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What is Repo Rate: आरबीआई ने पांच साल बाद रेपो रेट में कटौती कर दी है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि रेपो रेट में हुई इस कटौती से जनता को राहत मिलेगी। बाजार में कैश फ्लो बढ़ेगा। यहां पढें रेपो रेट से जुड़े सभी जरूरी फैक्ट्स। 

What is Repo Rate: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार (7 फरवरी) को आखिरकार पांच साल बाद रेपो रेट (Repo Rate) में कटौती का फैसला लिया है। RBI ने रेपो रेट (Repo Rate) को 6.50% से घटाकर 6.25% कर दिया है। इस कदम से होम लोन, ऑटो लोन और दूसरे लोन सस्ते होने की उम्मीद बढ़ गई है। देश की इकोनॉमी को मजबूती देने और महंगाई को कंट्रोल करने के लिए यह बदलाव किया गया है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि रेपो रेट (Repo Rate) में हुई इस कटौती से आम जनता को राहत मिलेगी। बाजार में कैश फ्लो बढ़ेगा। आइए जानते हैं कि क्या है रेपो रेट (Repo Rate) और इसमें बदलाव क्यों माना जाता है अहम। यहां पढें रेपो रेट से जुड़े सभी जरूरी फैक्ट्स। 

रेपो रेट क्या है और यह क्यों मायने रखता है?
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा तय किया गया रेपो रेट (Repo Rate) एक बेहद अहम फाइनेंनशियल टूल है। रेपो रेट (Repo Rate) की मदद से ही देश की इकोनॉमी को कंट्रोल किया जाता है। रेपो रेट (Repo Rate) वह ब्याज दर होती है, जिस पर कॉमर्शियल बैंक RBI से छोटी अवधि के लिए कर्ज लेते हैं। जब RBI रेपो रेट (Repo Rate) घटाता है, तो बैंक को कम ब्याज पर पैसा मिलता है, जिससे बैंक अपने कस्टमर्स को सस्ते लोन दे सकते हैं। इसके उलट, रेपो रेट (Repo Rate) बढ़ने पर लोन महंगा हो जाता है, जिससे मांग घटती है और महंगाई पर लगाम लगती है।

RBI ने घटाया रेपो रेट, अब कितना हुआ?
RBI ने 7 फरवरी 2025 को एक बड़ा फैसला लेते हुए रेपो रेट (Repo Rate) को 6.50% से घटाकर 6.25% कर दिया है। आरबीआई ने रेपो रेट (Repo Rate) में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की है। यह कटौती पांच सालों में पहली बार हुई है, जिससे यह संकेत मिलता है कि RBI अब अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों को कम कर रहा है। इससे पहले फरवरी 2023 में रेपो रेट (Repo Rate) 6.25% से बढ़ाकर 6.50% किया गया था। इसके बाद से अब तक रेपो रेट (Repo Rate) में बदलाव नहीं किया गया था।आर्थिक विशेषज्ञों की मानें तो लोन इंटरेस्ट रेट घटने से  रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल सेक्टर को फायदा होगा।

2010 से 2025 के बीच कितना बदला रेपो रेट, देखें टेबल:

वर्ष  रेपो रेट (%)
2010 5.25 - 6.25
2011 6.50 - 8.50
2012 8.00 - 8.50
2013 7.25 - 8.00
2014 7.75 - 8.00
2015 6.75
2016 6.50
2017 6.00
2018 6.25
2019 5.15 - 6.25
2020 4.00
2021 4.00
2022 4.40 - 5.90
2023 6.25
2024 6.50
2025 6.25 (7 फरवरी 2025 को 0.25% कटौती)

रेपो रेट का आपके होम लोन और EMI पर क्या होगा असर?
रेपो रेट (Repo Rate) में बदलाव का सीधा असर आपकी जेब पर पड़ता है। अगर आपने होम लोन लिया है या लेने की योजना बना रहे हैं, तो यह फैसला आपके लिए बेहद अहम हो सकता है। मान लीजिए आपने ₹60 लाख का होम लोन 20 साल के लिए लिया है और मौजूदा ब्याज दर 9% है। अगर रेपो रेट (Repo Rate) में 0.5% की बढ़ोतरी होती है, तो आपकी EMI ₹2000 तक बढ़ सकती है। इसी तरह, कटौती होने पर EMI घट सकती है। इस फैसले से होम लोन, कार लोन और दूसरे लोन रेट में गिरावट आने की उम्मीद है। 

