MP News: मध्य प्रदेश सरकार निजी स्कूलों की फीस में अनियंत्रित वृद्धि को रोकने के लिए नया कानून लेकर आ रही है। यह कानून उन स्कूलों पर लागू होगा, जिनकी वार्षिक फीस 25,000 रुपये से अधिक है। इसके तहत,10% से अधिक फीस वृद्धि पर सख्त पाबंदी होगी और नियमों का पालन न करने वाले स्कूलों पर कार्रवाई की जाएगी। आइए जानते हैं इस नए कानून से जुड़े अहम पहलू और इससे छात्रों व अभिभावकों को मिलने वाले फायदे।
फीस वृद्धि पर नियंत्रण
मध्य प्रदेश में 34,652 निजी स्कूल संचालित हो रहे हैं, जिनमें से 16,000 स्कूल ऐसे हैं जिनकी फीस 25,000 रुपये से कम है। सरकार ने इन स्कूलों को नए कानून से छूट दी है, ताकि छोटे स्कूलों पर अतिरिक्त दबाव न पड़े। लेकिन, जिन स्कूलों की वार्षिक फीस 25,000 रुपए से अधिक है, वे नए कानून के दायरे में आएंगे।
इस कानून के तहत:
- स्कूल 10% से अधिक फीस वृद्धि नहीं कर सकेंगे।
- 15% से अधिक फीस बढ़ाने वाले स्कूलों पर कड़ी कार्रवाई होगी।
- एक राज्य स्तरीय समिति बनाई जाएगी, जो फीस वृद्धि पर निगरानी रखेगी।
- राज्य स्तरीय समिति 45 दिन के भीतर आपत्तियों का निपटारा करेगी।
कैसे होगा कानून का क्रियान्वयन?
सरकार मध्य प्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) 2020 के नियमों में संशोधन करने जा रही है। स्कूल शिक्षा विभाग ने 11 मार्च को नए नियमों का प्रारूप जारी किया और संबंधित पक्षों से 30 दिनों के भीतर आपत्तियां एवं सुझाव मांगे हैं। इन सुझावों के आधार पर अंतिम नियम बनाए जाएंगे और लागू किए जाएंगे। सरकार ने साफ किया है कि जो स्कूल इस कानून के दायरे में नहीं आते, उन्हें नोटरीकृत शपथ पत्र पोर्टल पर अपलोड करना होगा।
राज्य स्तरीय समिति करेगी निगरानी
फीस नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए सरकार एक राज्य स्तरीय समिति बनाएगी, जिसकी अध्यक्षता शिक्षा विभाग के मंत्री करेंगे। यह समिति सभी जिलों में गठित स्थानीय समितियों की निगरानी करेगी। जिला स्तर की समिति फीस वृद्धि से संबंधित मामलों पर फैसला लेगी। यदि स्कूल के खिलाफ कोई शिकायत आती है, तो समिति 45 दिन के भीतर समाधान करेगी। समिति का फैसला अंतिम और बाध्यकारी होगा।
नए नियमों से अभिभावकों को कैसे मिलेगा फायदा?
निजी स्कूलों में बढ़ती फीस अभिभावकों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय रही है। सरकार के इस नए कानून से फीस पर नियंत्रण रहेगा और छात्रों की शिक्षा महंगी नहीं होगी। इससे बिना जरूरत फीस वृद्धि पर रोक लगेगी। वहीं, अभिभावकों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा। और फीस संबंधी शिकायतों के लिए स्पष्ट नियम और समाधान प्रक्रिया होगी।