Delhi Elections 2025: आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच दिल्ली के पूर्वांचली वोटर्स को साधने की होड़ लगी हुई है। दोनों ही पार्टियां छठ के समय से अपने आप को पूर्वांचलियों का हितैषी बताने की कोशिश कर रही हैं। हालांकि इस जुबानी जंग के साथ ही भाजपा के पूर्वांचली नेता टिकट वितरण को लेकर भी नाराज हैं, जिसका वोटर्स पर असर पड़ सकता है। भाजपा ने पिछली बार 11 और पार्टी के सहयोगी दल जनता दल यूनाइटेड ने दो पूर्वांचली नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा था।
भाजपा और आप ने इतनी सीटों पर उतारे पूर्वांचली वोटर्स
हालांकि इस बार भाजपा ने छह पूर्वांचली नेताओं को टिकट दिया है, जो गिनती पिछली बार के मुकाबले आधी है। वहीं जनता दल यूनाइटेड ने एक और चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने एक पूर्वांचली उम्मीदवार को टिकट दी है। वहीं आम आदमी पार्टी ने 11 पूर्वांचली उम्मीदवारों को टिकट देकर मैदान में उतारा है। बीते दिनों इस मामले को लेकर आम आदमी पार्टी के नेता भाजपा पर लगातार हमलावर भी होते रहे।
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भाजपा और सहयोगी पार्टियों ने किसे दिया टिकट
इस बार भाजपा ने लक्ष्मी नगर विधानसभा सीट से अभय वर्मा, किराड़ी से बजरंग शुक्ला, संगम विहार से चंदन कुमार चौधरी, विकासपुरी से डॉ. पंकज कुमार सिंह, मालवीय नगर विधानसभा सीट से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे सतीश उपाध्याय और करावल नगर से कट्टर हिंदूवादी नेता कपिल मिश्रा को टिकट दिया है। वहीं जनता दल यूनाइटेड ने बुराड़ी सीट से शैलेंद्र कुमार और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने दीपक तंवर को चुनावी मैदान में उतारा है।
आम आदमी पार्टी ने इन नेताओं को दिया टिकट
आम आदमी पार्टी ने 11 पूर्वांचली उम्मीदवारों को टिकट देकर मैदान में उतारा है। आप ने बाबरपुर विधानसभा सीट से गोपाल राय को टिकट दी है। वहीं मालवीय नगर विधानसभा से सोमनाथ भारती, राजेंद्र नगर से दुर्गेश पाठक, मॉडल टाउन से अखिलेश त्रिपाठी, शालीमार बाग से बंदना कुमारी, बुराड़ी से संजीव झा, किराड़ी से अनिल झा, पटपड़गंज से अवध ओझा, समेत कई पूर्वांचली नेताओं को टिकट दिया है।
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30 से ज्यादा सीटों पर निर्णायक स्थिति में पूर्वांचली वोटर्स
बता दें कि दिल्ली में लगभग सभी सीटोंपर पूर्वांचली वोटर्स अच्छी संख्या में हैं लेकिन 30 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर पूर्वांचली वोटर्स निर्णायक स्थिति में हैं। इन वोटर्स ने साल 2015 और साल 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल का साथ देकर उन्हें अच्छे मतों से चुनाव जिताया था। हालांकि इस बार के चुनावी परिणाम क्या कहते हैं, ये कह पाना बेहद मुश्किल है क्योंकि आम आदमी पार्टी और भाजपा दोनों ही पार्टियां पूर्वांचली वोटर्स को साधने की पूरी कोशिश में लगे हुए हैं। इसके लिए दोनों ही पार्टियों की तरफ से जमकर बयानबाजी हो रही है।
छठ और वोट कटने पर हुई थी राजनीति
भाजपा नेताओं ने छठ के समय यमुना की सफाई, प्रदूषण, छठ घाटों पर अव्यवस्था को लेकर आम आदमी पार्टी को घेरने की कोशिश की थी। इसको लेकर दोनों ही पार्टियां एक के बाद एक आरोप-प्रत्यारोप कर रही थीं। इसके बाद आम आदमी पार्टी ने भाजपा पर पूर्वांचली वोटर्स के वोट कटवाने और उन्हें बांग्लादेशी कहने का आरोप लगाया। इस पर काफी लंबे समय तक राजनीति होती रही।
टिकट ने मिलने से नाराज उम्मीदवारों ने प्रचार से बनाई दूरी
भाजपा ने सबसे बाद में अपने उम्मीदवारों का खुलासा किया। ऐसे में कई पूर्वांचली वोटर्स को टिकट मिलने की उम्मीद थी लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिली और सिर्फ निराशा ही हाथ लगी। इससे उनके समर्थकों में नाराजगी नजर आई और टिकट न मिलने के कारण उम्मीदवारों ने विधानसभा चुनावों के लिए अपनी सक्रियता कम कर दी। ऐसे में इसका असर तीस से ज्यादा विधानसभा सीटों पर देखने को मिल सकता है।
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