Ram Janmabhoomi Movement: श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर बनकर तैयार है। 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है, जिसे लेकर देशभर में उत्सव का माहौल है। सर्वाधिक उत्साहित वह कारसेवक हैं, जिन्होंने अयोध्या मंदिर निर्माण के लिए लंबा संघर्ष किया। मीलों पैदल चले, कई रातें बिना सोए गुजार और कई दिनों तक जेल में रहे। आज मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से लगे भोजपुर और औबेदुल्लागंज के कुछ कारसेवकों से रूबरू कराते हैं, जिन्होंने रामजन्मभूमि मुक्ति आंदोलन से जुड़े तमाम पहलुओं से रूबरू कराया। कारसेवक अशोक मित्तल और मीसाबंदी रामकिशोर शर्मा ने बताया कि 1989 में राम मंदिर निर्माण के लिए 24 हजार ईंट भेजी थी। 1992 में सैकड़ों रामभक्तों के साथ मीलों पैदल चलकर अयोध्या पहुंचे थे और लालकृष्ण आडवाणी की मौजूदगी में मंदिर निर्माण का संकल्प लिया था।
MP सीमा पर ही रोक दिए गए थे वाहन
अशोक मित्तल, राम किशोर रात्रि विश्राम की व्यवस्था शर्मा ने बताया कि हम लोग जीप और कार से औबेदुल्लागंज से रवाना हुए और उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश की बॉर्डर चाकघाट पहुंचे। चाकघाट बैरियर पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने सारी कारों को रोक दिया, आगे नहीं जा सके। पुलिस ने जीप और कारों को वापस कर दिया और पैदल जाने की इजाजत दी। इलाहाबाद से नैनी पैदल पहुंचे और धर्मशाला में रुके। जहां से अयोध्या लगभग 150 किमी कारसेवक पैदल चले। ग्रामीणों ने कारसेवकों की भोजन व्यवस्था और रात्रि में ठहरने का इंतजाम किया था। कारसेवक 24 घंटे में 30 किमी पैदल चलते और 7 घंटे सोते थे।
आडवाणी के समक्ष लिया था संकल्प
जगदीश भारद्वाज सेवक स्व प्रेमनारायण तिवारी, स्व मामा टेऊमल, स्व बलराम तिवारी, स्व मदन खेलंकी, स्व नंदू चावला सहित राजू, अग्रवाल, भारत राजपूत, रविंद्र विजयवर्गीय, गजपा महामंत्री राजू पंडा, गिरीश मिलल, चाबा तुलसीराम ईकलमा, मनमोहन गौर, जगदीश हाजली आदि कार सेवक 1992 में अयोध्या गए थे। 1989 में बीजेपी जनसंघ के नेता पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की अयोध्या रथयात्रा ओबेदुल्लागंज आई थी। तब कारसेवकों ने संकल्प लिया था कि वह अयोध्या जाएंगे।
प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर कारसेवकों में उत्साह
कारसेवकों ने हरिभूमि से चर्चा करते हुए राममंदिर आंदोलन से जुड़ी यादें साझा की। साथ ही कहा, 22 जनवरी को आयोध्या में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। यह पल हम सब के लिए गौरव का पल है। कारसेवक इसे लेकर खासे उत्साह हैं। हम सबका सपना साकार होने जा रहा है। सभी लोग हर्ष और आनंदित हैं कि आडवाणी की मेहनत एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अथक प्रयास से भव्य और दिव्य राम मंदिर का निर्माण संभव हो पाया।
लेखक: ऋषभ जैन, औबेदुल्लागंज