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Rewa: मध्यप्रदेश का रीवा स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र शुक्ला का निर्वाचन क्षेत्र है, लेकिन यहां भी लोग मनमानी के शिकार हैं। सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था वेंटिलेटर पर है और  प्राईवेट अस्पतालों में लूट मची है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट ...

Rewa: मध्यप्रदेश का रीवा स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र शुक्ला का निर्वाचन क्षेत्र है, लेकिन यहां भी लोग मनमानी के शिकार हैं। सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था वेंटिलेटर पर है और  प्राईवेट अस्पतालों में लूट मची है। ईलाज की उम्मीद में पहुंच रहे लोगों को अपनों की लाश लेकर लौटना पड़ता है। ताजा, मामला प्रार्थना अस्पताल का है। यहां 4 फरवरी 2025 को डिलीवरी कराने आई महिला की वेंटिलेटर पर जान चली गई। पीड़ित परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टरों पर लापरवाही और लूट के आरोप लगाए हैं। इसकी शिकायत सामान थाना में की है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट ...
 
केस नंबर 1
नई बस्ती पडरा निवासी मरीज अंजली सिंह के परिजन अरुण सिंह ने बताया कि मैंने अंजली सिंह को प्रार्थना अस्पताल में डिलीवरी के पहले दिखाया था। जहां डॉक्टर ने उसकी हालत और सभी जांच रिपोर्ट सामान्य बताई। 4 फरवरी 2025 को हम उसे फिर अस्पताल में रूटीन चेकअप के लिए लेकर गए। जहां अंजली को डॉक्टर सोनल ने अस्पताल में भर्ती कर लिया। उस समय उसमें 13 प्रतिशत हीमोग्लोबिन था।

उन्होंने कहा कि पानी की कमी है इसलिए डिलीवरी आज ही करवानी पड़ेगी। जबकि अंजली पूरी तरह से स्वस्थ्य थी। उसकी सामान्य डिलीवरी भी करवाई जा सकती थी। रात 9 बजे तक उसकी हालत बिल्कुल सामान्य थी। पर रात साढ़े 9 बजे के बाद कुछ ऐसी दवाई दी गई की उसकी हालत खराब हो गई। तुरंत नर्स ने उसे प्राइवेट रूम से ऑपरेशन थिएटर में भर्ती कर दिया। उसके बाद हम लोगों को अंजली  से मिलने नहीं दिया गया। रात साढ़े 11 बजे कहा गया कि ऑपरेशन से बच्ची पैदा हुई है। ये भी बताया गया कि जच्चा बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।

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सामान थानें दिया आवेदन

अरुण सिंह ने बताया कि अचानक थोड़ी देर बाद हालत अति गंभीर बता दी और 10 यूनिट ब्लड चढ़ाने का कहने लगे। बचने के चांस भी कम बताने लगे। इसके साथ ही उसकी बच्चेदानी भी निकाल दी। धोखे से किसी से साइन कराया और जानकारी भी नहीं दी। हमने कहा कि अगर आपके बस का नहीं तो कम से कम रेफर तो कर दो। कुछ ही घंटे में आपको हेल्थ बीमा क्लेम से इलाज के पूरे पैसे मिल जाएंगे।

इस दौरान 1 लाख 9 हजार 750 रुपए का बिल बनाया गया था। पर बीमा कंपनी से अप्रूवल आने में 4 घंटे का समय लगा। तब तक हमें उसे देखने तक नहीं दिया गया। हमने कहा कि एक बार उसे करीब से देख तो लेने दो। फिर जब बीमा का पैसा मिला तब रेफर किया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

केस नंबर 2
पति सुजीत शर्मा ने हरिभूमि से आपबीती बताई। कहा कि मेरी पत्नी सुमन शर्मा को 29 मई 2024 की रात 10:50 बजे प्रार्थना हॉस्पिटल, रीवा में सामान्य डिलीवरी के लिए भर्ती किया गया था। मरीज का आई.पी.डी नंबर/IPD/3845 था।  डिलीवरी हुई जच्चा और बच्चा दोनों पूर्णतः स्वस्थ थी। इसके बावजूद, पैसे वसूलने के लिए मरीज को अनावश्यक रूप से पांच दिनों तक आईसीयू में रखा गया। 

