यशवंत गंजीर- कुरुद। छत्तीसगढ़ के कुरुद के सिविल अस्पताल कुरुद में अब ऑपरेशन से डिलीवरी की सुविधा उपलब्ध रहेगी। इसके लिए गर्भवती को जिला अस्पताल या निजी अस्पताल में नहीं जाना पड़ेगा। यहां के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने बीते दिनों चार गर्भवतियों की इलेक्टिव सिजेरियन ऑपरेशन कर उन्हें स्वास्थ्य एवं आर्थिक चिंताओं से दूर किया है।
गौरतलब है कि, सिविल अस्पताल कुरुद में पहले सीजेरियन डिलीवरी की सुविधा नहीं होने के कारण गर्भवतियों को परेशानी का सामना करना पड़ता था। सीजेरियन की आवश्यकता पड़ने पर गर्भवती को जिला अस्पताल धमतरी या निजी अस्पताल जाना होता था। कई बार तो उपचार को ले जाते समय रास्ते में हालत बिगड़ जाती थी। वही निजी अस्पताल में उपचार कराने के लिए उन पर आर्थिक भार पड़ता था। लेकिन पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर के पहल पर यहाँ भी स्वास्थ्य सुविधाएं दुरुस्त हो रही है। जल्द ही 100 बिस्तर के अस्पताल में अपग्रेड होने के बाद इस दिशा में और बड़ा परिवर्तन नजर आएगा ऐसी उम्मीदें यहां के पदस्थ डॉक्टरों ने जताई है।
इमरजेंसी केस का भी किया जा रहा निदान
डॉ सी पी पटेल स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा दो गर्भवतियों शांता विश्वकर्मा व तामेश्वरी साहू का सिजेरियन ऑपरेशन किया गया । इसी समय इमरजेंसी केस के रूप में मीनाक्षी साहू व लकेश्वरी ध्रुव भी अस्पताल पहुंचे जिसे सहानुभूति पूर्वक सर्जन पटेल द्वारा सफलता पूर्वक ऑपरेशन किया गया। खण्ड चिकित्सा अधिकारी डॉ यू एस नवरत्न ने बताया कि महिलाओं का नार्मल प्रसव किया जाता है, लेकिन सिजेरियन के लिए उन्हें दूसरे अस्पतालों का रुख करना पड़ता था। लेकिन अब यहां सिजेरियन डिलीवरी की सुविधा उपलब्ध है. यह सुविधा मरीजों के लिए मुफ्त होगी। उन्हें किसी भी तरह का कोई शुल्क नहीं देना होगा। इस अवसर पर डॉ. जेपी दिवान, डॉ. हेमराज देवांगन व स्टाफ नर्स निर्मला देवांगन , बैसखिन साहू , अन्नू सिन्हा , मेनका साहू , ओटी टेक्नीशियन राजकुमार साहू समस्त स्टाफ उपस्थित हुए।
यह है इलेक्टिव सिजेरियन ऑपरेशन
इलेक्टिव सिजेरियन ऑपरेशन, सिजेरियन सेक्शन (सी-सेक्शन) का एक प्रकार है, जिसे जन्म से पहले ही तय कर लिया जाता है। इसे नियोजित सिजेरियन भी कहा जाता है। सी-सेक्शन एक बड़ा ऑपरेशन है, जिसमें पेट और गर्भाशय में चीरा लगाकर बच्चे को जन्म दिया जाता है। प्रसव की यह विधि आपातकालीन प्रक्रिया के रूप में अपनाई जा सकती है, जब सामान्य प्रसव संभव न हो, या इसकी योजना उन मामलों में बनाई जा सकती है, जहां मां की स्वास्थ्य स्थिति, जैसे उच्च रक्तचाप, जच्चा-बच्चा में संक्रमण, भ्रूण संकट, प्रसव में प्रगति न होना, शिशु की सामान्य स्थिति के कारण प्राकृतिक प्रसव की सिफारिश नहीं की जाती है।