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IIT Baba Abhay Singh: हरियाणा के झज्जर जिले के रहने वाले IIT बाबा अभय सिंह प्रयागराज महाकुंभ शुरू होने के बाद से वायरल हो रहे हैं। उन्होंने अभिभावकों के लिए भी एक खास मंत्र दिय है, जिससे वे अपने बच्चे को सही मार्ग पर रख सकते हैं। जानिये कैसे...

आज व्यस्त दिनचर्या के चलते अभिभावक अपने बच्चों पर पूरा ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। गला काट प्रतिस्पर्धा के चलते बच्चे तनाव की ओर जा रहे हैं। यही वजह है कि पहले के मुकाबले बच्चों में भी आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में अभिभावकों को बच्चों से निरतंर संवाद करते रहना चाहिए ताकि उनकी भावनाओं को समझकर उचित मार्गदर्शन दे सके। अगर आपके पास बच्चों से संवाद करने का अधिक समय नहीं होता है, तो कम से कम आपकी नोट बुक का आखिरी पेज अवश्य देख लेना चाहिए। यह हम नहीं बल्कि प्रयागराज महाकुंभ से वायरल हो रहे IIT बाबा अभय सिंह ने अपनी थ्यूरी में दी थी।

हरियाणा के झज्जर जिले में रहने वाले IIT बाबा अभय सिंह ने आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद कोटा जाकर आईडीसी स्कूल ऑफ डिजाइन से मास्टर की डिग्री की। इस दौरान बाबा अभय सिंह ने फोटोग्राफी पर डॉक्यूमेंट्री बनाई। उन्होंने बच्चों की नोट बुक के आखिरी पेज की तस्वीरे ली और उस पर लिखी भावनाओं पर रिपोर्ट तैयार की। उन्होंने बताया था कि बच्चे नोट बुक के फर्स्ट पेज पर शैक्षणिक कार्यों से जुड़ी जानकारियां लिखते हैं, लेकिन नोट बुक का अंतिम पेज उनकी भावनाओं को व्यक्त करने का माध्यम होता है। यह पेज दर्शाता है कि बच्चा खुश है या फिर किसी तनाव से गुजर रहा है। अगर आप भी बच्चों की भावनाओं को करीब से समझना चाहते हैं, तो आपको समय-समय पर गुपचुप तरीके से नोट बुक का आखिरी पेज अवश्य खंगालना चाहिए ताकि स्थिति के अनुरूप बच्चे का सही मार्गदर्शन कर सके।

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बच्चों में बढ़ रहे सुसाइड के मामले

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों पर नजर डालें तो बच्चों में सुसाइड के मामले बढ़ते जा रहे हैं। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र आरैर तमिलनाडु ऐसे प्रदेश हैं, जहां सबसे ज्यादा स्टू्डेंट्स ने सुसाइड किया है। इसके अलावा राजस्थान का कोटा जिला, जहां से IIT बाबा अभय सिंह ने पढ़ाई की है, वहां भी बच्चे सुसाइड करने को बाध्य हो जाते हैं। एनसीआरबी की इसी रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान भी स्टूडेंट्स के सुसाइड मामले में 10वें स्थान पर है। इसके अलावा अन्य राज्यों की बात करें तो वहां भी बच्चों में डिप्रेशन हावी हो रहा है। ऐसे में अभिभावकों को सलाह है कि उन्हें बच्चों से निरंतर संवाद करते रहना चाहिए ताकि वो चाहकर भी गलत कदम न उठा सके।

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