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Budget 2025: मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वित्त मंत्रालय को भेजे गए प्रस्ताव में मुद्रा योजना के अंतर्गत शिशु श्रेणी के लिए 5 लाख और किशोर श्रेणी के लिए 10 लाख रु. कर्ज सीमा बढ़ाने की सिफारिश की गई है।

Budget 2025: केंद्रीय बजट से पहले सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) मंत्रालय ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के तहत शिशु और किशोर श्रेणियों की कर्ज सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। यह सिफारिश 1 फरवरी 2025 को पेश होने वाले केंद्रीय बजट के लिए की गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर इस सिफारिश को मंजूरी मिलती है, तो यह छोटे और मध्यम उद्यमियों को राहत देने और उनकी व्यवसायिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा सकती है।

क्या है Mudra Yojana की सिफारिशें?
वित्त मंत्रालय को भेजे गए प्रस्ताव में निम्नलिखित बदलावों की सिफारिश की गई है जैसे- 

शिशु श्रेणी (Shishu Category):
मौजूदा कर्ज सीमा: ₹50,000 तक।
प्रस्तावित नई सीमा: ₹5 लाख।
किशोर श्रेणी (Kishor Category):
मौजूदा कर्ज सीमा: ₹50,001 से ₹5 लाख।
प्रस्तावित नई सीमा: ₹10 लाख।
 
Mudra Yojana मौजूदा व्यवस्था?
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत फिलहाल तीन श्रेणियों में कर्ज प्रदान किया जाता है:
शिशु: ₹50,000 तक।
किशोर: ₹50,001 से ₹5 लाख तक।
तरुण: ₹5 लाख से ₹10 लाख तक।
पिछले साल के बजट में, तरुण श्रेणी के तहत कर्ज अदायगी करने वालों के लिए "तरुण प्लस" नामक एक नई श्रेणी जोड़ी गई थी। इसके तहत ₹20 लाख तक का कर्ज देने का प्रावधान किया गया था।

सरकार की मंशा और उद्देश्य
यह प्रस्ताव छोटे और मध्यम व्यवसायों (SMEs) को प्रोत्साहन देने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। MSME मंत्रालय का मानना है कि कर्ज की सीमा बढ़ने से स्वरोजगार को बढ़ावा मिलेगा, नए व्यवसायों की शुरुआत होगी और पहले से चल रहे व्यवसायों का विस्तार संभव हो सकेगा।

मुद्रा योजना के तहत प्रगति
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत 17 जनवरी 2025 तक स्वीकृत ऋणों की कुल संख्या 3.7 करोड़ है और इसमें ₹3.66 लाख करोड़ रुपए कर्ज बांटा गया है। 

कर्ज वितरण में आने वाली चुनौतियां
हालांकि, योजना के तहत कर्ज वितरण के लक्ष्य हासिल करने में बैंक और वित्तीय संस्थान चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। 
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB): अक्टूबर 2024 तक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों ने कर्ज वितरण लक्ष्य का मात्र 42% ही हासिल किया।
 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSBs): बैंक ऑफ बड़ौदा: वार्षिक लक्ष्य का सिर्फ 16% कर्ज वितरित किया।
भारतीय स्टेट बैंक (SBI): 44% लक्ष्य पूरा किया।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया: 57% लक्ष्य हासिल कर सबसे बेहतर प्रदर्शन किया।

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माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र की समस्याएं
पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग के अनुसार, माइक्रोफाइनैंस सेक्टर को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कई संस्थानों का फंसा कर्ज (NPA) बढ़ रहा है। जबकि, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने कुछ माइक्रोफाइनेंस संस्थानों को नए कर्ज देने से रोक दिया है, जिससे कर्ज आवंटन में गिरावट आई है।

एनपीए में सुधार
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में बताया था कि मुद्रा योजना से जुड़े सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों का फंसा कर्ज (NPA) घटा है:
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक: 2023-24 में NPA घटकर 3.4% रह गया, जो 2020-21 में 4.77% था।
निजी क्षेत्र के बैंक: 2023-24 में NPA घटकर 0.95% रह गया।
 
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भविष्य की उम्मीदें
अगर बजट 2025 में इन सिफारिशों को मंजूरी मिलती है, तो यह प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत स्वरोजगार और छोटे व्यवसायों को बड़ा प्रोत्साहन देगा। साथ ही, कर्ज की बढ़ी हुई सीमा से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में रोजगार सृजन को भी बल मिलेगा।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत कर्ज सीमा बढ़ाने की यह पहल छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप्स के लिए वरदान साबित हो सकती है। यह सरकार की आत्मनिर्भर भारत और "वोकल फॉर लोकल" की योजना को साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा।

(मंजू कुमारी)

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