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Delhi-Ambala Railway Line: दिल्ली से अंबाला तक मौजूदा दो लेन रेल कॉरिडोर को रेलवे मंत्रालय की ओर से फोरलेन बनाया जाएगा। इसके लिए 7 हजार करोड़ से ज्यादा रुपए खर्च किए जाएंगे। जानिए क्या है पूरी योजना...

Delhi-Ambala Rail Corridor: केंद्रीय रेल मंत्रालय की ओर से हरियाणा को बड़ी राहत दी गई है। दिल्ली-अंबाला रेलवे लाइन पर बढ़ती भीड़ को देखते हुए इस फोरलेन बनाने का फैसला लिया गया है। जानकारी के मुताबिक, रेल मंत्रालय ने दिल्ली से अंबाला तक 193.6 किलोमीटर लंबे मौजूदा दो ट्रैक वाले कॉरिडोर को फोरलेन वाले कॉरिडोर में अपग्रेड करने की तैयारी शुरू कर दी है।

हाल ही में रेलवे अधिकारियों ने इस प्रोजेक्ट को लेकर पानीपत और सोनीपत में जिला प्रशासन के अधिकारियों और उपायुक्तों के साथ मीटिंग की है। इस मीटिंग में रेलवे कॉरिडोर के विस्तार पर चर्चा की गई। साथ ही इस परियोजना को पूरा करने के लिए 4 साल का लक्ष्य रखा गया है।

7,074 करोड़ रुपए होंगे खर्च

रेल मंत्रालय ने दिल्ली-अंबाला रेल कॉरिडोर का विस्तार करने का फैसला किया है। इस प्रोजेक्ट में करीब लागत 7,074 करोड़ खर्च किए जाएंगे। बता दें कि मौजूदा समय में दिल्ली से अंबाला रेलवे ट्रैक पर दो लाइन हैं, लेकिन यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 10 सालों में इस रूट पर यात्रा करने वाले लोगों की संख्या करीब 40 प्रतिशत बढ़ गई है।

इसके अलावा अगर केवल जिले की बात करें, तो केवल सोनीपत स्टेशन से करीब 40 हजार यात्री दिल्ली-अंबाला रूट पर आवागमन कर रहे हैं। अब रेलवे मंत्रालय ने दिल्ली से अंबाला तक 193.6 किलोमीटर रेलवे कॉरिडोर का विस्तार करने का फैसला किया है, जिसके लिए 4 साल का समय रखा गया है।

32 रेलवे स्टेशनों का भी होगा विकास

रेलवे अधिकारी के मुताबिक, इस परियोजना के तहत दिल्ली से अंबाला के बीच स्थित 32 स्टेशनों पर भी विकास कार्य किया जाएगा। इसके अलावा रेलवे अधिकारियों के सामने प्रस्ताव रखा गया है कि इस रेलवे लाइन पर बने रेलवे अंडरपास की जगह पर रेलवे फ्लाईओवर बनाया जाए, क्योंकि बारिश के मौसम में अंडरपास में पानी भर जाता है। इससे लोगों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है।

15 गांवों के जमीन का होगा अधिग्रहण

बता दें कि इस परियोजना के विस्तार के लिए 15 गांवों से 11 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। जानकारी के मुताबिक, इनमें समालखा डिवीजन के आठ गांव और पानीपत के सात गांव शामिल हैं। हालांकि इसके लिए जमीन मालिकों को रेल मंत्रालय की ओर से उचित मुआवजा दिया जाएगा। अब जल्द ही इस परियोजना पर काम शुरू किया जाएगा।

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