Parliament Winter Session: मौजूदा समय में संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है, जो 25 नवंबर से शुरू हुआ और 20 दिसंबर तक चलेगा। इस सत्र के 16वें दिन, यानी सोमवार(16 दिसंबर) को, राज्यसभा में संविधान पर दो दिवसीय चर्चा का आगाज हुआ। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस चर्चा की शुरुआत की। विपक्ष की ओर से राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे अपनी बात रखेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मंगलवार को इस चर्चा में हिस्सा लेंगे। संविधान की अहमियत पर चर्चा को लेकर यह सत्र बेहद अहम माना जा रहा है।
खड़गे और सीतारमण के बीच हुई नोंक-झोंक
संविधान पर बहस के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बीच तीखी नोकझोंक हुई। सीतारमण ने कांग्रेस और उसके नेताओं पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि संविधान में किए गए कई संशोधन लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए नहीं, बल्कि सत्ता में बने रहने के लिए किए गए थे। सीतारमण ने यह भी कहा कि स्वतंत्रता की रक्षा का दावा करने वाले देश में संविधान बनने के एक साल के भीतर ही अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाने वाला संशोधन लाया गया था।
खड़गे का निर्मला सीतारमण पर पलटवार
मल्लिकार्जुन खड़गे ने निर्मला सीतारमण के आरोपों पर पलटवार किया। उन्होंने कहा, "उनकी भाषा अच्छी हो सकती है, लेकिन कर्म अच्छे नहीं हैं।" खड़गे ने सीतारमण की शिक्षा का जिक्र करते हुए कहा कि वह जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) से पढ़ी हैं, जबकि उन्होंने म्युनिसिपल स्कूल में पढ़ाई की। खड़गे ने आरोप लगाया कि जो लोग संविधान, राष्ट्रीय ध्वज और अशोक चक्र का विरोध करते हैं, वह अब कांग्रेस को पाठ पढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
संविधान निर्माण में कांग्रेस का योगदान
खड़गे ने बहस में संविधान निर्माण में कांग्रेस के योगदान के बारे में मजबूती से बात रखी। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि जब शक्तिशाली देशों में महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था, तब भारतीय संविधान ने देश को समान मताधिकार दिया। खड़गे ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और जनसंघ (जो अब भाजपा है) ने उस समय संविधान का विरोध किया था। उन्होंने संविधान सभा की बहसों का हवाला देते हुए दावा किया कि उस समय आरएसएस के नेता संविधान के खिलाफ थे।
सीतारमण का कांग्रेस पर हमला
सीतारमण ने अपने भाषण में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी पर निशाना साधा। वित्त मंत्री कहा कि कांग्रेस ने संविधान में ऐसे संशोधन किए जो सत्ता की रक्षा के लिए थे, न कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने संविधान के मूल उद्देश्यों को कमजोर किया। सीतारमण ने कांग्रेस के संविधान निर्माण में योगदान पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब संविधान अपनाया गया, तो आरएसएस और जनसंघ ने उसका विरोध नहीं किया था, बल्कि उसे सम्मान दिया। खड़गे ने इन आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया कि कांग्रेस हमेशा से संविधान और लोकतंत्र की रक्षा में अग्रणी रही है।
देश की पहली अंतरिम सरकार ने ही संविधान में संसोधन किया
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने 1950 में आरएसएस की संगठनात्मक पत्रिका "ऑर्गनाइजर" और कम्युनिस्ट पत्रिका "क्रॉस रोड्स" के पक्ष में फैसला सुनाया था। लेकिन (तत्कालीन) अंतरिम सरकार ने इसके बाद संविधान में संशोधन कर दिया। देश की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगा दिया था। भारत, एक लोकतांत्रिक देश है, यह आज भी अपनी अभिव्यक्ति की आजादी पर गर्व करता है। देश की पहली अंतरिम सरकार ने ही संविधान में संशोधन किया जिसका मकसद भारतीयों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाना था।'
