गरियाबंद-कोपरा। गरियाबंद जिले की कोपरा नगर पंचायत चुनाव का माहौल अब पूरी तरह गर्मा चुका है। जहां कांग्रेस और बीजेपी अपने-अपने प्रत्याशियों के समर्थन में जुटी हैं, वहीं निर्दलीय प्रत्याशी गोरेलाल सिन्हा ने चुनावी समीकरण को बदलने की कोशिश की है। जनता के बीच उनकी पैठ बढ़ती जा रही है, इस निर्दलीय प्रत्याशी ने दोनों बड़े राजनीतिक दलों की चिंता बढ़ा दी है।
कोपरा में वर्षों से चली आ रही अव्यवस्थाओं और विकास कार्यों की धीमी रफ्तार से जनता नाखुश है। इसी माहौल में सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार गोरेलाल सिन्हा ने चुनाव में उतरकर एक नई राजनीतिक लहर खड़ी करने की कोशिश की है। उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जनता से जुड़ने की रणनीति अपनाई और बिना किसी बड़े संगठन के समर्थन के व्यापक जनसमर्थन जुटाने की कोशिश में जुटे हैं।
दोनो बड़े दलों का बिगड़ सकता है समीकरण
इस चुनाव में कांग्रेस ने नंदकुमार साहू और बीजेपी ने रूपनारायण साहू को अपना प्रत्याशी बनाया है। दोनों ही दल अपने-अपने प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ रहे, लेकिन गोरेलाल सिन्हा की सादगी, ईमानदारी और जनता से सीधा जुड़ाव उन्हें एक अलग पहचान दे रहा है। वे चुनावी नारों और वादों की बजाय जनसेवा के वास्तविक कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जिससे लोगों का भरोसा उन पर बढ़ रहा है।
चुनाव प्रचार का अलग ट्रेंड
गोरेलाल सिन्हा का चुनाव प्रचार पारंपरिक रैलियों और सभाओं से अलग हटकर अधिक व्यक्तिगत और संवादात्मक है। वे घर-घर जाकर लोगों से मिल रहे हैं, उनकी समस्याएं सुन रहे हैं और समाधान के ठोस प्रस्ताव रख रहे हैं।
दिलचस्प हुआ चुनाव
कोपरा नगर पंचायत की सियासत को समझने वालों की मानें तो निर्दलीय गोरेलाल कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए चुनौती बन सकते हैं। अब देखना यह होगा कि क्या गोरेलाल सिन्हा की यह जनसंपर्क रणनीति और जनता का विश्वास उन्हें नगर पंचायत का प्रथम अध्यक्ष बना पाता है या नहीं। लेकिन इतना तय है कि इस बार का चुनाव दिलचस्प और ऐतिहासिक होने जा रहा है।