोर्ट में शाखा प्रबंधक को दोषी बताया गया था।
बेमेतरा कलेक्टर ने दर्ज कराई एफआईआर
बेमेतरा के नवागढ़ शाखा में भी विगत 11 जुलाई को आवास व अन्य वेयरहाउस बनाने लोन लिया गया था। इसमें करीब 75 लाख का चूना लगाया गया है। इस मामले में कलेक्टर रणबीर शर्मा ने नवागढ थाने में एफआईआर दर्ज कराया है। इसके साथ ही हरिभूमि ने बेमेतरा की ही देवकर शाखा और दुर्ग का मुरमुंदा शाखा में आवास ऋण मामला उजागर किया था, यहां भी 19 लाख का फर्जीवाड़ा किया गया था। फर्जी दस्तावेज और आवास बनाए बगैर ऋण देने का मामला सामने आया था।
दुर्ग जिले से संचालित 59 शाखा संचालित
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक दुर्ग जिले में स्थित है। यहां से ही बेमेतरा का 20 शाखा, बालोद का 21 और दुर्ग में 18 बैंक शाखा का संचालन किया जाता है। बहरहाल यहां प्राधिकृत अधिकारी खुद कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी है। उन्होंने हरिभूमि से कहा है कि जितने भी शाखा में आवास ऋण की गड़बड़ी हुई है। सभी में कड़ी कार्रवाई होगी। सीईओ श्रीकांत चंद्राकर ने कहा है कि, मामले की जांच कराई जा रही है। यहां यह बताना जरूरी है कि, बेमेतरा कलेक्टर ने जिस मामले में एफआईआर दर्ज कराया है। वहीं मामला नगपुरा, देवकर, मुरमुंदा में घटित हुई है। सूत्रों का कहना है कि, अगर तीनों जिले में आवास ऋण मामले में जांच कराए जाए तो बड़ा घोटाला सामने आएगा।
इन्हें दिया ऋण
जांच रिपोर्ट में किशोर कुमार कोरे, कुमार मेहत्तर, तुलसीदास कोसले, अरविंद प्रसाद, राजेन्द्र कुमार, अनिता सपहा, मनीराम कोसरे, नरेन्द्र मोहन साव, के राम मेहत्तर, डी चिट्टैया, कंचन कुमार डे, यदुराम सहारे, छन्नूलाल, बी धनलक्ष्मी, कृष्णाराम चरपे और मोहम्मद हसीम को दो करोड़ 51 लाख आवास ऋण दिया गया।