Guillain Barre Syndrome:महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। अब तक कुल 130 मरीज सामने आ चुके हैं, जिनमें से 20 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। पुणे में सबसे ज्यादा 99 मरीज मिले हैं, जबकि पिंपरी-चिंचवड़ और अन्य जिलों में भी मामले दर्ज किए गए हैं। इस बीमारी से अब तक दो लोगों की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, 56 वर्षीय महिला और 40 वर्षीय पुरुष की इस बीमारी से जान गई। सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है और अस्पतालों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।

GBS के लिए बैक्टीरिया जिम्मेदार, लोगों को किया गया अलर्ट
GB सिंड्रोम का पहला मामला 9 जनवरी को दर्ज हुआ था। टेस्टिंग में पता चला कि मरीज के शरीर में Campylobacter jejuni नामक बैक्टीरिया मौजूद था। यह बैक्टीरिया दुनियाभर में GBS के एक-तिहाई मामलों से जुड़ा पाया गया है। पुणे में बढ़ते मामलों के बाद प्रशासन ने जल सैंपल की जांच कराई। खड़कवासला डैम के पास स्थित एक कुएं के पानी में E.coli बैक्टीरिया की मात्रा अधिक पाई गई। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि यह कुआं उपयोग में है या नहीं। लोगों को उबला हुआ पानी पीने और ठंडी चीजें खाने से बचने की सलाह दी गई है।

इलाज महंगा, एक इंजेक्शन की कीमत 20 हजार रुपए
GBS का इलाज महंगा है और मरीजों को इम्युनोग्लोबुलिन (IVIG) इंजेक्शन दिए जाते हैं। एक इंजेक्शन की कीमत करीब 20 हजार रुपये है। मरीजों को इलाज के दौरान कई इंजेक्शन लगते हैं, जिससे खर्च लाखों में पहुंच जाता है। पुणे के एक अस्पताल में भर्ती 68 वर्षीय मरीज के परिजनों ने बताया कि उनके मरीज को 13 इंजेक्शन दिए गए। हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि 80% मरीज छह महीने के भीतर सामान्य रूप से चलने लगते हैं, जबकि कुछ मामलों में पूरी तरह ठीक होने में एक साल तक लग सकता है।

डिप्टी CM अजित पवार ने किया मुफ्त इलाज का ऐलान
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के बढ़ते मामलों को देखते हुए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मरीजों के लिए मुफ्त इलाज की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि पुणे के कमला नेहरू अस्पताल में पुणे नगर निगम क्षेत्र के मरीजों का इलाज होगा। पिंपरी-चिंचवड़ के मरीज वाईसीएम अस्पताल में और ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों को ससून अस्पताल में मुफ्त इलाज मिलेगा। साथ ही, उन्होंने निजी अस्पतालों को अनावश्यक रूप से अधिक शुल्क वसूलने पर कार्रवाई की चेतावनी दी है।

सरकार और स्वास्थ्य विभाग सतर्क
स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को सतर्क रहने और स्वच्छ पानी पीने की सलाह दी है। सरकार ने जल गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने और संदिग्ध पानी के स्रोतों की निगरानी करने के निर्देश दिए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि GBS आमतौर पर संक्रमण के बाद होता है और यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है। प्रशासन स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है और जरूरी कदम उठा रहा है ताकि इस बीमारी को फैलने से रोका जा सके।