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Mewar: मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य स्वर्गीय अरविंद सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके बेटे डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ को बुधवार, 2 अप्रैल को गद्दी पर बैठाया गया।

Mewar: मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य स्वर्गीय अरविंद सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके बेटे डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ को बुधवार, 2 अप्रैल को गद्दी पर बैठाया गया। कुलगुरु डॉ. वागीश कुमार गोस्वामी ने मंत्रोच्चारण और शंखनाद से कार्यक्रम की रश्म निभाई। राज्याभिषेक का कार्यक्रम उदयपुर सिटी पैलेस में किया गया।

अपने राज्याभिषेक के बाद लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मेवाड़ हमेशा सेवा के मार्ग पर चलता रहा है। मुझे मेरे पिता और पूर्वजों की तरह सेवा करने के लिए कहा गया है। मैं अपेक्षाओं के अनुरूप अपने कर्तव्यों का पालन करने का प्रयास करूंगा। मेरे पिता की वजह से ही उदयपुर एक विवाह स्थल के रूप में विकसित हुआ है। मेरा प्रयास होगा कि हमारी आने वाली पीढ़ी अपनी जड़ों से जुड़ी रहे और अपनी संस्कृति से जुड़ी रहे।

एकलिंगजी मंदिर में करेंगे दर्शन
लक्ष्यराज सिंह ने गद्दी की पूजा-अर्चना कर विराजमान होने के बाद श्रीएकलिंग नाथजी की तस्वीर पर फूल चढ़ाया और आशीर्वाद लिया। इसके बाद धूणी दर्शन किए। अश्व पूजन भी किया। इसके बाद एकलिंगजी मंदिर में दर्शन के लिए जाएंगे। भगवान जगदीश मंदिर में दर्शन के बाद सभी रस्म पूरी होगी।

1500 साल पुरानी परंपरा है अश्वपूजन
राजपरिवार में अश्वपूजा का काफी महत्व है। मान्यता है कि अश्व को स्वामी भक्ति का प्रतीक माना जाता है। क्योंकि युद्ध के समय अश्व भी अपने राजा को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक, जिसने हल्दीघाटी युद्ध में घायल होकर भी महाराणा प्रताप को युद्ध भूमि से सुरक्षित बाहर निकाला था। तब से लेकर आज तक मेवाड़ का पूर्व राजपरिवार अश्व पूजन करता है। अश्वपूजन की परंपरा करीब 1500 साल पुरानी है।

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