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GNSS Based Toll System: केंद्र सरकार नेशनल हाइवे के चुनिंदा सेक्‍शन पर GNSS और Fastag के द्वारा GPS toll collection को शुरू करने की तैयारी कर रही है। इसकी जानकारी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को राज्यसभा में दी हैं।

GNSS Based Toll System: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय चुनिंदा राष्ट्रीय राजमार्गों पर ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) आधारित टोल टैक्स सिस्टम को लागू करने की तैयारी कर रहा है। यह सिस्टम Fastag के साथ सुचारू रूप से काम करेगा। इससे लोगों की टोल नाकों पर लंबे समय तक खड़े रहने की समस्या खत्म हो जाएगी। चलिए अब इस GNSS सिस्टम के बारें में डिटेल से जानते हैं। 

दो हाइवे पर किया टेस्‍ट
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को राज्यसभा में लिखित जवाब में जानकारी देते हुए कहा कि सरकार Fastag के साथ GNSS बेस्ड सिस्‍टम के जरिए टोल संग्रह प्रणाली को शुरू करेगी। इस सिस्टम को लागू करने के लिए कर्नाटक में NH-275 के बेंगलुरू-मैसूर और हरियाणा में NH-709 के पानीपत-हिसार सेक्‍शन पर पायलट स्‍टडी पहले से की जा रही हैं। इस नए सिस्टम का उद्देश्य टोल नाकों पर लगने वाली भीड़ को खत्म करना और टोल कलेक्शन की एफिशिएंसी को बढ़ाना है। 

सरकार ने GNSS के लिए 25 जून 2024 को एक इंटरनेशनल वर्कशॉप में हितधारकों से चर्चा की थी। इसके बाद 7 जून 2024 को व्यापक औद्योगिक परामर्श के लिए वैश्विक अभिरूचि अभिव्यक्ति ( EOI) को आमंत्रित किया गया। इसे जमा करने की आखिरी तारीख 22 जुलाई 2024 थी। 

GNSS सिस्टम का क्‍या होगा फायदा?
वर्तमान में एक्सप्रेस हाईवे और नेशनल हाईवे पर सफर करने पर Toll Tax देते है, जिसे FASTag के जरिए वसूला जाता है। FASTag सिस्टम वाहनों की विंडशील्ड  पर एक स्टीकर लगाया जाता है, जो RFID टेक्नोलॉजी से लैस है। कई बार लोगों को फास्टैग में परेशानी, कम बैलेंस जैसी समस्या होती है, जिसके कारण उन्हें रुकना पड़ता है।

इससे अन्य वाहनों को अधिक समय लगता है। लेकिन अब GNSS सर्विस के लागू होने के बाद टोल लेने में समय नहीं लगेगा। खास बात है कि इससे गाड़ियां एक तय स्‍पीड पर चलते हुए भी टैक्‍स दे पाएंगी। इतना ही नहीं, जो वाहन एक्सप्रेस हाइवे और नेशनल हाईवे पर जितनी दूरी तय करेगा। उसे केवल उतनी ही दूरी का टैक्स देना होगा। 

 

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