Halwa Ceremony: देश में हर साल आम बजट (Budget 2025) से पहले एक दिलचस्प परंपरा चली आ रही है, जिसे हलवा सेरेमनी (Halwa Ceremony) कहते हैं। यह दिन वित्त मंत्रालय, बजट प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों और अन्य लोगों के लिए एक बेहद खास अवसर होता है। हलवा सेरेमनी भारतीय संस्कृति, परंपरा और आधुनिक प्रशासनिक प्रक्रिया का खास संगम है। इस बार शुक्रवार (24 जनवरी) की शाम हलवा सेरेमनी हुई। इस समारोह का आयोजन वित्त मंत्रालय के नॉर्थ ब्लॉक स्थित ऑफिस में होता है।
हलवा सेरेमनी (Halwa Ceremony) का महत्व
1) गोपनीयता बनाए रखना:
इस परंपरा का मुख्य उद्देश्य बजट दस्तावेजों की गोपनीयता को सुनिश्चित करना है। हलवा सेरेमनी के बाद बजट की छपाई शुरू होती है, और इस प्रक्रिया में शामिल अधिकारी व कर्मचारी बाहरी दुनिया से पूरी तरह कट जाते हैं।
2) टीम के योगदान की सराहना:
हलवा सेरेमनी टीम वर्क की भावना और बजट प्रक्रिया में शामिल सभी लोगों के प्रयासों का सम्मान है।
3) परंपरा और आधुनिकता का संगम:
हलवा सेरेमनी भारतीय प्रशासनिक प्रक्रिया की सांस्कृतिक और पारंपरिक जड़ों को दर्शाती है, जो आधुनिक तकनीकी बदलावों के बावजूद जारी है।
हलवा सेरेमनी (Halwa Ceremony) की प्रक्रिया
- हलवा बनाना: इस आयोजन में एक बड़ी कढ़ाई में हलवा तैयार किया जाता है। वित्त मंत्री इसे बजट प्रक्रिया में शामिल कर्मचारियों को परोसते हैं।
- बजट दस्तावेजों की छपाई: हलवा सेरेमनी के बाद बजट दस्तावेजों की छपाई नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में शुरू होती है। छपाई पूरी होने तक कर्मचारी वहीं रहते हैं।
- सुरक्षा प्रबंध: इस दौरान कर्मचारियों को मोबाइल और इंटरनेट के इस्तेमाल की अनुमति नहीं होती। बाहरी संपर्क पूरी तरह से बंद कर दिया जाता है ताकि बजट की जानकारी लीक न हो।
Halwa Ceremony का इतिहास और परंपरा
हलवा सेरेमनी की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। यह परंपरा बजट तैयार करने में शामिल टीम के योगदान की सराहना और बजट प्रक्रिया की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए शुरू हुई थी। यह भारतीय संस्कृति और प्रशासनिक अनुशासन का प्रतीक है।
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2022 में हुआ था बदलाव
कोविड-19 महामारी के चलते 2022 में हलवा सेरेमनी में बदलाव किया गया था। उस साल हलवे की जगह मिठाई बांटी गई और बजट को डिजिटल फॉर्म में पेश किया गया। यह पहली बार था जब बजट दस्तावेजों की छपाई नहीं हुई।
डिजिटल युग में हलवा सेरेमनी
हालांकि डिजिटलीकरण और तकनीकी प्रगति ने बजट प्रक्रिया को आधुनिक बना दिया है, लेकिन हलवा सेरेमनी आज भी प्रशासन की एक महत्वपूर्ण परंपरा बनी हुई है। यह दर्शाता है कि आधुनिक बदलावों के बीच पारंपरिक मूल्यों को संरक्षित किया जा सकता है। हलवा सेरेमनी न केवल एक आयोजन है, बल्कि भारतीय प्रशासन की सांस्कृतिक और नैतिक विरासत का प्रतीक है।
(मंजू कुमारी)