रेपो रेट में बदलाव से आपकी सेविंग पर क्या असर पड़ेगा?
अगर आपके पास सेविंग अकाउंट या फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) है, तो यह फैसला आपके लिए मायने रखता है। आमतौर पर, जब रेपो रेट (Repo Rate) घटता है, तो बैंक भी अपनी सेविंग स्कीम्स पर ब्याज दरों में कटौती करते हैं। इसका मतलब है कि आपकी FD पर मिलने वाला ब्याज कम हो सकता है। उदाहरण के लिए, यदि आपने 5 लाख रुपए की FD तीन साल के लिए 7% ब्याज दर पर कराई है और बैंक ब्याज दर 0.25% घटा देता है, तो आपको मिलने वाले टोटल रिटर्न अमाउंटर पर असर पड़ेगा। इसलिए, रेपो रेट (Repo Rate) में बदलाव से पहले इनवेस्टमेंट प्लान पर विचार करना जरूरी है। चलिए अब इसे आसानी से समझाते हैं

लोन पर क्या होगा रेपो रेट घटने का असर:

  • अगर रेपो रेट (Repo Rate) घटता है, तो बैंकों के लिए RBI से कर्ज लेना सस्ता हो जाता है। इसका फायदा ग्राहकों को मिलता है और होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन जैसी सभी लोन स्कीमों की ब्याज दरें कम हो सकती हैं। इससे ईएमआई (EMI) कम होती है और ग्राहकों को राहत मिलती है।
  • उदाहरण: यदि किसी ने ₹50 लाख का होम लोन लिया है और ब्याज दर 8% से 7.75% हो जाती है, तो मासिक EMI ₹1,000-₹1,500 तक कम हो सकती है। रेपो रेट (Repo Rate) बढ़ने पर बैंक भी लोन महंगा कर देते हैं, जिससे ईएमआई बढ़ जाती है और कर्ज चुकाना मुश्किल हो सकता है।

सेविंग अकाउंट पर रेपो रेट घटने का असर: 

  • रेपो रेट (Repo Rate) घटने पर बैंकों की कमाई कम हो सकती है, जिससे बैंक सेविंग अकाउंट पर मिलने वाले इंटरेस्ट रेट को भी कम कर सकते हैं। इसका मतलब है कि कस्टमर्स को अपने जमा पैसे पर पहले की तुलना में कम ब्याज मिलेगा।
  • उदाहरण: यदि किसी सेविंग अकाउंट पर पहले 4% ब्याज मिल रहा था और बैंक इसे घटाकर 3.5% कर देता है, तो ₹1 लाख की जमा राशि पर मिलने वाला वार्षिक ब्याज ₹4,000 से घटकर ₹3,500 हो सकता है। रेपो रेट (Repo Rate) बढ़ने से बैंक सेविंग अकाउंट पर अधिक ब्याज दे सकते हैं, जिससे बचत करने वालों को फायदा होता है।

फिक्स्ड डिपोजिट (FD) पर रेपो रेट असर

  • फिक्स्ड डिपोजिट पर मिलने वाला ब्याज भी रेपो रेट (Repo Rate) से प्रभावित होता है। अगर रेपो रेट (Repo Rate) घटता है, तो बैंक FD पर ब्याज दरें भी कम कर सकते हैं, जिससे निवेशकों को कम रिटर्न मिलेगा। रेपो रेट (Repo Rate) बढ़ता है, तो FD पर ब्याज दरें भी बढ़ सकती हैं, जिससे निवेशकों को ज्यादा रिटर्न मिलने की संभावना रहती है।
  • उदाहरण: अगर किसी बैंक की FD ब्याज दर 7% थी और RBI रेपो रेट घटाता है, तो बैंक इसे घटाकर 6.75% कर सकता है। ₹5 लाख की FD पर, पहले सालाना ब्याज ₹35,000 मिलता था, जो घटकर ₹33,750 हो सकता है। रेपो रेट (Repo Rate) बढ़ने पर यही ब्याज दर 7.25% तक जा सकती है, जिससे FD पर मिलने वाला ब्याज भी बढ़ जाएगा।

