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जगदलपुर के वन विद्यालय में 6 हजार वनपालों को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में वनस्पतियों की पहचान, हर्बेरियम तैयार करने का कार्य और भ्रमण पत्रक तैयार करना बताया गया। 

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के गीदम रोड स्थित वन विद्यालय की स्थापना वर्ष 1971 में हुई, लेकिन पूर्ण रूप से प्रशिक्षण का कार्य वर्ष 1973 से प्रारम्भ हुआ। इस तरह से 51 वर्षों में विद्यालय में 6 हजार से अधिक वनपालों को प्रशिक्षण दिया गया। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के पूर्व नियमित रूप से 50 वनपाल एवं 100 वनरक्षकों को प्रति वर्ष प्रशिक्षण प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया था। छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के पश्चात वन विद्यालय में वनरक्षकों एवं वनपालों के प्रशिक्षण की व्यवस्था रखी गई। 

इसके अनुरूप अब तक 1 वर्षीय वनपाल प्रशिक्षण में 1025, छह माही वनपाल प्रशिक्षण में 698 यानि 1723 वनपालों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। एक जनवरी 2012 से वनपालों के लिये वनपाल प्रशिक्षण के स्थान पर 45 दिवसीय वनपाल कौशल उन्नयन प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया है। जिसके तहत 45 प्रशिक्षण सत्रों में 1755 वनपाल प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। एक जनवरी 2020 से 45 दिवसीय वनपाल कौशल उन्नयन प्रशिक्षण सत्र के स्थान पर 60 दिवसीय वनपाल कौशल उन्नयन प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया है। जिसके तहत 2 प्रशिक्षण सत्रों में 108 वनपाल प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। 18 अप्रैल 2022 से 60 दिवसीय वनपाल कौशल उन्नयन प्रशिक्षण सत्र के स्थान पर पुन: 45 दिवसीय वनपाल कौशल उन्नयन प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया है। जिसमें 15 सत्रों में 750 वनपाल प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। 45 दिवसीय वनपाल कौशल उन्नयन प्रशिक्षण में अब तक 2505 वनपाल प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। 

कम्प्यूटर के साथ कई क्षेत्रों के दिए गए प्रशिक्षण 

इसके अलावा बदलते परिवेश में उभरती हुई चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करने हेतु कम्प्यूटर का प्रशिक्षण नियमित रूप से दिए जाते हैं। साथ ही विशेषज्ञों द्वारा जीपीएस की उपयोगिता, चिन्हांकन एवं पातन तकनीक, आधुनिक नर्सरी तकनीकें, भू-जल संरक्षण कार्य एवं कृषि वानिकी इत्यादि विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण के दौरान वनस्पतियों की पहचान एवं हर्बेरियम तैयार करने का कार्य, भ्रमण पत्रक तैयार करना, प्रशिक्षणार्थियों से फिड बैंक लेना, प्रशिक्षण के दौरान योग का प्रशिक्षण देना, पीटी एवं परेड कराना प्रशिक्षण सत्र के दौरान किया गया।

प्रशिक्षणार्थियों को इन जगहों का कराया गया भ्रमण

भ्रमण कार्यक्रम अन्तर्गत प्रशिक्षणार्थियों को जगदलपुर वृत्त के साथ- साथ छत्तीसगढ़ के अन्य वृत्तों में भी शैक्षणिक बाह्य भ्रमण कराकर वानिकी एवं विकास कार्यों का ज्ञान दिया गया। इसी तारतम्य में कोण्डागांव, केशकाल, कांकेर धमतरी (दुगली), उदन्ती सीतानदी गरियाबंद, बलौदाबाजार, रायगढ़, रायपुर वनमण्डलों एवं बारनवापारा परियोजना मण्डल, कोटा परियोजना मण्डल में अच्छे वानिकी कार्यों का निरीक्षण एवं अध्ययन कराया गया। भ्रमण कार्यक्रम अन्तर्गत छत्तीसगढ़ राज्य के बाहर तेलंगाना राज्य अन्तर्गत तेलंगाना वन विभाग एवं तेलंगाना वन विकास निगम अन्तर्गत चल रहे विभिन्न कार्यों का ज्ञान दिया गया। इसी तारतम्य में भद्राचलम, मनुगुर, भद्राद्री, कोत्तागुडम एवं पलवेन्चा वनमण्डलों का बाह्य शैक्षणिक भ्रमण एवं अध्यापन कराया गया। प्रशिक्षाणिर्यों को आस-पास के वनों में प्रशिक्षणार्थियों को विदोहन, लगुण, नर्सरी, मुनारा निर्माण, मृदासंरक्षण कार्य, पीओआर जारी करना, पंचनामा बनाना आदि का व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया गया।

प्रशिक्षणार्थियों को दिया गया शारीरिक प्रशिक्षण

प्रशिक्षणार्थियों को सुबह कालीन व्यायाम एवं शारीरिक क्षमता विकास हेतु खेल-कूद का नियमित अभ्यास कराया जाता है ताकि बौद्धिक विकास के साथ-साथ उनकी शारीरिक दक्षता, सहनशीलता तथा अनुशासन का विकास हो सके। इसके लिए उपलब्ध संसाधनों के तहत खेल नियमित रूप से कराए जाते हैं। प्रशिक्षणार्थियों को पीटी एवं परेड का अभ्यास नियमित रूप से कराया जाता है।

क्षेत्रीय कार्यों की दी गई जानकारी 

वन विद्यालय की संचालक दिव्या गौतम ने बताया कि, क्षेत्रीय कार्यों के सफल क्रियान्वयन हेतु प्रशिक्षणार्थियों को अल्टिमीटर द्वारा वृक्षों की ऊंचाई ज्ञात करना, प्लेन टेबल सर्वेक्षण, चैन सर्वेक्षण तथा जीपीएस सर्वेक्षण प्रशिक्षण के साथ ही पर्यावरण एवं आस-पास के वातावरण को सुरक्षित रखने हेतु सफाई अभियान चलाकर विद्यालय परिसर को प्रदूषण मुक्त करने हेतु प्रशिक्षणार्थियों को निर्देशित किया जाता है।

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