OBC reservation: मध्य प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण का मुद्दा गर्माता जा रहा है। 13 फरवरी को ओबीसी महासभा ने प्रदेशभर में ज्ञापन-प्रदर्शन किए। जबकि, 14 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। जस्टिस अभय एस ओका ने मामले से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा-MP में जब कानून बना है तो इसका पालन करने में क्या समस्या हो रही है? कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि ओबीसी आरक्षण में किसी तरह का स्टे नहीं है।
जानबूझकर मुद्दे को उलझाया जा रहा
अधिवक्ता धर्मेंद्र कुशवाहा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की डबल बैंच कर रही है। सीनियर एडवोकेट वरुण ठाकुर और रामकरण ने ओबीसी आरक्षण के समर्थन में तर्क दिए। ओबीसी महासभा सड़क से संसद तक और अब सुप्रीम कोर्ट में इसके लिए संघर्ष कर रही है, लेकिन सरकार की ओर से जानबूझकर मुद्दे को उलझाया जा रहा है।
हम ओबीसी को 27% आरक्षण देने के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखेंगे, जो भी माननीय न्यायालय का निर्णय होगा वह सर्वमान्य होगा। pic.twitter.com/xN94RznAVN
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) February 13, 2025
क्या है OBC आरक्षण विवाद?
मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 14 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा था। 2019 में कमलनाथ सरकार ने इसका दायरा 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी किया था, लेकिन सरकार के इस फैसले को कुछ लोगों ने चुनौती दी थी। जिसके बाद आरक्षण का मुद्दा अटका गया और ओबीसी कोटे के 13 फीसदी पद होल्ड किए जाने लगे। पिछले दिनों ने इससे जुड़ी एक याचिका निरस्त कर दी। जिसके बाद मामले से जुड़ी अन्य याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करा ली गईं।
CM बोले-सरकार लागू करना चाहती है आरक्षण
याचिका ट्रांसफर किए जाने से ओबीसी संगठनों में नाराजगी है। 13 फरवरी को प्रदेशभर में ज्ञापन प्रदर्शन किया। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सामान्य प्रशासन विभाग के अफसरों और विधि विशेषज्ञों से मामले की जानकारी ली है। वीडियो जारी कर उन्होंने बताया कि हमारी सरकार 27% ओबीसी आरक्षण लागू करना चाहती है। हाईकोर्ट के ताजा फैसले को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति है। इसलिए AG पूरी पारदर्शिता के साथ हर कानूनी पहलू को स्पष्ट करें और जल्द से जल्द समधान कराएं। यह याचिकाएं मेरी सरकार के पहले से लगी हैं। इन पर जल्द सुनवाई होनी चाहिए।
ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण नहीं देकर, माननीय सुप्रीम कोर्ट के सामने भी भाजपा फिर से बेनकाब हुई है! मोहन सरकार के साथ, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज जी को भी तत्काल माफी मांगनी चाहिए!
— MP Congress (@INCMP) February 14, 2025
: श्री @jitupatwari जी, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष pic.twitter.com/XiP0b4jLFZ
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पटवारी बोले-मुख्यमंत्री माफी मांगें
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा, भाजपा सरकार आज सुप्रीम कोर्ट के सामने भी बेनकाब हो गई। कमलनाथ सरकार ने ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिया था, लेकिन इन्होंने रोकने का काम किया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव और पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को जनता से माफी मांगनी चाहिए।