Bharat Mata ki Jai Controversy: केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने सोमवार को एक कार्यक्रम में भारत माता की जय नारे को लेकर विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा, 'कुछ कार्यक्रमों में, हमने सुना है कि कुछ संघ परिवार के नेता लोगों से 'भारत माता की जय' बोलने के लिए कह रहे हैं। उन्होंने सवाल पूछा कि भारत माता की जय का नारा किसने दिया? मुझे नहीं पता कि संघ परिवार यह जानते हैं या नहीं।
उन्होंने दावा किया कि सबसे पहले यह नारा अजीमुल्ला खान ने लगाया था। वह 19वीं शताब्दी में मराठा पेशवा नाना साहेब के प्रधान मंत्री थे। हमें पता होना चाहिए कि उन्होंने यह शब्द गढ़ा था- भारत माता की जय। मुझे नहीं पता कि क्या संघ परिवार यह नारा नहीं लगाने का फैसला करेगा। क्योंकि यह नारा एक मुस्लिम द्वारा लगाया गया था? इसलिए, मैं कहना चाहता हूं कि संघ परिवार जो कहता है कि मुसलमानों को भारत छोड़ देना चाहिए, उन्हें भेज दिया जाना चाहिए पाकिस्तान, उन्हें इस इतिहास को समझना चाहिए।
Kerala CM Pinarayi Vijayan in an event yesterday said, "In some programs, we hear some Sangh Parivar leaders asking people to chant 'Bharat Mata ki Jai'. Who coined the slogan Bharat Mata ki Jai? I don't know if the Sangh Parivar knows this. His name was Azimullah Khan. I don't… pic.twitter.com/VMUKGMGCll
— ANI (@ANI) March 26, 2024
सीएए के खिलाफ आयोजित थी रैली
मुख्यमंत्री विजयन सोमवार को मुस्लिम बाहुल्य मलप्पुरम में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ सीपीआई की तरफ से आयोजित में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भारतीय मुस्लिमों को पाकिस्तान भेजने की बात करने वालों को देश के इतिहास की जानकारी रखनी चाहिए। मुगल सम्राट शाहजहां के बेटे दारा शिकोह ने संस्कृत में लिए गए 50 से अधिक उपनिषदों का फारसी में अनुवाद कराया था। इससे भारतीय ग्रंथ दुनियाभर तक पहुंचे।
मुस्लिम बाहुल्य मलप्पुरम
मलप्पुरम केरल में सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला जिला है। यहां 72.4 फीसदी मुस्लिम हैं। 5 हजार से अधिक मस्जिदें हैं। 1957 से 2019 तक इस सीट पर इंडियन मुस्लिम लीग का कब्जा रहा है। 2004 में सीपीआई के टीके हमजा सांसद चुने गए थे।
किसने रचा था भारत माता की जय स्लोगन
भारत माता की जय नारा स्वतंत्रता संग्राम का एक अहम नारा था, जिसे समाज के सभी धर्मों और वर्गों के लोग लगाते थे। लेकिन असदुद्दीन ओवैसी और वारिस पठान जैसे नेताओं ने इसकी मुखालफत की है। इस नारे को बंगाल के प्रसिद्ध साहित्यकार बंकिम चंद्र बनर्जी ने रचा था। उन्होंने एक नाटक भारत माता लिखा था, जिसका मंचन 1873 में हुआ था। इस नाटक में भारत माता की जय के नारे लगाए गए थे।