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Priyanka Ohlyan: रोहतक की प्रियंका ओहल्याण का भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट पद पर चयन हुआ है। चुनौतियों का सामना करते हुए प्रियंका ने अपना सपना पूरा किया है। जानिये कैसे प्रियंका ने मेहनत करके अपना लक्ष्य हासिल किया है।

Priyanka Ohlyan: महिलाएं आज हर क्षेत्र में कामयाबी हासिल करते हुए देश का नाम रोशन कर रही हैं। कुछ ऐसा ही रोहतक की रहने वाली प्रियंका ओहल्याण ने कर दिखाया है। प्रियंका ओहल्याण ने सीडीएस की परीक्षा में पहली रैंक हासिल करके भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट पद हासिल किया है। प्रियंका की इस उपलब्धि से न केवल अपने जिले का बल्कि पूरे हरियाणा का नाम रोशन कर दिया है।

प्रियंका को बैंगलोर में हुई पासिंग आउट परेड में कमीशन भी मिला है। प्रियंका के लेफ्टिनेंट बनने पर उनके परिवार में खुशी माहौल है। प्रियंका ने अपने इस लक्ष्य को पाने के लिए काफी संघर्षो का सामना किया है। प्रियंका ने चुनौतियों को कभी भी अपने के लक्ष्य के आड़े नहीं आने दिया। बल्कि वह लगातार मेहनत करते हुए आगे बढ़ती रहीं और अपने लेफ्टिनेंट बनने के सपने को पूरा किया है। 

छोटी सी उम्र में मां का निधन

प्रियंका ओहल्याण का जन्म साल 2000 में एक सामान्य परिवार में हुआ था। प्रियंका रोहतक के मोरखेड़ी गांव की रहने वाली हैं। प्रियंका के पिता राजेश ओहल्याण वन विभाग में फॉरेस्ट गार्ड के पद पर काम करते हैं। उनकी मां सरोज देवी गृहिणी रही हैं। सरोज देवी की 2011 में निधन हो गया था। छोटी सी उम्र में प्रियंका के सिर से मां का साया उठ गया था। लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने इस दुख को अपने सपने पर हावी नहीं होने दिया। लगातार मेहनत करते हुए अपना सपना पूरा किया।

बचपन से पढ़ाई में होशियार रहीं

प्रियंका के चाचा अनिल ओहल्याण का कहना है कि प्रियंका बचपन से ही पढ़ाई में होशियार रही हैं। प्रियंका ने 10वीं की पढ़ाई हसनगढ़ गांव के दिल्ली इंटरनेशनल स्कूल से की थी। 12वीं की पढ़ाई प्रताप स्पोर्ट्स स्कूल खरखौदा से पूरी की थी। इसके बाद उन्होंने ग्रेजुएशन दिल्ली यूनिवर्सिटी से किया है। प्रियंका ने बायोलॉजिकल विषय से बीए में द्वितीय स्थान हासिल किया था।

बिना कोचिंग लिए परीक्षा की तैयारी की

प्रियंका के चाचा का कहना है कि वह हमेशा से आर्मी में जाना चाहती थीं। उन्होंने बिना कोचिंग के अपनी मेहनत से यह पद हासिल किया है। प्रियंका जब बीए कर रही थीं, तभी से उन्होंने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी थी। जिसके बाद अक्टूबर 2020 में सीडीएस की परीक्षा दी थी। परीक्षा पास करने के बाद वह 7 जनवरी 2021 को बैंगलोर के आर्मंड हास्पिटल में ट्रेनिंग के लिए चली गई।

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बुआ का लड़का आर्मी ऑफिसर और ताऊ का बेटा मेजर

प्रियंका पढ़ाई करने के साथ-साथ घर के कामों में भी हाथ बंटाती थीं। इसके अलावा वह जमींदारी के काम में भी हाथ बंटाती थी। उन्होंने खेतों में ट्रैक्टर तक चलाना सीख लिया था। प्रियंका के पिता के तीन भाई हैं, जिनमें बड़े भाई का नाम दयानंद, उसके बाद प्रियंका के पिता राजेश और सबसे छोटे अनिल है।

प्रियंका का बड़ा भाई रोहित ओहल्याण जालंधर यूनिवर्सिटी में वेट लिफ्टिंग का कोच है, जो वेट लिफ्टिंग की जूनियर नेशनल प्रतियोगिता में तीन बार गोल्ड मेडल जीत चुका है। वहीं प्रियंका की बुआ का लड़का आर्मी में कर्नल है, जबकि उसके ताऊ दयानंद का बेटा शिव कुमार आर्मी में मेजर के पद पर तैनात है। अपने भाईयों को आर्मी वर्दी में देखकर ही प्रियंका ने भी आर्मी में जाने का फैसला किया था।

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