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Vijendra Gupta on Arvind Kejriwal: नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली की तीनों लैंडफिल साइट्स को लेकर दिल्ली सरकार को घेरा है। उन्होंने एमसीडी, सीएम आतिशी और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है। 

Vijendra Gupta on Arvind Kejriwal: दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं के बयानों ने सियासत की गरमी बढ़ा रखी है। सभी राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप की बौछार कर रही हैं।  दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली के लैंडफिल साइट्स को लेकर दिल्ली सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। 

कूड़े के तीनों पहाड़ों की दिन प्रतिदिन बढ़ रही ऊंचाई

विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि एमसीडी की नाकामी के कारण दिल्ली में खड़े कूड़े के तीनों पहाड़ों की ऊंचाई दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। दिल्ली सरकार ने लैंडफिल साइट्स को गंभीरता से नहीं लिया, जिसके कारण इसका खामियाजा दिल्ली की जनता को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि गाजीपुर, ओखला और भलस्वा में स्थित कूड़े के पहाड़ आतिशी सरकार की नाकामी के कारण कूड़ा मुक्त नहीं हो पाईं। 

चुनावी मुद्दे भूल गए 'आप'

अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली नगर निगम के 2022 चुनाव में कूड़े के पहाड़ों को चुनावी मुद्दा बनाया था। उस दौरान इन्होंने वादा किया था कि सत्ता में आते ही तीनों पहाड़ों को कूड़ा मुक्त कर दिया जाएगा और दिल्ली से बाहर लैंडफिल बनाए जाएंगे। एमसीडी की सत्ता में आप आ गई लेकिन वे चुनावी मुद्दों को भूल गए। आलम ये हो गया कि ये लोग कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने के लिए हर बार समय सीमा बढ़ा दी जाती है। 

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सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर फिर बढ़ाई समय सीमा

नगर निगम ने फरवरी 2024 में कहा था कि ओखला साइट को दिसंबर 2024 तक कूड़ा मुक्त कर दिया जाएगा। भलस्वा लैंडफिल साइट को दिसंबर 2025 तक और गाजीपुर साइट को दिसंबर 2026 तक कूड़ामुक्त करने की समयसीमा तय की थी। अब आम आदमी पार्टी इस समय सीमा में अपने वादे को पूरा नहीं कर पाई है। अब नगर निगम ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर समय सीमा तीन साल बढ़ा ली है और कहा है कि दिसंबर 2028 तक इन लैंडफिल साइट्स को कूड़ामुक्त कर दिया जाएगा। 

रोजाना 11,352 टन निकलता है कचरा 

गुप्ता ने कहा कि 'दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी' 2022-23 की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में रोजाना 11,352 टन कचरा निकलता है। इसमें से 7,352 टन कचरा रिसाईकल या बिजली बनाने में इस्तेमाल कर लिया जाता है। बचा हुआ कचरा लैंडफिल साइट्स पर भेज दिया जाता है। इसके अनुसार समझा जाए तो प्रतिदिन का 35 फीसदी कचरा लैंडफिल साइटों पर ले जाया जाता है। इन तीनों साइटों पर लगभग 150 टन कचरा रखा हुआ है और इसके निस्तारण के लिए सरकार कुछ नहीं सोचती। 

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