Rewari: रोडवेज डिपो में अनियमितताओं से लेकर भाई-भतीजावाद इस कदर हावी हो चुका है कि गबन के आरोपियों पर निदेशालय के आदेशों को भी अमल में लाने की बजाय दबा दिया जाता है। प्रभावशाली कर्मचारियों पर एक्शन के नाम पर कुछ नहीं होता, जबकि बिना सिफारिश वाले कर्मचारी आसानी से शिकार हो जाते हैं। ऐसा ही एक मामला विभाग के कंडक्टरों से जुड़ा हुआ सामने आया है। जिसमें गबन के आरोपियों पर अफसर मेहरबान है। पत्र जारी होने के बाद भी उनका तबादला नहीं हुआ।
किराए के पैसे लेकर भी नहीं देते टिकट
विभागीय सूत्रों के अनुसार रोडवेज फ्लाइंग ने बसों में किराए के पैसे लेकर भी यात्रियों को टिकट नहीं देने के आरोप में तीन परिचालकों को पकड़ा गया था। ऐसे परिचालकों की रिपोर्ट निदेशालय को भेजी जाती है, जिस पर विभागीय जांच शुरू होती है। जांच के दौरान ऐसे परिचालकों का मुख्यालय किसी अन्य डिपो को बनाया जाता है। गबन के आरोप में पकड़े गए परिचालकों पर आरोप साबित होने पर गबन की राशि के हिसाब से 100 गुणा राशि वसूल की जाती है। उसके खिलाफ निलंबन से लेकर बर्खास्तगी तक की कार्रवाई भी अमल में लाई जा सकती है। फ्लाइंग की ओर से गबन के आरोपियों की रिपोर्ट तैयार करने के बाद संबंधित जीएम और निदेशालय को भेजी जाती है। इस मामले में भी तीनों आरोपी परिचालकों की रिपोर्ट निदेशालय को प्रेषित की गई थी।
निदेशालय ने जारी किए थे तबादला आदेश
निदेशालय की ओर से तीन परिचालकों के अलग-अलग दो तबादला आदेश किए गए थे। एक मामले में सिफारिश नहीं होने के कारण परिचालक का तबादला चरखी दादरी डिपो में तत्काल कर दिया गया। दूसरे पत्र में दोनों कर्मचारियों के खिलाफ एक्शन लेने के आदेश जारी किए गए थे। इन आदेशों को अभी तक अमलीजामा नहीं पहनाया गया है। यह कर्मचारी पूर्व की तरह ड्यूटी कर रहे हैं।
ज्यादा गबन का आरोपी ज्यादा असरदार
निदेशालय की ओर से जारी किए गए पत्र के अनुसार एक परिचालक पर 10 दिसंबर 2023 को 75 रुपए के गबन का आरोप लगाते हुए रिपोर्ट तैयार हुई थी। इस आरोपी के खिलाफ विभागीय जांच शुरू करने के आदेश पत्र में जारी किए गए थे। दूसरे आरोपी को इसी दिन 285 रुपए के गबन में पकड़ा गया था। निदेशालय के पत्रानुसार जांच जारी रहते हुए उसका अस्थाई तबादला कुरूक्षेत्र करना था, लेकिन अभी तक आदेशों का कोई असर नहीं हुआ है।
अफसर से रिश्तेदारी का मिल रहा लाभ
सूत्रों के अनुसार तीन परिचालकों में से एक का तबादल करने में कोई देरी नहीं की गई थी। इनमें से एक कर्मचारी विभाग के ही एक अधिकारी का रिश्तेदार बताया जा रहा है, जिस कारण निदेशालय के आदेश भी अपना काम नहीं कर पा रहे हैं। अफसरों की मेहरबानी के चलते ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ जांच के नाम पर भी खानापूर्ति होने की आशंका बनी रहती है।
स्टाफ की कमी से फिर कई बसें मिस
विभाग में चालक-परिचालकों की कमी के कारण एक बार फिर कई रूटों पर बसें मिस करनी पड़ी। इनमें महेंद्रगढ़ रूट की बसें शामिल हैं। लोकल रूटों के चालक-परिचालकों को लंबे रूटों पर रवाना कर दिया, जिससे लोकल रूटों पर बसों का संचालन बाधित हुआ। मौके का फायदा उठाते हुए प्राइवेट बस ऑपरेटरों ने जमकर चांदी काटी। प्राइवेट बसों को निर्धारित से अधिक समय तक बूथों पर लगाया गया।
अवकाश पर होने के कारण नहीं जानकारी
रोडवेज जीएम देवदत्त ने बताया कि वह बीच-बीच में निजी कार्य के चलते कई दिनों तक अवकाश पर रहे। मामला उनकी जानकारी में नहीं है। ड्यूटी पर लौटते ही पता करते हुए आवश्यक एक्शन लिया जाएगा।