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फरसगांव में ब्लाक स्तरीय बस्तर पंडुम 2025 महोत्सव का आयोजन जनजातीय प्रमुखों की उपस्थिति में किया गया। जनजाति प्रमुखों ने अपने उद्बोधन में कहा कि, अनादि काल से चली आ रही परंपराओं को पुनः स्थापित किया जाएगा।

कुलजोत सिंह संधु- फरसगांव। छत्तीसगढ़ के फरसगांव में ब्लाक स्तरीय बस्तर पंडुम 2025 महोत्सव का आयोजन जनजातीय प्रमुखों की उपस्थिति में किया गया। जनजाति प्रमुखों ने अपने उद्बोधन में कहा कि, अनादि काल से चली आ रही परंपराओं को पुनः स्थापित किया जाएगा। ताकि, बस्तर की संस्कृति को संजोया जा सके, बस्तर पंडुम उत्सव के दौरान बड़ी संख्या में जनजातीय समुदाय के लोगों ने पारंपरिक वेशभूषा में भाग लिया। 

इस कार्यक्रम में जनजातीय गेड़ी नृत्य, गौर- माड़िया, ककसार, मांदरी, दण्डामी, घोटुलपाटा और डंडारी नृत्य का प्रदर्शन के पश्चात जनजातीय गीतो में घोटुलपाटा, लिंगोपेन, चैतपरब, आमा जोगानी, रिलो, लेजा, जगारगीत, धनकुल के प्रदर्शन ने अतिथियों और दर्शकों का मनमोह लिया। वहीं जनजातीय वाद्ययंत्रों में धनकुल, ढोल, मांदर, मृदंग, बिरिया ढोल, सारंगी, मोहरी  के साथ साथ चित्रकला और व्यंजन भी आकर्षण का केंद्र बना रहा। बस्तर पंडुम उत्सव के आयोजन को लेकर सभी ने प्रशंसा की इसके पश्चात कोंडागांव में जिला स्तरीय और दंतेवाडा में संभाग स्तरीय आयोजित किए जाएंगे। 

यह बस्तर की परंपरागत प्राचीन कला से जुड़ी हुई 

नगर पंचायत अध्यक्ष प्रशांत पात्र ने बताया कि, बस्तर की रियासत कालीन और परंपरागत प्राचीन कला सब से जुडी हुई। आज बस्तर पंडुम के नाम से मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के माध्यम से इतना बड़ा अवसर बस्तर क्षेत्र की परंपराओं को एक प्रदर्शित करने का अवसर आज मिला है। मूलभुत, संस्कृति, पेय पदार्थ या वाद्यय यँत्र  इन सभी चीजों का समावेश करना अपने आप मे अद्भुत सोच हैं। 

कार्यक्रम प्रस्तुति देकर अच्छा लगा 
 
प्रतिभागी तिलदई नेताम ने कहा कि हम लोग बस्तर पंडुम मे नृत्य करने आये थे, बहुत अच्छा चला आगे होना चाहिए। एक और प्रतिभागी हेमचंद नेताम ने कहा कि, बस्तर पंडुम में शामिल होने आये थे। हम लोग तीन प्रकार के होलकी, ढोलो और मदारी नृत्य किये हम लोग ने अनेक प्रकार विधाएं दिखाये। फूलबती मरकाम ने कहा कि हम लोग दूल्हा दुल्हिन का गाना सुनाये और नाचे भी। 
 

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