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दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों के बाद AAP के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष कौन होगा? पार्टी में इस पद को लेकर चार नामों पर गंभीर मंथन चल रहा है।

Leader of Opposition in Delhi Assembly: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे आ चुके हैं। बीजेपी ने जबरदस्त जीत दर्ज करते हुए 48 सीटों पर कब्जा जमाया, जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) 22 सीटों पर सिमट गई। अब AAP के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष कौन होगा? पार्टी में इस पद को लेकर चार नामों पर गंभीर मंथन चल रहा है।

विपक्ष का चेहरा चुनने की चुनौती

आम आदमी पार्टी अब ऐसे नेता की तलाश कर रही है, जो विपक्ष में रहकर बीजेपी को सदन में मजबूती से जवाब दे सके। मौजूदा समय में पार्टी के कई बड़े चेहरे चुनाव हार चुके हैं, जिससे आप के सामने यह फैसला और भी मुश्किल हो गया है। ऐसे में आप या तो किसी अनुभवी नेता को यह जिम्मेदारी देगी या फिर किसी नए चेहरे पर दांव लगा सकती है।  

पूर्व सीएम आतिशी और पूर्व मंत्री गोपाल राय रेस में आगे

आप में इस समय दो बड़े नाम सबसे अधिक चर्चा में हैं- पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी और पूर्व मंत्री गोपाल राय। आतिशी मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी निभा चुकी हैं और उनके पास प्रशासनिक अनुभव भी है। वहीं, गोपाल राय आप के सीनियर नेताओं में से एक हैं और संगठन में भी अहम भूमिका निभा चुके हैं। इस बार वे बाबरपुर विधानसभा सीट से जीतकर आए हैं। ऐसे में इन दोनों नेताओं को विपक्ष का नेता बनाए जाने की ज्यादा संभावना मानी जा रही है।  

संजीव झा भी दावेदार

तीसरे दावेदार के रूप में बुराड़ी से विधायक संजीव झा का नाम चर्चा में है। वे लगातार तीसरी बार इस सीट से विधायक बने हैं और पार्टी के मुख्य प्रवक्ता की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं। माना जाता है कि उनके नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने नॉर्थ दिल्ली में अपनी पकड़ मजबूत की है। ऐसे में संजीव झा को भी यह अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है।  

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सहीराम पहलवान भी दौड़ में शामिल

चौथे संभावित नेता के रूप में तुगलकाबाद के विधायक सहीराम पहलवान का नाम भी सामने आ रहा है। वे पार्टी के एक अनुभवी नेता माने जाते हैं और लंबे समय से संगठन से जुड़े हुए हैं। उनके राजनीतिक अनुभव को देखते हुए आप उन्हें भी विपक्ष का नेता बना सकती है।  

क्या फैसला लेगी आम आदमी पार्टी?

आम आदमी पार्टी इस समय नेतृत्व परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। पार्टी दिल्ली में हार के बाद खुद को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रही है। ऐसे में विपक्ष का नेता चुनना AAP के लिए अहम फैसला होगा। पार्टी किस अनुभवी या नए चेहरे को यह जिम्मेदारी सौंपती है, यह जल्द ही स्पष्ट हो जाएगा।

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