क्यों घटाया गया रेपो रेट और इसका क्या असर होगा?
RBI ने रेपो रेट (Repo Rate) घटाने का फैसला इसलिए लिया है क्योंकि देश में महंगाई दर(Inflation Rate) धीरे-धीरे कंट्रोल हो रही है। ऐसे में आर्थिक विकास को गति देने की जरूरत है। जब रेपो रेट (Repo Rate) घटता है, तो कर्ज सस्ता हो जाता है, जिससे लोग ज्यादा खर्च करने लगते हैं। इससे बाजार में मांग बढ़ती है और अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है। हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर लोन ज्यादा सस्ते हो गए, तो ज्यादा उधारी के कारण भविष्य में महंगाई बढ़ सकती है। इसलिए, यह फैसला इकोनॉमी को बैलेंस करने के लिए लिया गया है।

रेपो रेट: क्या इससे सस्ते लोन मिलने लगेंगे?
यह फैसला होने के बाद यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या बैंक तुरंत ब्याज दरें घटा देंगे? आमतौर पर, जब RBI रेपो रेट (Repo Rate) कम करता है, तो बैंक भी अपनी ब्याज दरें कम कर सकते हैं, लेकिन इसमें कुछ समय लग सकता है। कई बैंक पहले अपनी फाइनेंनशियल कंडिशन का विश्लेषण करते हैं। इसके बाद बैंक अपने रेट में बदलाव करते हैं। यदि आपने हाल ही में लोन लिया है, तो आपको अपने बैंक से संपर्क करके नए इंटरेस्ट रेट की जानकारी लेनी चाहिए।

रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में क्या फर्क है?
रेपो रेट (Repo Rate) और रिवर्स रेपो रेट दोनों ही अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने के अहम टूल हैं, लेकिन इनका उद्देश्य अलग-अलग होता है। रेपो रेट (Repo Rate) वह दर है, जिस पर बैंक RBI से पैसा उधार लेते हैं, जबकि रिवर्स रेपो रेट (Repo Rate) वह दर होती है, जिस पर RBI बैंकों से पैसा उधार लेता है। जब रेपो रेट (Repo Rate) घटता है, तो लोन सस्ते होते हैं, लेकिन जब रिवर्स रेपो रेट (Repo Rate) घटता है, तो बैंक कम ब्याज पर पैसा जमा कर सकते हैं। वर्तमान में रिवर्स रेपो रेट (Repo Rate) 3.35% है, जो अर्थव्यवस्था में संतुलन बनाए रखने के लिए रखा गया है।

रेपो रेट: क्या आपको अपने लोन की रणनीति बदलनी चाहिए?
अगर आपने पहले ही लोन लिया है, तो यह समय हो सकता है कि आप अपनी रणनीति पर दोबारा विचार करें। अगर बैंक ब्याज दरें घटाते हैं, तो आप अपने लोन को कम ब्याज दर पर रीफाइनेंस करा सकते हैं, जिससे आपकी EMI कम हो सकती है। इसके अलावा, अगर आप नया लोन लेने की सोच रहे हैं, तो आने वाले महीनों में ब्याज दरों पर नज़र रखना फायदेमंद होगा। रेपो रेट (Repo Rate) में बदलाव का असर धीरे-धीरे दिखता है, इसलिए जल्दबाजी में कोई फैसला न लें।

रेपो रेट: अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा?
RBI का यह फैसला अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए उठाया गया कदम है। इससे बिजनेस सेक्टर को फायदा होगा, क्योंकि सस्ते कर्ज मिलने से कंपनियां ज्यादा निवेश कर सकेंगी। इसके अलावा, ऑटोमोबाइल और रियल एस्टेट सेक्टर में भी उछाल आने की संभावना है। हालांकि, अगर बहुत ज्यादा कर्ज लिया जाने लगा, तो भविष्य में महंगाई बढ़ सकती है। इसलिए, सरकार और RBI को संतुलन बनाए रखना होगा।

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