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healthy food: तरबूज के बीज की गिरी मूत्र रोग में रामबाण है और मस्तिष्क को शक्ति प्रदान करती है। नियमित तरबूज खाने से पेट की खराबी में राहत मिलती है।

healthy food: मतीरा यानी तरबूज गर्मी में तन को तरावट देने वाला फल है। यह गर्मी के मौसम में बालू वाली भूमि पर पैदा होता है। भारत में राजस्थान का यह लोकप्रिय फल माना जाता है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, बिहार आदि प्रदेशों में भी यह बहुतायत से उत्पन्न होता है। नदियों की बलुई जमीन में इसकी बेल, आसानी से उग आती है। यह फल हल्का हरा या गहरे हरे रंग का होता है, जिसके भीतर लाल रंग का गूदा होता है। तरबूज खाने से प्यास शांत होती है और लू नहीं लगती है।

कहां हुई इसकी उत्पत्ति
तरबूज दुनिया में आया कहां से, इसको लेकर बहुत मतभेद हैं। भारत के लोग दावा करते आए हैं कि तरबूज हमारे देश का देशज फल है। दुनिया के लोग अभी तक इसे सूडान का फल मानते रहे हैं। सफेद गूदे वाले तरबूज के फल सूडान के जंगलों में पाए जाते थे, जो जानवरों को खिलाने के काम आते थे और कम मीठे होते थे। ईरान में लाल गूदे वाले तरबूज पाए जाते थे और माना जाता था कि ईरान के रेगिस्तान में तरबूज की उत्पत्ति हुई है लेकिन 3300 वर्ष पूर्व मिस्र के तूती खामीन के मकबरे में तरबूज के बीज मिले थे तो माना गया कि तरबूज की उत्पत्ति मिस्र में हुई होगी। फिर 4300 वर्ष पूर्व की एक पेंटिंग मिस्र के एक गुंबद में मिली, जिसमें एक तश्तरी में कटे हुए तरबूज के लाल रंग की फांके के चित्र बने हुए हैं। इस आधार पर लोग मानने लगे कि मिस्र के लोग लाल गूदे वाले मीठे तरबूज के बारे में बहुत पहले से जानते थे। आज तरबूज पूरी दुनिया में प्यास बुझाने के लिए गर्मियों का एक प्रमुख फल है। 

मौजूद प्रमुख तत्व
एक पके तरबूज में 90 प्रतिशत जल, 0.4 प्रतिशत प्रोटीन, 0.3 प्रतिशत वसा, 0.3 प्रतिशत खनिज तत्व, 4 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट और लोहा भी पाया जाता है। तरबूज के काले बीजों को सुखाकर उसका छिल्का हटाकर गिरी खाई जाती है। तरबूज के बीजों में 52 प्रतिशत तेल, 34 प्रतिशत प्रोटीन और अन्य तत्व होते हैं। बीजों की तासीर शीतल होने के कारण शरबत और लस्सी में भी इसका प्रयोग किया जाता है। 

कई रोगों में उपयोगी
तरबूज के बीज की गिरी मूत्र रोग में रामबाण है और मस्तिष्क को शक्ति प्रदान करती है। नियमित तरबूज खाने से पेट की खराबी में राहत मिलती है। सूखी खांसी के मरीज को लाभ मिलता है और उच्च रक्तचाप को भी  नियंत्रित करता है। जोड़ों के दर्द में यह उपयोगी है। परीक्षणों में पाया गया है कि तरबूज के सेवन से गुर्दे की पथरी भी मूत्र के द्वारा निकल जाती है। यह रक्त वर्धक भी होता है। 

रखें ध्यान
तरबूज खाने से जहां कई फायदे हैं, वहीं कुछ नुकसान भी हैं। अधिक तरबूज खाने से सुस्ती आती है। दमा के रोगी को परेशानी बढ़ती है। तरबूज को काट करके ही खाना चाहिए। बाजार में बिकने वाले कटे हुए तरबूज नहीं खाने चाहिए। बर्फ के बीच रखे कटे हुए तरबूज भी स्वास्थ्य के लिए अच्छे नहीं होते हैं।

मौसमी फल
शिवचरण चौहान

 

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