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Badlapur Encounter: बदलापुर में यौन शोषण और एनकाउंटर मामले में हाईकोर्ट ने सोमवार(20 जनवरी ) काे 5 पुलिसकर्मियों पर एफआईआर के आदेश दिए। जानें कोर्ट ने अक्षय शिंदे के एनकाउंटर को लेकर क्या निर्देश दिए।

Badlapur Encounter: बदलापुर में मासूम बच्चियों के साथ यौन शोषण और आरोपी के एनकाउंटर के मामले पर सोमवार (20 जनवरी) को बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने पांच पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही जांच एजेंसी तय करने के लिए सरकार को पांच हफ्ते का समय दिया गया है। बता दें कि  12 अगस्त 2024 को आरोपी अक्षय शिंदे का एनकाउंटर हुआ था। इस एनकाउंटर पर अक्षय के माता पिता ने सवाल उठाए थे। 

बीते साल अगस्त में हुई थी अक्षय की गिरफ्तारी
12 और 13 अगस्त को बदलापुर के एक स्कूल में किंडरगार्टन में पढ़ने वाली 3 और 4 साल की दो बच्चियों के साथ यौन शोषण का मामला सामने आया था। स्कूल की दो बच्चियों के परिवारों ने स्कूल में बच्चियों के साथ दुष्कर्म होने की शिकायत की। पीड़ित परिवारों को एफआईआर दर्ज कराने में भी संघर्ष करना पड़ा। हालांकि, परिजनों के विरोध प्रदर्शन के बाद पुलिस ने एक्शन लिया। पुलिस ने 17 अगस्त को पुलिस ने अक्षय को गिरफ्तार किया।  आरोपी अक्षय शिंदे स्कूल का स्वीपर था। बच्चिययां उसे 'दादा' कहकर बुलाती थी। पुलिस ने दावा किया कि आरोपी ने इसी भरोसे का उसने गलत फायदा उठाया। 

पुलिस एनकाउंटर में मारा गया था अक्षय शिंदे
23 सितंबर को ठाणे क्राइम ब्रांच ने अक्षय शिंदे का एनकाउंटर कर दिया। पुलिस का दावा था कि अक्षय ने रिवॉल्वर छीनकर फायरिंग की, जिसके जवाब में सेल्फ डिफेंस में पुलिस को गोली चलानी पड़ी। लेकिन अक्षय के परिजनों ने इस एनकाउंटर को पूरी तरह फर्जी करार दिया। उनका कहना है कि अक्षय को हिरासत में प्रताड़ित किया गया और फिर एनकाउंटर का नाटक रचकर उसे मार दिया गया। अक्षय की मां ने शव लेने से भी इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “यह एक साजिश थी, हमारे बेटे पर गलत आरोप लगाए गए और उसकी जान ले ली गई।”  

हाईकोर्ट ने पाया पुलिस की भूमिका संदिग्ध
20 जनवरी 2025 को बॉम्बे हाईकोर्ट में इस एनकाउंटर की मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट पेश हुई। जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस नीला गोखले की बेंच ने पाया कि एनकाउंटर में पुलिस की भूमिका संदिग्ध है। उन्होंने कहा कि वैन में मौजूद पांच पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को पांच हफ्ते में यह तय करने का निर्देश दिया कि जांच किस एजेंसी से कराई जाएगी। हाईकोर्ट का यह रुख पुलिस की कार्यप्रणाली और न्याय व्यवस्था में पारदर्शिता की मांग को मजबूती देता है।  

अक्षय के पिता ने खटखटाया था अदालत का दरवाजा
अक्षय के पिता ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसमें उन्होंने एसआईटी जांच की मांग की। उनका कहना था कि पुलिस ने अक्षय को कस्टडी में जमकर पीटा और बयान लिखवाने के लिए दबाव डाला। महाराष्ट्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी स्कूल प्रशासन पर सवाल उठाए। आयोग की अध्यक्ष सुसीबेन शाह ने कहा कि स्कूल ने बच्चियों और उनके परिवार की मदद करने के बजाय मामले को दबाने की कोशिश की। यदि स्कूल समय पर कार्रवाई करता, तो इतनी बड़ी अराजकता से बचा जा सकता था।  

बदलापुर स्टेशन पर हुआ था विरोध प्रदर्शन
घटना के बाद बदलापुर स्टेशन पर 20 अगस्त को भारी प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शनकारियों ने सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक ट्रेनों की आवाजाही रोक दी। पुलिस के लाठीचार्ज और पत्थरबाजी के बाद ही ट्रैक खाली कराया जा सका। इस घटना को लेकर पूरे राज्य में आक्रोश फैल गया। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एसआईटी जांच का ऐलान किया और केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने की बात कही। इसके अलावा बदलापुर थाने के तीन पुलिसकर्मियों और स्कूल के कुछ कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया।  

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