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प्रदेश में पिछले कुछ दिकाफी तापमान में वृद्धि दर्ज की गई है। तापमान में वृद्धि होने के तीन माह पूर्व फरवरी-मार्च में ही जंगल के प्राकृतिक जल स्त्रोत सूख चुके थे।

रायपुर। इस गर्मी जंगलों में वन्यप्राणियों की प्यास बुझाने के लिए वन विभाग ने सासर और पानी के इंतजाम पर तकरीबन  13 करोड़ रुपए खर्च ख कर दिए, पर गर्मी इतनी तेज रही कि डिहाईड्रेशन से दो तेंदुए ने दम तोड़ दिया। एक नीलगाय और एक चीतल भी मारा गया। बताया जा रहा है कि सूखे सासर को लबालब करने टैंकर चलाए गए, पर इंतजाम नाकाफी रहे। गौरतलब है कि,  प्रदेश में पिछले कुछ दिकाफी तापमान में वृद्धि दर्ज की गई है। तापमान में वृद्धि होने के तीन माह पूर्व फरवरी-मार्च में ही जंगल के प्राकृतिक जल स्त्रोत सूख चुके थे। वन्यजीव पानी के लिए भटकते हुए रहवासी क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं। 

पिछले दिनों डिहाईड्रेशन तथा हीट वेव के कारण कटघोरा वनमंडल में दो तेंदुआ तथा बालोद में नीलगाय की मौत हो गई थी। इसके साथ ही पिछले दिनों पानी की तलाश में जंगल से भटक कर आए एक चीतल की कचना के पास रोड एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। जानकारों के मुताबिक तेज धूप तथा बढ़ते तापमान की वजह से सासर में भरा पानी तेजी से सूख रहा है। इसके लिए वन विभाग के फील्ड अफसरों को नियमित सासर की मॉनिटरिंग करने की जरूरत है। साथ ही जंगल में नियमित सासर में पानी भरने वन अफसरों को व्यवस्था करनी होगी।

जंगल में हीट वेव का दोहरा असर

तेज गर्मी पड़ने की वजह से जंगल में इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में आगजनी की घटना ज्यादा हुई है। पिछले वर्ष जंगल में पूरे वर्ष जहां 13 हजार % आगजनी की घटना हुई थी, इस बार जंगल में 30 मई की स्थिति में 14 हजार 584 आगजनी की घटना घटित हो चुकी है। जंगल में आग लगने की स्थिति में वन्यजीव सुरक्षित ठिकाने की तलाश में जंगल से रहवासी क्षेत्र में निकल कर आते हैं। इसके कारण शिकार की तलाश में घात लगाए बैठे शिकारी वन्यजीवों का शिकार करते हैं।

कोर एरिया में कितने मरे, जानकारी नहीं

जंगल से सटे गांव के आसपास तथा सामान्य वनक्षेत्र में वन्यजीवों की मौत होने पर इसकी जानकारी वन अफसरों को तत्काल मिल जाती है। कोर एरिया में मौत होने पर तत्काल जानकारी नहीं मिल पाती।

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