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राजनांदगांव जिले में पेयजल की समस्या दिनों दिन गहराती चली जा रही है। तालाबों में नाली का पानी आ रहा है। नगर निगम प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है। 

अक्षय साहू - राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में पेयजल की समस्या दिनों दिन गहराती चली जा रही है। जिले में लगातार भूजल स्तर नीचे गिरते जा रहा है, जिसके कारण पानी की समस्या बढ़ रही है। जिले के तीन ब्लॉक सेमी क्रिटिकल जोन में आ गए हैं, जिसमें राजनांदगांव, डोंगरगढ़ और डोंगरगांव शामिल हैं। पानी को लेकर ऐसी विकट परिस्थिति होने के बावजूद नगर निगम प्रशासन जल संरक्षण और जल संचय के प्रति अपेक्षा अनुरूप गंभीर दिखाई नहीं दे रहा है। 

जल संकट को लेकर भूजल स्तर नीचे जाने का हवाला देते हुए नगर निगम प्रशासन पल्ला झाड़ दे रहा है, लेकिन जिन जल स्त्रोतों में पानी है उसे भी साफ रखने में नगर निगम प्रशासन नाकाम रहा है। रियासतकालीन बूढ़ा सागर और रानी सागर तालाब में शहर का गंदा पानी या कहे नालियों का पानी सीधे इस तालाब में मिल रहा है। इसकी वजह से राजाओं के जमाने के शहर के ये ऐतिहासिक तालाब पूरी तरीके से दूषित हो चुके हैं। आलम ये है कि, इन तालाबों के पानी से बदबू भी आ रही है। तालाब की मछलियां और अन्य जीव जंतु भी दम तोड़ रहे हैं।  

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 कूड़ा-करकट से भरा नाला 

तालाब में गन्दगी के कारण मर रही मछलियां 

भूजल स्तर के नीचे जाने और प्राकृतिक जल स्रोत सूखने के कारण पेयजल का संकट बढ़ रहा है। ऐसे में नगर निगम प्रशासन द्वारा जलाशयों को संरक्षित करने में की जा रही लापरवाही का खमियाजा शहरवासियों को निकट भविष्य में भुगतना पड़ सकता है। प्रशासन की ओर से इस दिशा में कार्य किए जाने का दावा भी किया जाता रहा है, लेकिन ये दावे धरातल में पूरी तरह से झूठे साबित हो रहे हैं। शहर के प्रमुख जलाशय आज भी निस्तारी जल का प्रमुख स्त्रोत हैं, लेकिन नगर निगम प्रशासन की उपेक्षा के कारण शहर के तालाब प्रदूषित होते जा रहे हैं और अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। कूड़ा-करकट इन तालाबों में डाल दिए जाते हैं, इससे दिनों-दिन जल स्त्रोत अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं। अब भी समय है, इन जल स्त्रोतों को साफ रख कर इन्हें सुरक्षित रखा जा सकता है।

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सूखी हुई जमीन 

भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा एसटीपी अब भी अधूरा निर्माण कार्य

शहर में आज भी बड़ी संख्या में लोग निस्तारी जल के उपयोग के लिए तालाब पर निर्भर रहते हैं। शासन ने कई योजनाओं के माध्यम से इन तालाबों की किस्मत बदलने का प्रयास किया। लेकिन सभी योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई और उन्होंने धरातल पर दम तोड़ दिया। रानी सागर, बूढ़ा सागर सौंदर्यीकरण के तहत नगर निगम द्वारा बूढ़ा सागर के किनारे एसटीपी प्लांट (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) का निर्माण लगभग 6 साल पहले शुरू किया गया था, लेकिन यह प्लांट भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया और अभी तक इस प्लांट का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है, जिसके कारण लोग निस्तारी के लिए इस तालाब के गन्दे पानी से गुजारा करने के लिए मजबूर हैं। दूषित पानी तालाब में न जाए और पानी को फिल्टर किया जा सके, इसे लेकर एसटीपी का निर्माण किया जा रहा था, लेकिन अभी तक इसका निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है।  

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मोटर लगाकर नाली का पानी को किया जाएगा डायवर्ट 

नगर निगम आयुक्त अतुल विश्वकर्मा ने कहा कि, बूढ़ा सागर में जो एसटीपी निर्माणाधीन था पुराना उसमें हमें सैद्धांतिक स्वीकृति नहीं मिल पाई है इसलिए वह रुका हुआ है। उसकी हम लोगों ने अभी वैकल्पिक व्यवस्था की है, जो नाली का पानी है उसे मोटर लगाकर बूढ़ा सागर में न जाए इसके लिए डायवर्ट किया गया है।

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