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कला शोहरत की मोहताज नहीं होती। इस बात को चरितार्थ कर दिखाया है रायपुर निवासी चंद्रभान ने। चंद्रभान पेशे से गार्ड की नौकरी करते हैं।

दामिनी बंजारे-रायपुर। कला शोहरत की मोहताज नहीं होती। इस बात को चरितार्थ कर दिखाया है रायपुर निवासी चंद्रभान ने। चंद्रभान पेशे से गार्ड की नौकरी करते हैं। वे गरीब परिवार से हैं लेकिन उन्हें बांसुरी वादन का बड़ा शौक है। इसे जारी रखने के लिए उन्होंने तेलीबांधा तालाब किनारे बांसुरी बजाना शुरू किया। आसपास के लोग उनका बांसुरी वादन सुनकर मोहित हो जाते हैं। 

बता दें कि, चंद्रभान जी को बांसुरी के अलग-अलग प्रकार को संग्रहित करने का भी शौंक है। उन्होंने 23 से ज्यादा अलग-अलग तरह के बांसुरी का कलेक्शन किया है। वे गरीब परिवार से हैं इसलिए उन्होंने किसा बड़ी संस्थान से बांसुरी वादन की शिक्षा नहीं ली लेकिन उन्होंने अपनो पैशन को जिंदा रखा है। वे लोगों को बांसुरी पर अलग-अलग धुन सुनाकर अपनी पहचान बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि, अपने पैशन को फौलो करना उन्हें बहुत अच्छा लगता है। 

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