Delhi Metro News: दिल्ली मेट्रो रेल सेवा आज रविवार 24 दिसंबर 2023 को 21 साल की हो गई है। आज ही के दिन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दिल्ली मेट्रो को हरी झंडी दिखाकर इसकी शुरुआत की थी। दिल्ली मेट्रो में सबसे पहले सफर भी उन्होंने ही किया था। इतना ही नहीं दिल्ली मेट्रो का पहला स्मार्ट कार्ड बनवाने वाले पहले व्यक्ति भी अलट बिहारी वाजपेयी ही थे। आज के वक्त में राजधानी दिल्ली में मेट्रो रेल सेवा का जाल बिछ चुका है। दिल्ली मेट्रो राजधानी और एनसीआर के लोगों की लाइफ लाइन कही जाती है। मौजूदा समय में पूरे दिल्ली-एनसीआर को मेट्रो के नेटवर्क से जोड़ दिया गया है। सर्दी, गर्मी और बरसात हर मौसम में दिल्ली मेट्रो लोगों के आवागमन को सुगम बनाती है। दिल्ली मेट्रो के शुरुआत होने के पीछे की बड़ी ही रोचक कहानी है। इस आर्टिकल में उस कहानी को विस्तार से जानेंगे।
रेड लाइन मेट्रो सेवा की हुई थी सबसे पहले शुरुआत
बता दें कि 3 मई 1995 को दिल्ली मेट्रो अस्तित्व में आई थी। दिल्ली मेट्रो की पहली ट्रेन 24 दिसंबर 2002 को 8.4 किलोमीटर लंबे शाहदरा से तीसहजारी कॉरीडोर पर दौड़ी थी। 25 दिसंबर 2002 को मेट्रो ऑपरेशन के पहले दिन चार मेट्रो ट्रेनों ने शाहदरा से तीस हजारी मेट्रो स्टेशन के बीच एक दिन में करीब 186 चक्कर लगाकर 1170 किलोमीटर की दूरी तय की थी। वहीं वर्तमान समय में 223 ट्रेनें रोजाना 3248 चक्कर लगाकर एक दिन में करीब 96 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर रही हैं।
DMRC का नेटवर्क करीब 391 किलोमीटर का
बीते 21 सालों में दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन का नेटवर्क करीब 391 किलोमीटर का हो चुका है। इसमे कई कॉरिडोर समेत 281 स्टेशन शामिल हैं। मेट्रो में मौजूदा समय में रोजाना लगभग 60 लाख लोग सफर करते हैं। गौरतलब है कि प्रतिवर्ष मेट्रो का तेजी से विस्तार हुआ है। जो दुनिया की कनेक्टिविटी और नेटवर्क क्षेत्र के लिए एक मिसाल है। मेट्रो अपने हर स्टॉपेज पर करीब 20 से 30 सेकंड के बीच रुकती है। 20 सेकंड के अंदर ही यात्रियों को मेट्रो ट्रेन से बाहर निकलना और चढ़ना होता है।
कैसे हुई थी मेट्रो की शुरुआत
अब बात बात करते हैं कि आखिर दिल्ली मेट्रो के शुरुआत कैसे हुई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली मेट्रो के शुरु होने की कहानी बड़ी ही रोचक है। बता दें कि सबसे पहले 1969 में एक स्टडी में दिल्ली के लिए रैपिड ट्रांजिट सिस्टम की बात कही गई, लेकिन इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया और ये ठंडे बस्ते में चला गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 1984 में अर्बन आर्टस कमीशन दिल्ली के लिए एक मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट सिस्टम के प्रपोजल के साथ आया, इसमें भी रैपिड ट्रांजिट का जिक्र था।
1995 में DMRC कंपनी का हुआ था गठन
इस प्रोजेक्ट के लिए फंड जुटाने की प्रक्रिया चल ही रही थी कि 1981 से 1998 तक दिल्ली की आबादी दोगुनी हो गई और सड़कों पर गाड़ियों की संख्या पांच गुना ज्यादा दिखने लगी। राजधानी में बढ़ती आबादी का बोझ उठाने में सरकारी बस नाकाम हो रही थी। इसके चलते लोगों ने निजी गाड़ियों का सहारा लेना शुरु किया, जिससे भीड़ और प्रदूषण की समस्या होने लगी। इसे देखते हुए 1992 में सरकार ने प्राइवेट बसों को भी इजाजत दे दी, लेकिन इसके साथ ही एक और नई समस्या खड़ी हो गई। ज्यादातर प्राइवेट ड्राइवर के पास अनुभव नहीं था, जिससे दिल्ली की सड़कों पर हादसे की संख्या बढ़ने लगी। इसके बाद इस स्थिति से निपटने के लिए एच.डी देवेगौड़ा की केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार ने मिलकर 3 मई 1995 को DMRC कंपनी का गठन किया और इसके पहले एमडी ई. श्रीधरन बने, जिन्हें आज भारत का मेट्रो मैन कहा जाता है। दिल्ली मेट्रो का कंस्ट्रक्शन 1998 में शुरू हुआ। 24 दिसंबर 2002 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दिल्ली मेट्रो का उद्घाटन किया