#WATCH | Constitution Debate | In Rajya Sabha, Union Finance Minister Nirmala Sitharaman says, "...The Supreme Court in 1950 had ruled in favour of the Communist magazine "Cross Roads" and the RSS organisational magazine "Organizer". But in response, the (then) interim government… pic.twitter.com/yC0s5InqEZ
— ANI (@ANI) December 16, 2024
केशवानंद भारती मामले को लेकर उठाए सवाल
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि केशवानंद भारती मामले के फैसले के बाद तीन जजों को तत्काल प्रभाव से दंडित किया गया था, जबकि असहमति जताने वाले जज को प्रमोशन दे दिया गया। ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा देने के लिए कांग्रेस ने कोई कदम नहीं उठाया। बाबा साहब आंबेडकर ने खुद कहा था कि पंडित नेहरू दलितों की भलाई को लेकर गंभीर नहीं थे। उनके मुताबिक, नेहरू ने अपने भाषणों में दलितों के हितों पर चर्चा नहीं की। सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस ने बाबा साहब की तस्वीर सेंट्रल हॉल में लगाने की इजाजत नहीं दी। इसके साथ ही उन्हें भारत रत्न देने से भी इनकार कर दिया। अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में ही जीएसटी की नींव रखी थी, जबकि यूपीए सरकार ने 10 साल तक इस पर कोई एक्शन नहीं लिया।
42वें संविधान संशोधन पर हुआ जोरदार हंगामा
सीतारमण ने राज्यसभा में 42वें संविधान संशोधन का जिक्र किया। सीतारमण ने कहा कि इस संशोधन के दौरान विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया था। बाद में 1978 में मोरारजी देसाई की सरकार ने 44वें संशोधन के जरिए इन प्रावधानों को हटाया गया। जयराम रमेश ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि इंदिरा गांधी ने खुद इस संशोधन का समर्थन किया था। इस पर नेता सदन जेपी नड्डा ने कहा कि 42वें संशोधन के बाद जनता ने इंदिरा गांधी को हराकर सत्ता से बाहर कर दिया था। जयराम रमेश ने अपनी बात स्पष्ट करते हुए कहा कि मैंने भी यही बात कही थी।
विपक्ष को जेल में डालकर संविधान में किए गए बदलाव
वित्त मंत्री ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने संविधान की प्रस्तावना में सेक्युलर और सोशलिस्ट जैसे शब्द जोड़ने के लिए पूरे विपक्ष को जेल में डाल दिया। उन्होंने कहा कि लोकसभा में कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने इसका विरोध किया था, लेकिन राज्यसभा में विपक्ष पूरी तरह से गैर मौजूद था। सीतारमण ने कहा कि मीसा कानून के तहत विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी की गई और उन्हें जेल में डाल में दिया गया।
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राजनारायण केस पेडिंग होने के बावजूद कांग्रेस ने किया संशोधन
निर्मला सीतारमण ने 1951 में कांग्रेस द्वारा किए गए संशोधन पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस ने अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रतिबंध लगाया। सीतारमण ने कहा कि 1975 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में राजनारायण केस पेंडिंग होने के बावजूद कांग्रेस ने 39वें संशोधन के जरिए यह प्रावधान जोड़ दिया कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के निर्वाचन को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। वित्त मंत्री ने शाहबानो केस का भी जिक्र किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ कांग्रेस ने कानून बनाकर मुस्लिम महिलाओं को न्याय से वंचित कर दिया।
संविधान की प्रगति भारत के लिए गौरव की बात
राज्यसभा में चर्चा के दौरान निर्मला सीतारमण ने कहा कि संविधान जिस तरह से आगे बढ़ रहा है, वह भारत के लोकतंत्र के लिए गर्व की बात है। उन्होंने अभिव्यक्ति की आजादी पर नेहरू सरकार की कार्रवाई और संविधान सभा के सदस्य कामेश्वर सिंह का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर सवाल उठाए। उन्होंने मजरुह सुल्तानपुरी और बलराज साहनी की गिरफ्तारियों का उल्लेख करते हुए कहा कि कांग्रेस ने अभिव्यक्ति की आजादी को दबाया। साथ ही उन्होंने 'किस्सा कुर्सी का' फिल्म की रिलीज रोकने का जिक्र करते हुए भी कांग्रेस पर निशाना साधा।
