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बस्तर के सुदूर क्षेत्र के आदिवासी युवा का चयन क्रिकेट एमआरएफ पेस फाउंडेशन में हुआ. जहां उसे ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज रहे ग्लेन मेग्रा उसे गेंदबाजी की ट्रेनिंग देंगे। 

अनिल सामंत- जगदलपुर। बस्तर में गुदड़ी के लाल पलते हैं, इस कहावत को चरितार्थ किया है। दंतेवाड़ा जिले के कटेकल्याण के रहने वाले रुद्रप्रताप देहारी ने निरंतर अभ्यास और सही मार्गदर्शन हासिल हो जाने से रुद्र की परफारमेंस से आकर्षित होकर चयनकर्ताओं ने उनका नाम क्रिकेट के एमआरएफ पेस फाउंडेशन जैसे नामी ऐकेडमी में सलेक्ट हुआ है। जहां अंतराष्ट्रीय क्रिकेट के एक जमाने मे दिग्गज तेज गेंदबाज ग्लेन मैग्राथ रुद्रप्रताप को ट्रेंड करेंगे।

एमआरएफ पेस फाउंडेशन में चयन होना छोटी बात नही है, इसके लिए गेंद की रफ्तार मायने रखता है। रुद्रप्रताप अभी 17 वर्ष का है,और उसकी बॉलिंग रफ्तार 130 से 135 किमी प्रति किमी से गेंदबाजी कर रहा है। चेन्नई में ट्रेनिंग के पश्चात गेंदबाजी की रफ्तार में और ग्रोथ होने की उम्मीद है। मेहनत और लगन के दम पर रुद्रप्रताप पहला मुकाम हासिल कर चुके हैं। अब यदि भाग्य ने साथ दिया और इसी तरह मेहनत करते रहे तो सफलता की सीढ़ी चढ़ते हुए बस्तर अंचल का नाम रोशन करेंगे।

रोज करते हैं प्रेक्टिस 

विदित हो कि, सुदूर आदिवासी बाहुल्य बस्तर से पहली बार एक आदिवासी युवा अपने योग्यता और दम से अंतराष्ट्रीय स्तर पर सर्वाधिक चर्चित खेल क्रिकेट के सबसे विश्वशनीय एकेडमी एमआरएफ पेस फाउंडेशन में चयन होना किसी चमत्कार से कम नहीं है। इसके पीछे रुद्र की कड़ी मेहतन और समय पर उसे सम्भाग मुख्यालय जगदलपुर स्थित कालीपुर क्रिकेट एकेडमी में क्रिकेट प्रशिक्षक करनदीप और प्रदीप गुहा का सपोर्ट मिलने और कालीपुर टर्फ पिच पर नियमित अभ्यास करने के बाद उनकी प्रतिभा सामने आई। 

ट्रेनर का अनुमान रुद्र बन सकते हैं बेहतर गेंदबाज 

बस्तर अंचल का एकमात्र क्रिकेट ग्राउंड शहर से सटे कालीपुर स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस क्रिकेट ग्राउंड में पिछले डेढ़ साल से रुद्र को तेज गेंदबाजी का प्रशिक्षण दे रहे ट्रेनर करणदीप ने बताया कि रुद्र एक बेहतरीन गेंदबाज बन सकते हैं। उसे क्रिकेट के गेम में तेज गेंदबाजी का महत्व और गुर समझाना पड़ेगा। इसके साथ ही मन की हिचक मिटानी पड़ेगी। करण कहते हैं कि यह पहली उपलब्धि है। अपनी क्षमता के बल पर रुद्र काफी आगे तक जा सकता है।

बस्तर में प्रतिभा की कमी नहीं 

बस्तर के आदिवासी इलाके के बच्चों में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। जरुरत है उनके टैलेंट को संवारने की और फिलहाल बस्तर क्रिकेट एकेडमी यह काम बखूबी कर रही है। रुद्र की तरह और भी युवा अगर हिम्मत करके आगे आएं तो जल्द ही सरकार को बस्तर में अच्छे और सुविधायुक्त स्पोर्ट्स एकेडमी की स्थापना को लेकर विचार करने मजबूर होना पड़ेगा। 

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