Farmer arrested in Nuh: हरियाणा के नूंह में प्रदर्शन कर रहे किसानों और पुलिस के बीच झड़प हो गई, जिसके बाद 9 गांवों के किसानों को पुलिस हरियाणा रोडवेज की 4 बसों में भरकर ले गई। बता दें कि एचएसआईडीसी के कर्मचारी आईएमटी रोजका मेव के कार्य के लिए जेसीबी मशीनों को लेकर पहुंचे। इस दौरान उनके साथ भारी मात्रा में पुलिस बल भी मौजूद थे।
इसकी जानकारी मिलते ही पास के गावों की महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे बड़ी संख्या में वहां पर पहुंचकर विरोध प्रदर्शन करने लगे और काम रुकवा दिया। इस दौरान पुलिस ने उनसे शांति से काम करने की अपील की। किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं की जाती हैं, वे काम शुरू नहीं होने देंगे। इसी दौरान गांव धीरदूका में किसानों और पुलिस के बीच तेज टकराव हो गया। वहीं धरने पर बैठी एक बुजुर्ग महिला बेहोश गई, जिस आनन-फानन में अस्पताल पहुंचाया गया।
सोमवार को भी किया था हंगामा
बता दें कि इससे पहले भी सोमवार को अधिकारी जेसीबी मशीनों के साथ काम करने के लिए पहुंचे थे। उस दौरान भी किसानों ने मशीनों पर चढ़कर काम रुकवा दिया था। किसानों के कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं की जाएगी, तब तक किसी भी कीमत पर कोई भी काम नहीं होने देंगे। वहीं, दूसरी ओर पुलिस किसानों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन किसान अपनी मांगों पर अड़े रहे। बता दें कि ये किसान जमीन के मुआवजे को लेकर 29 फरवरी से धीरदोका गांव में अनिश्चित काल के लिए धरने पर बैठे हैं।
क्या है जमीन मुआवजे का पूरा विवाद?
साल 2010 में सरकार ने आईएमटी रोजका मेव के लिए 9 गांवों के किसानों की 1600 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। इनमें खेड़ली कंकर, मेहरोला, रोजका मेव, रुपाहेड़ी, बडेलाकी, धीरदोका, कंवरसीका, खोड (बहादरी) और रेवासन गांव शामिल हैं। उस दौरान सरकार ने किसानों को मुआवजे के रूप में 25-25 लाख रुपए दिए थे। बाद में सरकार ने फरीदाबाद के चंदावली, मच्छगर गांवों की जमीन को भी अधिग्रहण किया। लेकिन वहां के किसानों ने कोर्ट में याचिका दायर कर दी कि सरकार उनकी जमीनों को सस्ते रेट पर खरीद रही है।
उन्होंने कोर्ट से अपील किया कि सरकार को मुआवजे की राशि बढ़ाने का आदेश दिया जाए। इसके बाद कोर्ट ने उन किसानों को प्रति एकड़ दो करोड़ रुपए देने के आदेश दिए थे। यह सूचना जब उन 9 गांवों के किसानों को मिली, तो उन्होंने भी अपने जमीन की मुआवजे की राशि को बढ़वाने के लिए धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया।
29 फरवरी के धरने पर बैठे हैं किसान
किसानों के धरने प्रदर्शन के बाद सरकार ने उन्हें उनकी जमीन के लिए 46 लाख रुपए प्रति एकड़ देने पर सहमति जताई। इसको लेकर सरकार ने किसानों से एफिडेविट पर साइन करा लिए, जिससे कि वे कोर्ट में ना जा सकें। इसके बाद किसानों को 21- 21 लाख रुपए देकर कहा गया कि बाद में उन्हें 25-25 लाख रुपए और दिए जाएंगे। हालांकि किसानों का कहना है कि अभी तक किसी भी किसान को 25-25 लाख रुपए नहीं दिए गए हैं। इससे नाराज होकर किसान 29 फरवरी से धरने पर बैठे हैं।