Yashwant Verma Controversy: घर में मिले अथाह कैश की घटना को लेकर जस्टिस यशवंत वर्मा की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को अंतरिम जांच करने के आदेश दिए हैं। उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट वापस भेजने के निर्देश दिए गए थे। इसको लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन में नाराजगी और विरोध का बिगुल तेज है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने जताई नाराजगी
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की तरफ से पत्र जारी कर कहा गया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट कोई कूड़ादान नहीं है, जो चाहो यहां फेंक दो। एसोसिएशन की तरफ से कहा गया है कि यशवंत वर्मा को यहां नहीं बैठने दिया जायेगा। अगर ऐसा होगा तो काम ठप्प कर देंगे। वहीं आज एसोसिएशन की तरफ से जनरल हाउस की बैठक बुलाई। बैठक में वकीलों के समर्थन से जज के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लाने की तैयारी की जा रही है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा का ट्रांसफर मूल उच्च न्यायालय इलाहाबाद हाईकोर्ट में करने की सिफारिश की थी। इसको लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की तरफ से नाराजगी जताई जा रही है।
तत्काल प्रभाव से न्यायिक जिम्मेदारियों से हटाए गए यशवंत वर्मा
वहीं दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय ने यशवंत वर्मा को तत्काल प्रभाव से न्यायिक जिम्मेदारियों से हटा दिया है। ये सिफारिश ऐसे समय में की गयी, जब उनके सरकारी बंगले में आग लगने से भारी मात्रा में नकदी मिली। ये सिफारिश ऐसे समय में की गई है, जब न्यायाधीश के घर से भारी मात्रा में कैश बरामद हुआ।
इस मामले को देखते हुए CJI संजीव खन्ना ने शनिवार को मामले की जांच के लिए तीन सदस्य इन-हाउस जांच समिति बनाई। इस समति में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू के साथ हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश अनु शिवरामन को शामिल हैं।
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