Uttarakhand Uniform Civil Code: उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के लिए आज मंगलवार का दिन बेहद अहम है। विधानसभा का सत्र शुरू हो चुका है। सरकार विधानसभा में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code Bill) थोड़ी देर में पेश करेगी। कांग्रेस ने इस बिल का विरोध किया है। विपक्ष की आवाज दबाने का आरोप लगाया है।
रविवार को धामी कैबिनेट ने इस विधेयक को मंजूरी दी थी। यदि विधेयक पारित हो गया और कानून लागू हो गया तो उत्तराखंड आजादी के बाद समान नागरिक संहिता अपनाने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। यह कानून सभी धर्मों पर समान रूप से लागू होगा। यानी यह विधेयक विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने जैसे मामलों में एक देश और एक कानून की परिकल्पना को साकार करेगा। फिलहाल कांग्रेस नाराज है। कांग्रेसी विधायक सदन में हंगामा कर सकते हैं।
यूसीसी को असम और मध्य प्रदेश सहित कई अन्य भाजपा शासित राज्य भी लाने में रुचि दिखा रहे हैं। पुर्तगाली शासन के अधीन होने के बाद से ही गोवा में समान नागरिक संहिता लागू है।
लाइव अपडेट्स
- सदन में विपक्ष ने जमकर नारेबाजी की। इससे सत्र का प्रथम चरण हंगामे की भेंट चढ़ गया। इसके बाद 2 बजे तक के लिए सत्र को स्थगित कर दिया गया।
- सीएम पुष्कर धामी ने सदन में यूसीसी बिल का प्रस्ताव रख दिया है। इस दौरान विधायकों ने जय श्रीराम और भारत माता की जय का उद्घोष किया।
#WATCH | Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami tables the Uniform Civil Code Uttarakhand 2024 Bill in State Assembly, in Dehradun. pic.twitter.com/B1LRzfoC09
— ANI (@ANI) February 6, 2024
- यूसीसी बिल पर उत्तराखंड के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि राज्य सरकार और मुख्यमंत्री इसे पारित कराने के लिए बहुत उत्सुक हैं और नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। ड्राफ्ट कॉपी और वे इस पर तत्काल चर्चा चाहते हैं। केंद्र सरकार उत्तराखंड जैसे संवेदनशील राज्य का इस्तेमाल प्रतीकात्मकता के लिए कर रही है, अगर वे यूसीसी लाना चाहते हैं, तो इसे केंद्र सरकार द्वारा लाया जाना चाहिए था।
- यूसीसी पर उत्तराखंड विधानसभा के एलओपी यशपाल आर्य ने कहा कि हम समान नागरिक संहिता के खिलाफ नहीं हैं। सदन कामकाज के संचालन के नियमों द्वारा संचालित होता है, लेकिन बीजेपी लगातार इसकी अनदेखी कर रही है और विधायकों की आवाज को दबाना चाहती है। संख्या बल के आधार पर प्रश्नकाल के दौरान सदन में अपनी बात रखना विधायकों का अधिकार है।
- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी यूसीसी रिपोर्ट की एक प्रति के साथ राज्य विधानसभा पहुंचे। यूसीसी बिल को राज्य विधानसभा में पेश किया जाएगा। सीएम ने कहा कि आज इंतजार खत्म हो रहा है और हम इसे आज राज्य विधानसभा के सामने पेश कर रहे हैं।
Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami to present the Uniform Civil Code Uttarakhand 2024 Bill in the State Assembly today.
— ANI (@ANI) February 6, 2024
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पीएम मोदी ने कहा था- देश दो कानूनों से नहीं चलेगा
पिछले साल जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समान नागरिक संहिता पर जोर दिया था। उन्होंने कहा था कि देश दो कानूनों पर नहीं चल सकता। वहीं, सोमवार को केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि समान नागरिक संहिता परामर्श प्रक्रिया में है और भारत के विधि आयोग द्वारा इसकी समीक्षा की जा रही है। 'यह सिर्फ केंद्र सरकार का मुद्दा नहीं है, जब संविधान बनाया जा रहा था तब भी संविधान निर्माताओं ने इस पर चर्चा की थी।
धामी बोले- कई राज्य उत्तराखंड मॉडल को अपनाएंगे
सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति ने यूसीसी का एक मसौदा तैयार किया है। समिति ने मसौदा तैयार करने के लिए विभिन्न वर्गों के 2 लाख से अधिक लोगों से बात की। 2022 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उत्तराखंड के लिए समान नागरिक संहिता लाने का वादा किया था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि कई राज्य उत्तराखंड मॉडल अपनाएंगे।
यूसीसी बिल की 5 बड़ी बातें
विरासत में बेटा-बेटी में कोई अंतर नहीं
बेटे और बेटियों दोनों को संपत्ति में समान अधिकार मिलने का प्रस्ताव है। अगर लड़की किसी अन्य धर्म में शादी करती है तो भी संपत्ति का अधिकार बरकरार रहेगा। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 में 2005 का संशोधन पहले से ही विवाहित बेटियों को अपने पिता की संपत्ति में बेटे के बराबर हिस्सा देने का प्रावधान करता है।
वैध और नाजायज बच्चे
विधेयक का उद्देश्य संपत्ति के अधिकार के संबंध में वैध और नाजायज बच्चों के बीच अंतर को खत्म करना भी है। सभी बच्चों को माता-पिता की जैविक संतान के रूप में मान्यता दी जाएगी और उनके समान अधिकार होंगे। साथ ही, यह विधेयक गोद लिए गए, सरोगेसी के माध्यम से पैदा हुए या सहायक प्रजनन तकनीक के माध्यम से पैदा हुए बच्चों को समान दर्जा और अधिकार देता है। कानून के तहत गोद लेने की प्रक्रिया सभी धर्मों के लिए समान होगी।
समान तलाक अधिकार, भरण-पोषण
यूसीसी बिल राज्य में हर धर्म के पुरुषों और महिलाओं के लिए समान तलाक प्रक्रिया और अधिकारों का भी प्रावधान करता है। नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाए गए मुस्लिम महिला अधिनियम, 2019 ने पहले ही तत्काल तीन तलाक को अवैध बना दिया है। तलाक के बाद भरण-पोषण का कानून सभी धर्मों के लिए एक समान होगा।
बहुविवाह, बाल विवाह पर प्रतिबंध
यह विधेयक सभी धर्मों के लिए विवाह पंजीकरण को अनिवार्य बनाता है। यह बहुविवाह और बाल विवाह पर भी प्रतिबंध लगाता है, जो सभी धर्मों की लड़कियों के लिए एक सामान्य विवाह योग्य उम्र है। बिल लिव-इन रिलेशनशिप की घोषणा करना भी अनिवार्य बनाता है।
हलाला और इद्दत पर रोक
यूसीसी विधेयक हलाला और इद्दत जैसी इस्लामी प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास करता है जिन्हें महिलाओं के लिए अनुचित माना जाता है। हलाला और इद्दत ऐसी इस्लामी प्रथाएं हैं जिनसे एक महिला को तलाक या अपने पति की मृत्यु के बाद गुजरना पड़ता है।
यहां देखें यूसीसी विधेयक पर यह स्पेशल रिपोर्ट: