शहादत को सलाम : हरियाणा के पानीपत जिले के लाखु बुआना गांव के वीर सैनिक सूबेदार सुनील मलिक (38) देश की सेवा करते हुए शहीद हो गए। वे इन दिनों पश्चिम बंगाल में तैनात थे, जहां ड्यूटी के दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उन्होंने वीरगति प्राप्त की। उनकी शहादत की सूचना जैसे ही परिवार को मिली, पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। सुनील मलिक के दो बच्चे हैं।
तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर पहुंचा गांव, परिवार में मचा कोहराम
सुनील कुमार की 3 मार्च को शहादत हुई थी और 5 मार्च को सेना के जवान सूबेदार सुनील मलिक का पार्थिव शरीर तिरंगे में लपेटकर उनके पैतृक गांव लेकर पहुंचे। जैसे ही घर में पार्थिव शरीर पहुंचा तो पत्नी, बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। गांव के लोग भी बड़ी संख्या में उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे और सुनील मलिक अमर रहे के नारों से गांव को गुंजायमान कर दिया।
सैन्य सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार
उनकी अंतिम यात्रा में हजारों लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ जिला सैनिक बोर्ड वेलफेयर ऑफिसर राजवीर रामकुमार, एसडीएम आशीष कुमार, तहसीलदार नरेंद्र दलाल और डीएसपी राजवीर सिंह सहित गणमान्य लोग भी मौजूद रहे। सेना के जवानों ने शोक सभा में हवा में गोलियां दागकर अपने साथी को अंतिम विदाई दी।
भाई ने दी मुखाग्नि, सेना ने दिया गार्ड ऑफ ऑनर
गांव के श्मशान घाट में सूबेदार सुनील मलिक का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। सेना के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया और उनके बड़े भाई रूपल मलिक ने उन्हें मुखाग्नि दी। पूरे गांव में मातम का माहौल रहा और हर आंख नम थी।
वॉलीबाल के नेशनल प्लेयर थे, सेना में खेलते थे बॉक्सिंग
सुनील मलिक सेना में खेल कोटे से भर्ती हुए थे। वे वॉलीबाल के राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी थे, लेकिन सेना में जाने के बाद वे बॉक्सिंग खेलने लग गए थे। कई जगह पर उनकी पोस्टिंग रही।
भाई भी सेना में था, हादसे में हो गया था पैरालाइस
सूबेदार सुनील मलिक का बड़ा भाई रूपल मालिक भी सेना में था। सेना में गाड़ी पलटने के बाद वह घायल हो गया था और उसे पैरालाइस हो गया था। करीब 3 साल पहले सुनील के पिता जगदीश का भी निधन हो चुका है।
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