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Bangladesh on PM Modi 1971 war post: पीएम मोदी ने सोमवार (16 दिसंबर) को 1971 की जंग की 53वीं वर्षगांठ पर X पर एक पोस्ट किया। भारतीय सैनिकों के बलिदान को याद किया। इस पर बांग्लादेश ने नाराजगी जाहिर की है। जानें पूरा मामला।

Bangladesh on PM Modi 1971 war post: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (16 दिसंबर) को 1971 की जंग की 53वीं वर्षगांठ पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट किया। पीएम मोदी ने जंग में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के बलिदान को भारत की जीत में अहम बताया। लेकिन इस पोस्ट पर बांग्लादेश के कानून मंत्री आसिफ नजरुल ने नाराजगी जाहिर की। बांग्लादेश के कानून मंत्री ने इस टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए फेसबुक पर लिखा कि यह जीत बांग्लादेश की थी और भारत केवल सहयोगी की भूमिका में था।नजरुन ने अपनी फेसबुक पोस्ट में मोदी की टिप्पणी का स्क्रीनशॉट भी शेयर किया। 

विजय दिवस पर दोनों देशों में हुए समारोह  
16 दिसंबर को भारत और बांग्लादेश ने 1971 के युद्ध की याद में विजय दिवस मनाया। इस अवसर पर ढाका और कोलकाता में कई कार्यक्रम आयोजित हुए। ढाका में बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन और मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने राष्ट्रीय स्मारक पर जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। वहीं, कोलकाता में भारतीय अधिकारियों ने भी शहीदों को नमन किया। इस मौके पर 1971 के युद्ध में शामिल भारतीय और बांग्लादेशी सैनिकों ने परस्पर सम्मान प्रकट किया।  

1971 की जंग में क्या हुआ था? 
16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान सेना के 90,000 सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने सरेंडर कर दिया था। यह ऐतिहासिक क्षण बांग्लादेश की आजादी का प्रतीक बन गया। भारत की मदद से बांग्लादेश ने पाकिस्तान से मुक्ति पाई। बांग्लादेश में इस दिन को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस बार के समारोह में 1971 के युद्ध के भारतीय और बांग्लादेशी सिपाही भी शामिल हुए।  

शेख हसीना वे विजय दिवस पर क्या कहा?
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस को फासीवादी करार दिया। विजय दिवस से एक दिन पहले उन्होंने बयान दिया कि यूनुस की सरकार आजादी विरोधी और कट्टरपंथियों का समर्थन करती है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सरकार बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास और उसकी भावना को मिटाने की कोशिश कर रही है।  

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बांग्लादेश में बदले हैं सियासी हालात
शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद यह पहला विजय दिवस था। जून 2024 में बांग्लादेश की हाईकोर्ट ने सरकारी नौकरियों में स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के लिए 30% आरक्षण को खत्म कर दिया था। इस फैसले से शुरू हुआ छात्र आंदोलन जल्दी ही प्रधानमंत्री हसीना के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन बन गया। अगस्त 2024 में हसीना ने इस्तीफा देकर भारत का रुख किया। इसके बाद बांग्लादेश की सत्ता सेना के हाथों में आ गई।  

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भारत और बांग्लादेश के संबंधों पर असर?  
बांग्लादेश सरकार की पीएम मोदी की टिप्पणी पर आपत्ति से दोनों देशों के संबंधों में नया मोड़ आ सकता है। विजय दिवस पर किए गए इन बयानों ने इतिहास की व्याख्या को लेकर दोनों देशों के नजरिये में अंतर अब सामने आ गया है। बता दें कि शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से ही बांग्लादेश और भारत के रिश्तों में तनाव देखा जा रहा है। हालांकि, भारत और बांग्लादेश दोनों कूटनीतिक बातचीत रिश्तों को सामान्य बनाने में जुटे हैं। 

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