भोपाल। मध्यप्रदेश में वित्त विभाग के अधिकारियों ने कार्यालयीन व्यय, अनुदान, स्कालरशिप सहित वेतन भुगतान में फर्जीवाड़ा किया है। अधिकारियों ने पांच साल में 162 करोड़ रुपए का गलत भुगतान कर दिया। डाटा एनालिसिस और विभिन्न इंटेलिजेंस टूल की मदद से अधिकारियों द्वारा किए गए फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। फर्जीवाड़ा पकड़े जाने के बाद कुछ कार्यालयों में गलत भुगतान के गंभीर प्रकरणों में कार्रवाई भी की गई। अब तक फर्जी भुगतान के 15 करोड़ रुपए की वसूली की जा चुकी है।
जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है। मामले में उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा का कहना है कि लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों पर FIR की जाएगी। साथ ही कड़ी सजा दिलाई जाएगी। इंदौर के कलेक्ट्रेट कार्यालय में गलत भुगतान का पहला प्रकरण सामने आया। एक प्रकरण में संबंधित कर्मचारी को बर्खास्त किया गया है।
राज्य शासन पारदर्शी वित्तीय प्रशासन देने के लिए प्रतिबद्ध: देवड़ा
मामले में उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा है कि राज्य शासन पारदर्शी वित्तीय प्रशासन देने के लिए प्रतिबद्ध है। देवड़ा ने कहा कि वित्तीय अनियमितताओं पर नियंत्रण के लिए डाटा एनालिसिस और विभिन्न इंटेलीजेंस टूल आधारित व्यवस्थाओं को लागू किया है। इससे संभावित वित्तीय अनियमितताओं पर प्रभावी रोक लगी है।
देवड़ा बोले-कड़ी सजा दिलाई जाएगी
देवड़ा ने गलत भुगतान के प्रकरणों में जांच के निष्कर्ष के आधार पर पूरे वित्तीय इंटेलिजेंस सिस्टम में सुधार करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही देवड़ा सभी आहरण और संवितरण अधिकारियों को वित्तीय अनुशासन का पालन करने, सतर्क रहने और संवेदनशीलता के साथ भुगतान संबंधी कार्य करने के निर्देश दिए हैं। डिप्टी सीएम ने कहा कि भुगतान संबंधी लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों एफआईआर कराई जाएगी और उन्हें कड़ी सजा दिलाई जाएगी।
अधिकारियों ने ऐसे किया फर्जीवाड़ा
बता दें कि वित्त विभाग में एकीकृत वित्तीय प्रबंधन सूचना प्रणाली का सॉफ्टवेयर संचालित है। इसके माध्यम से 5600 आहरण और संवितरण अधिकारी देयकों को भुगतान करते हैं। प्रदेश के 10 लाख से अधिक कर्मचारियों के वेतन और विभिन्न स्वत्वों के भुगतान, कार्यालय व्यय, अनुदान, स्कॉलरशिप का भुगतान किया जाता है। पिछले कुछ महीनों में डाटा एनालिसिस और विभिन्न इंटेलिजेंस टूल का उपयोग करते हुए कुछ कार्यालयों में गलत भुगतान के गंभीर प्रकरणों में कार्रवाई भी की गई। 15 करोड़ की वसूली भी की जा चुकी है।
इंटेलिजेंस टूल से की जाती है संदिग्ध भुगतानों की पहचान
जानकारी के मुताबिक, डाटा एनालिसिस और विभिन्न इंटेलिजेंस टूल आधारित व्यवस्था से संदिग्ध भुगतानों की पहचान की जाती है। इनकी विस्तृत जांच के लिए संबंधित संभागीय संयुक्त संचालक, कोष एवं लेखा को जांच करने के लिए आदेशित किया जाता है। अनियमितताओं, अधिक भुगतान और अनियमितता की पुष्टि होने पर जिला कलेक्टर के संज्ञान में लाते हुए तुरंत वैधानिक कार्रवाई की जाती है। भविष्य में आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग करते हुए SFIC (स्टेट फाइनेंसियल इंटेलिजेंस सेल) का सुद्दढ़ीकरण किया जाएगा।