AAP Patparganj Candidate Awadh Ojha: दिल्ली विधानसभा चुनाव में पटपड़गंज सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अवध ओझा को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। उनका वोटर आईडी ट्रांसफर करने की प्रक्रिया सवालों के घेरे में थी, लेकिन चुनाव आयोग ने आदेश देकर उन्हें राहत प्रदान की है। आरोप है कि अवध ओझा ने 7 जनवरी 2025 को अपना वोट दिल्ली में ट्रांसफर कराने के लिए आवेदन किया था, जो कानूनन सही था। लेकिन दिल्ली चुनाव आयोग ने चुपचाप एक नया आदेश जारी कर दिया, जिसमें वोट ट्रांसफर की अंतिम तारीख 6 जनवरी 2025 बताई गई।
भाजपा ने साधा निशाना
करावल नगर से भाजपा उम्मीदवार कपिल मिश्रा ने इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि चुनाव सिर पर हैं, आचार संहिता लागू हो चुकी है और आप एक महीने पहले किसी को टिकट दे रहे हैं। अब कह रहे हैं कि उनका वोटर आईडी नहीं बना। यह कैसा मजाक है?
Delhi: Regarding the voter ID issue of Aam Aadmi Party candidate Avadh Ojha, BJP candidate from Karawal Nagar Constituency Kapil Mishra says, "What is this joke, Elections are about to happen, the model code of conduct is in place, and you have given someone a ticket for a month,… pic.twitter.com/AU7kXjk1GK
— IANS (@ians_india) January 13, 2025
क्या यह साजिश है?
आम आदमी पार्टी ने इस पूरे मामले को साजिश करार दिया है। पार्टी ने आरोप लगाया कि दिल्ली चुनाव आयोग ने जानबूझकर उनके उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोकने की कोशिश की। आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि दिल्ली चुनाव आयोग ने 7 जनवरी तक वोट ट्रांसफर की अनुमति दी थी। लेकिन अचानक एक नया आदेश जारी कर 6 जनवरी को अंतिम तारीख घोषित कर दी गई। क्या यह हमारे उम्मीदवार को चुनाव से रोकने की साजिश है?
दिल्ली चुनाव आयोग ने क़ानून के ख़िलाफ़ जाकर आदेश निकाला‼️
— AAP (@AamAadmiParty) January 13, 2025
👉 पटपड़गंज विधानसभा से हमारे उम्मीदवार अवध ओझा जी ने अपना वोट दिल्ली में ट्रांसफर करने का आवेदन 7 जनवरी को किया
👉 कानून के मुताबिक़ 7 जनवरी तक वोट ट्रांसफर कराया जा सकता था और दिल्ली CEO ने इस बाबत आदेश भी जारी किया… pic.twitter.com/ybWwvPV7On
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आयोग ने दी राहत
चुनाव आयोग ने विवाद के बाद स्थिति स्पष्ट करते हुए अवध ओझा के पक्ष में फैसला दिया और उन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति दी। अब अवध ओझा पटपड़गंज सीट से अपनी उम्मीदवारी जारी रखेंगे। इस घटनाक्रम ने चुनाव प्रक्रिया पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह महज एक प्रशासनिक त्रुटि थी, या फिर इसके पीछे किसी राजनीतिक रणनीति की भूमिका है? इसका जवाब अभी आना बाकी है।
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