बार-बार मरीज को प्राइवेट वार्ड में स्थानांतरित करने की मांग की, लेकिन डॉक्टर सोनल अग्रवाल और आईसीयू स्टाफ ने जानबूझकर इसे टालते रहे। मरीज का एक वीडियो भी है, जिसमें वह खुद यह कहती सुनाई देती हैं कि उन्हें जबरदस्ती बीमार बनाया जा रहा है और हैवी डोज दवाइयां दी जा रही हैं। हैवी डोज दवाइयां से 5 वें दिन वह अचानक गंभीर स्थिति में आ गई। रात 12 बजे परिजनों को सूचित किया गया कि मरीज की स्थिति बहुत नाजुक है और अगर तत्काल ऑपरेशन नहीं किया गया। ऑपरेशन के दौरान ही मरीज की मौत हो गई। फिर भी अस्पताल प्रशासन ने परिजनों को यह कहकर गुमराह किया कि मरीज को वेंटिलेटर पर रखा गया है।

इस घटना के बाद, अस्पताल प्रशासन ने मरीज के परिजनों को धमकाया और रीवा पुलिस की मदद से उन्हें पोस्टमार्टम न कराने के लिए मजबूर किया। परिजनों को यह तक धमकी दी गई कि अगर वे एफआईआर दर्ज कराते हैं, तो उनके नवजात शिशु को भी सही सलामत वापस नहीं किया जाएगा। जबरदस्ती एक बयान लिखवाया गया कि वे पोस्टमार्टम नहीं कराना चाहते।

केस नंबर 3. 
अनन्तपुर, थाना विश्वविद्यालय के रहने वाले विजय बंसल तनय सुनील कुमार अग्रवाल बताते हैं, अपने माँ राधा अग्रवाल को जो पेट संबंधित कुछ बीमारियां थी, जिसको लेकर के मैं दिनांक 27.03.2024 को इलाज के लिए प्रार्थना हॉस्पिटल ले गया था, उस समय मेरी माँ बातचीत करती थी और पूरे होश में थी, मेरे द्वारा डॉक्टर लवकुश तिवारी को अपनी माँ के हालात पहले से बता दिए गया था, कि मरीज को ज्यादा बोटल शूट नही करती है। उसके बाद डॉक्टर ने कहा तुम अपनी माँ की रीढ़ की हड्डी की एम०आर०आई० करवाओं, जबकि मेरे द्वारा कहा गया था कि मेरी माँ एम०आर०आई० करवाने की हालत में नही है। डाक्टर द्वारा यह कहा गया कि हम एनेस्थीसिया का इंजेक्शन देकर के एम०आर०आई० करवा देगें।

उसके बाद डॉक्टर ने जबरजस्ती एनेस्थीसिया का इंजेक्शन देकर के मेरी मॉ का एम०आर०आई करवाया गया। एम०आर०आई० करवाने के बाद मेरी माँ को होश नही आया। प्रार्थना हास्पिटल में ही उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया, मेरी माँ को दो दिन तक होश नही आया, डॉक्टर ने कहा कि तुम्हारी माँ को दो दिन में हम ठीक कर देगें। दो दिन तक मेरे माँ के खूब वाटल चढ़ाये गए और इंजेक्शन दिए गए। लेकिन मेरी मॉ को दो दिन तक होश नही आया। उसके बाद बेंटीलेटर में डाल दिया गया। और कुछ दिन बाद लाखों रुपए लेकर लाश सौंप दी गई। इसकी शिकायत सामान थाना में की मगर साल बीत जानें के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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आवेदन।

इनका कहना है
इस पूरे मामले पर सीएमएचओ संजीव शुक्ला ने कहा कि मीडिया के माध्यम से जानकारी प्राप्त हुई है। जांच कर कार्रवाई करेंगे।

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