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Lipid Profile Test: हार्ट डिजीज से बचाव के लिए जरूरी है कि आप रेग्युलर बेसिस पर हार्ट संबंधी टेस्ट करवाते रहें। इन टेस्ट्स में प्रमुख है- लिपिड प्रोफाइल टेस्ट। यह टेस्ट क्या होता है, इससे क्या इंडिकेट होता है? इस बारे में आपको जरूर पता होना चाहिए।

Lipid Profile Test: आजकल की अनियमित जीवनशैली में अनेक कारणों से हृदय संबंधित समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर में इस प्रकार के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार हृदय संबंधी रोग (सीवीडी) 3.9 मिलियन वार्षिक मौतों के लिए जिम्मेदार हैं, जो सभी मौतों का 30% है। ऐसे में आपको ना सिर्फ अपने जीवन शैली में सुधार करना होगा, अपने खान-पान में सुधार करना होगा, व्यायाम को अपने जीवन में महत्व देना होगा, बल्कि आपको समय-समय पर डॉक्टर के पास जाकर जांच भी करानी होगी। हृदय की जांच के लिए सबसे प्रमुख टेस्ट लिपिड प्रोफाइल टेस्ट होता है। लिपिड प्रोफाइल टेस्ट आपके दिल के स्वस्थ का आईना होता है।

लिपिड प्रोफाइल टेस्ट है जरूरी: हमारे दिल की सेहत जीवनशैली, आहार और आनुवांशिकी सहित कई तरह के कारकों पर निर्भर करती है। दिल के स्वास्थ्य की जांच के लिए डॉक्टर कई प्रकार के टेस्ट कराते हैं, जिनमें से एक है लिपिड प्रोफाइल टेस्ट। लिपिड प्रोफाइल टेस्ट आपके ब्लड में मौजूद लिपिड्स यानी वसा का मापन करता है, जो हार्ट हेल्थ के लिए बेहद जरूरी होते हैं। इस टेस्ट के माध्यम से शरीर में मौजूद ‘गुड’ और ‘बैड’ कोलेस्ट्रॉल के स्तर का पता चलता है, जो यह बताता है कि आपके दिल का स्वास्थ्य सही है या नहीं।

लिपिड प्रोफाइल टेस्ट क्या है: धर्मशिला नारायणा हॉस्पिटल, दिल्ली में डायरेक्टर-कार्डियोलॉजी, डॉ. समीर कुब्बा बताते हैं, ‘लिपिड प्रोफाइल एक ब्लड टेस्ट है] जिसके द्वारा शरीर में चार मुख्य प्रकार के लिपिड्स का मापन किया जाता है।

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टोटल कोलेस्ट्रॉल:यह आपके खून में मौजूद कुल कोलेस्ट्रॉल का स्तर बताता है। एक स्वस्थ व्यक्ति में इसका स्तर 200 एमजी/डीएल से कम होना चाहिए।

लो डेंसिटी लाइपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल: इसे ‘बैड’ कोलेस्ट्रॉल भी कहा जाता है। यदि इसका स्तर 100 एमजी/डीएल से अधिक है तो ये दिल की बीमारियों और हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ा सकता है। 

हाई-डेंसिटी लाइपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल: इसे ‘गुड’ कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है। यह बैड कोलेस्ट्रॉल को हटाने में मदद करता है। पुरुषों में इसकी स्वस्थ मात्रा 40 एमजी/डीएल से अधिक और महिलाओं में इसकी मात्रा 50 एमजी/डीएल से अधिक होनी चाहिए।

ट्राइग्लिसराइड्स: यह एक प्रकार की वसा होती है, जो अतिरिक्त कैलोरी को शरीर में फैट के रूप में स्टोर करती है। इसका उच्च स्तर दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है। सामान्य रूप से इसका स्तर 150 एमजी/डीएल से कम होना चाहिए।’

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लिपिड प्रोफाइल और हार्ट हेल्थ: श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली के डायरेक्टर-इंटरवेंशनल, क्लिनिकल एंड क्रिटिकल कार्डियोलॉजी एंड इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी, डॉ. अमर सिंघल के अनुसार, ‘लिपिड प्रोफाइल टेस्ट के माध्यम से दिल के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी मिलती है। यदि आपके लिपिड प्रोफाइल में लो-डेंसिटी लाइपोप्रोटीन यानी बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक है, तो ये आपकी धमनियों की दीवारों या रक्त वाहिकाओं में वसा के जमने का कारण बन सकता है, जिससे ब्लड सर्कुलेशन में रुकावट पैदा हो सकती है। इसे एथेरोस्क्लेरोसिस कहा जाता है, जो हार्ट अटैक और दिल की बीमारियों का मुख्य कारण होता है। वहीं, अगर हाई-डेंसिटी लाइपोप्रोटीन यानी गुड कोलेस्ट्रॉल का स्तर शरीर में पर्याप्त है, तो यह बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है और विभिन्न प्रकार की दिल की बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है। गुड कोलेस्ट्रॉल का स्तर जितना अधिक होगा, दिल का स्वास्थ्य उतना ही बेहतर होगा।’ 

क्या होता है इंडिकेट: यदि आपका लिपिड प्रोफाइल बताए गए मानकों से अधिक या कम है, तो यह आपकी स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय हो सकता है। इस बारे में नारायणा हॉस्पिटल, गुरुग्राम में सीनियर डायरेक्टर और प्रोग्राम हेड कार्डियक साइंसेज, डॉ. हेमंत मदान बताते हैं, ‘अधिक एलडीएल और ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर दिल के दौरे, स्ट्रोक और अन्य दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है। इसके अलावा, कम एचडीएल स्तर भी हृदय रोगों के जोखिम को बढ़ा सकता है। 

लिपिड प्रोफाइल टेस्ट दिल के स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण पैमाना है। यह टेस्ट ना केवल बताता है कि आपका दिल कितना स्वस्थ है, बल्कि यह भी इंडिकेट करता है कि आपको अपने आहार और जीवनशैली में क्या बदलाव करने चाहिए? यदि आपका लिपिड स्तर सामान्य से अधिक या कम है, तो ऐसे में आपको इसे गंभीरता से लेना चाहिए और डॉक्टर से परामर्श के लिए संपर्क करना चाहिए। इसके अलावा दिल की बेहतर सेहत के लिए आप फाइबर, ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थ, नट्स, बीज, जैतून का तेल, एवोकाडो और पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करें। स्वस्थ जीवनशैली और नियमित व्यायाम को प्राथमिकता दें और नियमित रूप से आवश्यक मेडिकल चेकअप कराते रहें।’

प्रस्तुति: सेहत डेस्क

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