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अधिकारों और वादों के साथ आगे बढ़ेगा भारत
वित्त मंत्री ने कहा कि भारत को आगे बढ़ाने के लिए वादों को पूरा करना और अधिकारों को सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है। उन्होंने पिछले 75 साल की यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस ने समय-समय पर संविधान को अपने फायदे के लिए बदला। उन्होंने जनता को प्रेरित किया कि संविधान के मूल तत्वों को बचाने और मजबूत करने में योगदान दें।
संविधान पर बहस के दौरान पीएम मोदी ने कांग्रेस को घेरा
बता दें कि कांग्रेस की ओर से मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने पहले संविधान पर चर्चा की मांग की थी। इसके बाद, 13 और 14 दिसंबर को लोकसभा में भी संविधान पर विशेष चर्चा हो चुकी है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा संविधान का दुरुपयोग किया और उसके इतिहास में संविधान को 75 बार संशोधित किया गया। मोदी का यह बयान कांग्रेस के लिए चुटकी लेने वाला था, जो पार्टी पर संविधान के साथ खेल खेलने के आरोपों को लेकर चर्चा में रहा।
राज्यसभा में 6 नए सांसदों ने ली शपथ
संसद के इस सत्र के दौरान राज्यसभा में छह निर्विरोध चुने गए सांसदों ने शपथ ली। ये सांसद विभिन्न दलों से हैं, जिनमें टीएमसी से रीताब्रत बनर्जी (पश्चिम बंगाल), भाजपा से रेखा शर्मा (हरियाणा), भाजपा से सुजीत कुमार (ओडिशा), टीडीपी से सतीश बाबू (आंध्र प्रदेश), टीडीपी से बी मस्तान राव यादव (आंध्र प्रदेश), और भाजपा से आर कृष्णैया (आंध्र प्रदेश) शामिल हैं। इन नए सांसदों के शपथ ग्रहण से राज्यसभा में नए चेहरों की एंट्री हुई है, जो आने वाले समय में संविधान पर और अन्य मुद्दों पर चर्चा में भाग लेंगे।
लोकसभा में एक देश-एक चुनाव बिल नहीं होगा पेश
जहां एक ओर राज्यसभा में संविधान पर चर्चा हो रही है, वहीं लोकसभा में एक देश-एक चुनाव बिल को पेश नहीं किया जाएगा। यह बिल पहले 13 और 14 दिसंबर को पेश होने वाला था, लेकिन अब इसे संशोधित कार्यसूची से हटा दिया गया है। इसके बजाय, इसे मंगलवार को पेश किया जा सकता है। यह बिल भारतीय लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा था, क्योंकि इसमें एक साथ आम चुनाव कराने का प्रस्ताव था। इस बिल की अनदेखी ने सभी की नजरें अब मंगलवार पर टिका दी हैं, जब इस पर अगला कदम उठाया जाएगा।
संजय राउत बोले- माैजूदा समय में संविधान खतरे में
शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने राज्यसभा में संविधान पर चर्चा से पहले कहा कि मौजूदा सरकार संविधान के खिलाफ काम कर रही है। संजय राऊत ने कहा कि संविधान की रक्षा करने वाले संवैधानिक संस्थान न्यायपालिका, संसद और चुनाव आयोग अब सरकार के दबाव में काम कर रहे हैं। राउत ने कहा कि अगर अगले लोकसभा चुनाव में सरकार को 400 से ज्यादा सीटें मिलती हैं, तो संसद में संविधान बदलने की जरूरत पर चर्चा हो सकती है, जो भारत के लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी हो सकती है।
कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी का बयान
कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने राज्यसभा में संविधान पर हो रही बहस को सकारात्मक बताते हुए कहा कि आज संविधान के सभी पहलुओं पर चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने जो सपना देखा था, उसे पंडित नेहरू ने हकीकत में बदला। लेकिन आज जिस तरह से संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग हो रहा है और दलितों, पिछड़ों पर अत्याचार हो रहे हैं, वह चिंताजनक है। तिवारी ने यह भी कहा कि संविधान ने जो अधिकार दलितों और पिछड़ों को दिए हैं, उनका सही तरीके से पालन नहीं हो रहा है, और इस पर गंभीर चर्चा की जरूरत है।